मॉडल बताता है कि मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग से रोका जा सकता है कोविड-19 संक्रमण

मॉडल दिखाता है कि संक्रमण के प्रकोप को रोका जा सकता है बशर्ते कम से कम 60 फीसदी आबादी इन दोनों उपायों का पालन एक साथ करती है तो।

By Dayanidhi

On: Wednesday 14 April 2021
 
एक आबादी में कोविड-19 के प्रसार को दिखाने के लिए संपर्कों के एक नेटवर्क का चित्रण है, जहां व्यक्तियों का एक हिस्सा (शंकु) मास्क पहनते हैं और सामाजिक दूरी (सफेद धारियों के साथ शंकु) का अभ्यास करते हैं। श्रेय: अन्ना सवल्स्का और मॉरीजियो पोर्फिरी

दुनिया भर में कोविड-19 टीकाकरण चल रहा है लेकिन इस घातक वायरस के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए, लंबे समय तक सामाजिक दूरी और मास्क से पीछा छुड़ाना काफी मुश्किल लग रहा है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाने से कोविड-19 वायरस को फैलने से रोका जा सकता है, लेकिन इन दोनों के एक साथ पालन करने से कितना प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में ठीक-ठीक जानकारी नहीं है।

अब न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के कैओस और इटली के पोलिटेकनिको डी टोरिनो के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 जैसे हवा से फैलने वाले रोगों के लिए इन दो उपायों के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए एक नेटवर्क मॉडल बनाया है। यह मॉडल दिखाता है कि संक्रमण के प्रकोप को रोका जा सकता है बशर्ते कम से कम 60 फीसदी आबादी इन दोनों उपायों का पालन एक साथ करती है तो।

मॉरीजियो पोर्फिरी ने कहा कि जब तक कि पूरी आबादी एक ही बार में दोनों उपायों का पालन नहीं करती, तब तक न तो सामाजिक दूरी और न ही केवल मास्क पहनने से कोविड-19 रुकने वाला है। उन्होंने कहा संक्रमण को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण बहुत जरूरी है।

शोधकर्ताओं ने एक ऐसा नेटवर्क मॉडल बनाया है जो नोड्स या आंकड़े आधारित बिंदुओं और किनारों, या नोड्स के बीच कड़ी को जोड़ता है। इस तरह के मॉडल पक्षी के प्रवास का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इस मॉडल में, एक अतिसंवेदनशील, संक्रमित, अलग किए गए, नए पाए गए या मर चुके लोगों के ढांचे के आधार पर, जहां हर नोड एक व्यक्ति को दर्शाता है, साथ ही यह उस व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बताता है। ये किनारों से जुड़े व्यक्तियों के जोड़े के बीच होने वाले संपर्कों का भी पता लगाता है।

मॉडल लोगों की गतिविधि में बदलाव की गणना करता है, जिसका अर्थ है कि कुछ अत्यधिक सक्रिय नोड नेटवर्क के अधिकांश लोगों से संपर्क के लिए जिम्मेदार हैं। यह धारणा इस बात का खुलासा करती है कि ज्यादातर लोगों की कुछ ही लोगों से प्रसपर बातचीत होती है और कुछ ही कई अन्य लोगों के साथ बातचीत करते हैं। अलग-अलग बदलाव के रूप में उपायों को स्थापित करके मास्क पहने हुए और इसके विपरीत सामाजिक दूरी वाले दृश्यों का परीक्षण किया गया था।

मॉडल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन से प्राप्त सेलफोन के आधार पर लोगों के इधर-उधर जाने के आंकड़े और फेसबुक सर्वेक्षण आधारित आंकड़ों को शामिल किया गया। आंकड़ों  से पता चला कि जो लोग मास्क पहनते हैं, वे भी ऐसे हैं जो अपनी इधर-उधर जाने की गतिविधि को कम करते हैं। इसके आधार पर, नोड्स को उन व्यक्तियों में विभाजित किया गया था जो नियमित रूप से मास्क और सामाजिक रूप से दूरी बनाए हुए हैं उनका व्यवहार प्रकोप या महामारी से काफी हद तक बदला नहीं है।

न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा मॉडल के असर को मापने के लिए एकत्र किए गए डेटा का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने 14 जुलाई, 2020 के बीच सभी 50 राज्यों और कोलंबिया जिले में अधिकतम मामलों का विश्लेषण किया, जब रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों ने आधिकारिक तौर पर मास्क पहनने की सिफारिश की थी।

कैओस पत्रिका में प्रकाशित यह शोध मास्क पहनने और सामाजिक दूरी दोनों के असर को दिखाने के अलावा, मॉडल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उपायों के व्यापक पालन के महत्वपूर्ण जरूरतों पर प्रकाश डालता है। 

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