वैज्ञानिकों ने बनाया नैनोवायर मास्क, 1,000 बार तक हो सकता है इस्तेमाल

नैनोवायर से बना मास्क कोविड-19 के मद्देनजर बन रहे मौजूदा मास्क का बेहतर विकल्प बन सकता है  

By Dayanidhi

On: Monday 10 August 2020
 
Photo: Pixabay

टाइटेनियम ऑक्साइड के महीन तारों (नैनोवायर) से बना फिल्टर पेपर, रोगाणुओं को फंसाने और उन्हें प्रकाश के माध्यम से नष्ट करने में सक्षम है। स्विट्जरलैंड की ईपीएफएल प्रयोगशाला द्वारा खोजे गए इस उपकरण को व्यक्तिगत सुरक्षा के साथ वायुसंचार और एयर कंडीशनिंग प्रणाली में उपयोग किया जा सकता है। यह कोविड-19 के मद्देनजर बन रहे मौजूदा मास्क का बेहतर विकल्प बन सकता है। 

कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के प्रयासों के तहत, दुनियाभर में मास्क के उत्पादन को बढ़ाया जा रहा है। ये मास्क प्रभावी तो हैं, लेकिन इसके व्यापक उपयोग में कुछ कमियां हैं। इसकी परतों में पॉलीप्रोपाइलीन प्लास्टिक माइक्रोफिब्र्स का उपयोग किया गया है जिसका निस्तारण आसानी से नहीं होता। इनका पर्यावरण पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा मौजूदा मास्क रोगाणुओं को नष्ट करने के बजाय केवल रोकता है। ऐसे में नैनोवायर फिल्टर पेपर से बना मास्क काफी उपयोगी हो सकता है।

ईपीएफएल की प्रयोगशाला के प्रमुख लेज़्जलो फोरो कहते हैं, दुनियाभर में उपयोग के बाद उन्हें खुले में फेंक दिया जाता है। यहां तक कि ये सड़क पर छोड़ दिए जाते हैं। दुनियाभर में कचरे के ढेर में एक नई तरह की बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह प्रदूषण के नए स्रोतों में बदल रहे हैं।

अब फोरो की प्रयोगशाला में शोधकर्ता इस समस्या के समाधान पर काम कर रहे हैं। टाइटेनियम ऑक्साइड के महीन तारों से बनी एक झिल्ली है, जो फिल्टर पेपर के समान है, लेकिन इसमे जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण शामिल हैं।

उनकी सामग्री टाइटेनियम डाइऑक्साइड के फोटोकैटलिटिक गुणों का उपयोग करके काम करती है। यह जब पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में आते हैं, तो फाइबर की नमी को हाइड्रोजन पेरोक्साइड जैसे ऑक्सीकरण एजेंटों में बदल देते हैं, जो रोगाणुओं को नष्ट कर देते हैं। फोरो कहते हैं, चूंकि हमारा फिल्टर नमी को अवशोषित करने में बहुत अच्छा है, यह वायरस और बैक्टीरिया को ले जाने वाली बूंदों को फंसा सकता है। यह ऑक्सीकरण प्रक्रिया के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है, जिसे प्रकाश द्वारा बढ़ाया जाता है।

शोधकर्ताओं का काम एडवांस्ड फंक्शनल मैटेरियल्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें ऐसे प्रयोग शामिल हैं जो ई. कोलाई को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। इन परिणामों के आधार पर, शोधकर्ता दावा करते हैं कि, यह प्रक्रिया सार्स-सीओवी -2 सहित विभिन्न प्रकार के वायरसों पर समान रूप से सफल होगी।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तरह की झिल्लियों का निर्माण बड़े पैमाने पर संभव है। प्रयोगशाला के उपकरण अकेले प्रति सप्ताह 200 वर्ग मीटर तक फिल्टर पेपर या प्रति माह 80 हजार मास्क का उत्पादन करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, मास्क को स्टेरलाइज किया जा सकता है और एक हजार बार तक पुन: उपयोग किया जा सकता है। यह मौजूदा मास्क की कमियों को दूर करेगा और मास्क द्वारा होने वाले कचरे की मात्रा को भी काफी हद तक नियंत्रित करेगा।

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