बाहर से अंदर आना मना है, गांव वालों ने कोरोनावायरस के लिए बिठाया पहरा
न हम (गांव वाले) बाहर जाते हैं और ना ही हम चाहते हैं कि कोई बाहरी हमारे गांव में प्रवेश करे और गांव में कोराना महामारी फैले
On: Wednesday 01 April 2020
कोरोनावायरस संक्रमण के फैलने की खबरों देखते हुए लगभग गांव वाले सचेत हो गए हैं और बाहर के लोगों के गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। ऐसा ही एक नजारा छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के एक आदिवासी गांव लसुनवाही में देखने को मिला।
यह आदिवासी गांव धमतरी से करीब 12 किमी दूर है और यहाँ की आबादी तक़रीबन 500 है। यहां के लोग खेती किसानी और खेतिहर मजदूरी करते हैं, लेकिन जब से करोना वायरस महामारी से बचाव के लिए लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से लोगों का काम पे जाना बंद होगया है।
जब संवाददाता ने गांव का दौरा करने पहुंचा तो देखा कि गांव के बाहर ही लकड़ी, झाड़ियों और कांटों का बैरिकेड बना दिया गया है। जिसमें यह साफ लिखा हुआ है--“ यहां धारा 144 लागू है, 21 दिनों तक प्रवेश निषेध !”। बाकी दूसरी ओर गांव के कुछ लोग पहरेदारी भी कर रहे हैं।
आखिर यह बैरिकेड क्यों लगाया है? के जवाब में गांव के दुजरम ध्रुव ने कहा कि हम शासन द्वारा लागू लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। न हम (गांव वाले) बाहर जाते हैं और ना ही हम चाहते हैं कि कोई बाहरी हमारे गांव में प्रवेश करे और गांव में कोराना महामारी फैले।
वह कहते हैं कि हमारे गांव में खासकर शहरियों के प्रवेश पर पूरी तरह की पाबंदी है, क्योंकि शहरी लोग विदेश आते-जाते रहते हैं और उनके माध्यम से ही कोरोनावायरस विदेशों से भारत पहुंच रहा है। इसलिए हम गांव वालों ने यह फैसला लिया है कि 21 दिन के लिए गांव में घुसने वाला रास्ता बंद कर दिया जाए।
इसके चलते आपकी रोजीरोटी पर असर हुआ है या नहीं ? इसके जवाब में एक गांव वाले कहते हैं कि करोना संक्रमण को रोकना जरूरी है नहीं तो हम कैसे बचेंगे ? रोजी रोटी तो आज नहीं तो कल कमा लेंगे।