बिहार के लिए खतरनाक साबित न हो जाए भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों का लौटना

दानापुर स्टेशन पर स्क्रीनिंग टीम ने प्राथमिक तौर पर 25 लोग संदिग्ध पाया और उन्हें आइसोलेट करके शेष लोगों को स्पेशल बसों से उनके घरों तक छोड़ा गया है

By Pushya Mitra

On: Tuesday 24 March 2020
 

रविवार की सुबह तक कोरोना वायरस के संक्रमण से सेफ माने जाने वाले बिहार के बारे में दोपहर होते होते पूरी राय बदल गयी। खबर आयी कि राज्य का पहला कोरोना संक्रमित मरीज मिल गया है और उसकी मौत भी हो गयी है। इसके बाद एक अन्य मरीज के संक्रमित होने की खबर आयी। ठीक इसी वक्त मुंबई और पुणे से स्पेशल ट्रेनें बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लेकर पटना के दानापुर स्टेशन तक पहुंची। सरकारी दावों के बावजूद उनके स्क्रीनिंग की व्यवस्था पर लोगों को भरोसा नहीं हो रहा था। इसी बीच राज्य सरकार को पूरे राज्य को एक साथ लॉक डाउन करने का फैसला लेना पड़ा।

दरअसल पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न सरकारी औऱ निजी संस्थानों को बंद किया जा रहा है। इस वजह से पहले से इन राज्यों में रह रहे प्रवासी बिहारी मजदूर बड़ी संख्या में अपने राज्य लौट रहे हैं। ऐसे में इन लोगों की बिहार के रेलवे स्टेशन पर स्क्रीनिंग सरकार के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी बन गयी, क्योंकि महाराष्ट्र और पंजाब कोरोना से प्रभावित देश के प्रमुख राज्य हैं और ज्यादातर बिहार के मजदूर इन्हीं राज्यों से लौट रहे हैं। सिर्फ महाराष्ट्र से 5000 लोगों के लौटने की संभावना बतायी जा रही थी।

हालांकि रविवार को रेलवे ने अपना परिचालन भी बंद करने की घोषणा कर दी, फिर भी जो रेलगाड़ियां इस घोषणा से पहले चल चुकी थी, उन्हें रास्ते में रोका नहीं जा सकता था। रविवार को जनता कर्फ्यू के बीच महाराष्ट्र से दो ट्रेनें बिहार के आरा, बक्सर और दानापुर स्टेशनों पर पहुंची। इन दो ट्रेनों में 2700 यात्रियों के पहुंचने की जानकारी सरकार द्वारा दी गयी।

दानापुर स्टेशन पर राज्य सरकार के अधिकारियों की एक टीम स्क्रीनिंग के लिए पहुंची, जिसमें प्राथमिक तौर पर 25 लोग संदिग्ध पाये गये। उन्हें आइसोलेट करके शेष लोगों को स्पेशल बसों से उनके घरों तक छोड़ा गया है। इनमें से एक युवक की आज दरभंगा के अस्पताल में मरने की खबर आयी है। वैसे वहां के डॉक्टरों का कहना है कि युवक की मृत्यु पीलिया की वजह से हुई है। आज भी एक ट्रेन बिहार के विभिन्न स्टेशनों से होते हुए असम के लिए जा रही है। इससे पहले भी सामान्य ट्रेनों के जरिये बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बिहार पहुंचे हैं।

वैसे तो सरकार यह दावा कर रही है कि वह स्टेशनों पर इन सभी आने वालों की स्क्रीनिंग कर रही है, मगर सरकार के इस दावे पर लोगों को बहुत भरोसा नहीं हो रहा। क्योंकि एक तो आने वाले मजदूरों की संख्या हजारों में है और दूसरी बात सरकार के पास इनकी स्क्रीनिंग के लिए इंफ्रारेड थर्मामीटर के अलावा और कोई उपकरण नजर नहीं आता। 

इस सम्बंध में बात करने पर बिहार में जन स्वास्थ्य अभियान के सवालों से जुड़े डॉ शकील ने कहा कि दरअसल स्क्रीनिंग मतलब सिर्फ यह चेक करना है कि आगंतुक के शरीर का तापमान अधिक तो नहीं, जिनका तापमान अधिक होता है, उनसे अलग से पूछताछ की जाती है।

अगर कल पहुंचे दो स्पेशल ट्रेनों में 25 संदिग्ध मरीज मिले हैं, तो 24 घंटे से अधिक लंबी भीड़भाड़ वाली यात्रा में उन्होंने किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित नहीं किया होगा, इसकी संभावना बहुत कम लगती है। मगर सरकार ने शेष सभी लोगों को उनके घर तक छोड़ दिया है।

हालांकि इस बीच ऐसी खबरें भी आ रही है कि राज्य के दूरदराज के लोग भी अपने इलाके में किसी बाहर से आये व्यक्ति को आने नहीं दे रहे। परिवार वाले भी इस तरह के मामलों में रिस्क नहीं ले रहे। ऐसे में राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने आदेश जारी कर हर गांव में स्थित सरकारी स्कूल के भवनों को अस्थायी तौर पर आइसोलेशन सेंटर बनाया जाये, जहां ऐसे लोग रह सकें। हालांकि इस आदेश का पालन दूरदराज के इलाके में कितनी तत्परता से होता है, यह देखने वाली बात होगी।

डॉ शकील कहते हैं कि गांवों में लोगों के ठहरने की व्यवस्था तो की जा रही है, मगर क्या यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उन्हें सही तरीके से आइसोलेट किया गया है। क्या उनके बीच गैप सुनिश्चित किया जा रहा है, उनके भोजन और स्वच्छता से संबंधित जरूरी चीजों की व्यवस्था की जा रही है। क्या उनके स्वास्थ्य के रेगुलर मोनिटरिंग के इंतजाम होंगे? क्योंकि इन लोगों को वापसी के वक़्त पूरी मजदूरी भी नहीं दी गयी है, सिर्फ किराया देकर भेज दिया गया है।

बिहार वोलेंट्री हेल्थ एसोसिएशन के प्रमुख स्वप्न्न मजूमदार कहते हैं कि जिस बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं उनकी स्क्रीनिंग और उनका आइसोलेशन सरकार के लिये भी मुश्किल काम है। इस काम में अगर सरकार जरूरत समझे तो प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की भी मदद ले सकती है।

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