कोरोना मरीजों के सूंघने की क्षमता क्यों हो जाती है खत्म

निष्कर्ष बताते हैं कि कोविड-19 रोगियों में सूंघने की क्षमता के लिए विभिन्न प्रकार की नोनूरोनल कोशिकाओं का संक्रमण जिम्मेदार हो सकता है

By Dayanidhi

On: Wednesday 05 August 2020
 
Photo: wikimedia commons

सूंघने की क्षमता की हानि या एनोस्मिया का अस्थायी नुकसान, मुख्य मस्तिष्क विकार (न्यूरोलॉजिकल) का लक्षण है और कोविड-19 के सबसे शुरुआती और मुख्य संकेतकों में से एक है। अध्ययनों से पता चलता है कि इससे बीमारी के अन्य लक्षणों जैसे बुखार और खांसी की तुलना में बेहतर तरीके से पता लगाया जा सकता है।  

अब अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में न्यूरोसाइंटिस्ट्स के नेतृत्व में, शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कोविड-19 से संक्रमित करने वाले वायरस सार्स-सीओवी-2 द्वारा संक्रमण के लिए सबसे अधिक विभिन्न प्रकार के घ्राण कोशिकाओं की पहचान की है। यहां यह बता दें कि घ्राण कोशिका सूंघने में मदद करती हैं। यह आश्चर्यजनक है कि संवेदी न्यूरॉन्स जो मस्तिष्क को गंध के बारे में पता लगाने को कहते हैं, वे ये कमजोर कोशिकाओं में से नहीं हैं। यह अध्ययन साइंस एडवांस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोध दल ने पाया कि घ्राण संवेदी न्यूरॉन्स एसीई 2 रिसेप्टर प्रोटीन को एनकोड करने वाले जीन को प्रकट नहीं करते हैं, जिसे सार्स-सीओवी-2 मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए उपयोग करता है। इसके बजाय, एसीई 2 कोशिकाओं में प्रकट किया जाता है जो घ्राण संवेदी न्यूरॉन्स को चयापचय (मेटाबोलिक) और संरचनात्मक सहायता प्रदान करते हैं, साथ ही साथ स्टेम सेल और रक्त वाहिका कोशिकाओं की कुछ आबादी को भी सहायता करते हैं।

निष्कर्ष बताते हैं कि कोविड-19 रोगियों में सूंघने की क्षमता के लिए विभिन्न प्रकार की नोनूरोनल कोशिकाओं का संक्रमण जिम्मेदार हो सकता है, रोग किस तरह फैल रहा है इसे बेहतर ढंग से समझने के प्रयासों में मदद कर सकता है।

एचएमएस के ब्लावेटनिक इंस्टीट्यूट में न्यूरोबायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर  और वरिष्ठ अध्ययनकर्ता संदीप रॉबर्ट दत्ता ने बताया कि  हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि कोरोनावायरस मरीजों में सूंघने की क्षमता को सीधे न्यूरॉन्स को संक्रमित करने से नहीं, बल्कि सहायक कोशिकाओं के कार्य को प्रभावित करने से होता है।

इसका मतलब यह है कि ज्यादातर मामलों में, सार्स-सीओवी-2 संक्रमण स्थायी रूप से घ्राण तंत्रिका क्षेत्र को नुकसान पहुंचाता है और लगातार सूंघने की क्षमता (एनोस्मिया) में व्यवधान उत्पन्न करता है। दत्ता ने कहा, यह एक ऐसी स्थिति है जो विभिन्न प्रकार के मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य मुद्दों, विशेष रूप से अवसाद और चिंता से जुड़ी है।

कोविड-19 के अधिकांश मरीजों के उभरते आंकड़ों के अनुसार मरीज सूंघने में कुछ स्तर तक परेशानी का अनुभव करते हैं, जो अक्सर अस्थायी होते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि कोविड-19 के रोगियों में 27 बार सूंघने की क्षमता में कमी होती है, लेकिन कोविड-19 के रोगियों की तुलना में बुखार, खांसी या सांस लेने में कठिनाई होने की आशंका केवल 2.2 से 2.6 गुना अधिक होती है।

कुछ अध्ययनों से पता चला कि कोविड-19 में सूंघने की क्षमता का नुकसान अन्य वायरल संक्रमणों के कारण एनोस्मिया से भिन्न होता है, जिसमें अन्य कोरोनावायरस भी शामिल हैं।

उदाहरण के लिए, कोविड-19 के रोगी में आमतौर पर हफ्तों के दौरान सूंघने की क्षमता ठीक जाती हैं - महीनों की तुलना में वह बहुत तेजी से सूंघने की क्षमता से उबर सकता है, जो वायरल संक्रमण के सबसेट के कारण होता है, जो घ्राण संवेदी न्यूरॉन्स को सीधे नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा, कई वायरस ऊपरी श्वसन मुद्दों जैसे कि भरी हुई नाक या नाक में बाधा से सूंघने के अस्थायी नुकसान का कारण बनते हैं। हालांकि कुछ कोविड-19 रोगी बिना किसी अवरोध के सूंघ नहीं पाते हैं।

सूंघने की क्षमता कैसे होती है बंद

दत्ता ने कहा हम अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए है कि किस तरह के बदलाव अभी तक आएं हैं। कुछ महत्वपूर्ण (सुस्टेंटाकुलर) कोशिकाओं को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया है, ऐसा लगता है कि हमें उन पर ध्यान देने की जरूरत है। ग्लियाल कोशिकाएं मस्तिष्क में किस तरह महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं?

यह निष्कर्ष भी कोविड-19 से जुड़े मस्तिष्क (न्यूरोलॉजिकल) संबंधी मुद्दों में पेचीदा जानकारी प्रदान करते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि अवलोकन, परिकल्पनाओं से पता चलता हैं कि सार्स-सीओवी-2 सीधे न्यूरॉन्स को संक्रमित नहीं करता है, बल्कि मस्तिष्क तंत्रिकाओं के संवहनी कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है।

अध्ययन के परिणाम अब कोविड-19 के रोगियों में सूंघने की क्षमता में होने वाली हानि को बेहतर ढंग से समझने के प्रयासों में तेजी लाने में मदद कर सकते हैं, जिससे सूंघने की क्षमता में बाधा (एनोस्मिया) का उपचार हो सकता है और रोग के लिए बेहतर गंध-आधारित उपचार का विकास हो सकता है।

दत्ता ने कहा सूंघने की क्षमता की हानि (एनोस्मिया) एक जिज्ञासु घटना की तरह लगती है, लेकिन यह उन लोगों के छोटे से अंश के लिए विनाशकारी हो सकता है, जिनमें यह लगातार बनी होती है।  इसके गंभीर मनोवैज्ञानिक परिणाम हो सकते हैं और अगर हम इसका स्थायी रूप उपचार करे तो बढ़ती आबादी के लिए एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या हो सकती हैं।

Subscribe to our daily hindi newsletter