कोविड-19 : चिकित्सीय उपकरणों के लिए दुनियाभर में मारामारी

भारत को अगले कुछ महीनों में कम से कम 2.7 करोड़ एन-95 मास्क और 16 लाख डायग्नोस्टिक किट की जरूरत पड़ेगी

By Kundan Pandey

On: Tuesday 14 April 2020
 
Photo: Wikimedia commons

नोवेल कोरोनोवायरस (कोविड-19) महामारी के बीच कई देश मेडिकल स्टॉक जुटाने की होड़ में शामिल हो गए हैं। कई देशों के पास टेस्ट किट और अन्य जरूरी मेडिकल उपकरण खत्म होने वाले हैं। ऐसे हालात में वे दूसरों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।

चीन से तमिलनाडु के लिए आने वाली 4,00,000 रैपिड टेस्ट किट (आरटीके) की खेप 11 अप्रैल, 2020 को अमेरिका भेज दी गई। इसका खुलासा राज्य के मुख्य सचिव के षणमुगम ने किया।

कुछ दिनों पहले भारत को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) सहित कुछ दवाओं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए तब मजबूर होना पड़ा था, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐसा नहीं करने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।

खुफिया एजेंसियां सक्रिय

इस वक्त चिकित्सीय उपकरणों की इतनी जरूरत है कि कई देशों ने अपनी खुफिया एजेंसियों को लगा दिया है। इजराइल के टेलीविजन चैनल ने 31 मार्च को एक कथित जांच का प्रसारण किया कि कैसे मोसाद देश के लिए बेहद महत्वूपर्ण चिकित्सा उपकरण हासिल करने का एक तरीका तैयार कर रहा था।

एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के अधिकारी ने मीडिया को बताया कि स्थिति काफी हद तक ऐसी हो गई है कि देशों में वेंटिलेटर की सीमित आपूर्ति को हासिल करने के लिए गुप्त लड़ाई चल रही है।

दुनिया को करीब 8.8 लाख वेंटिलेटर की जरूरत

डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडाटा के अनुसार, दुनिया को लभगग 880,000 वेंटिलेटर तत्काल की जरूरत है। अमेरिका को 75,000 जबकि जर्मनी, स्पेन, इटली और यूनाइटेड किंगडम को संयुक्त रूप से 74,000 वेंटिलेटर की जरूरत है। भारत को कम से कम 2.7 करोड़ एन-95 मास्क और 1.5 करोड़ प्रोटेक्शन गियर इक्विपमेंट की जरूरत होगी। ग्लोबलडाटा के अनुसार, भारत को आने वाले दो महीनों में 16 लाख डायग्नोस्टिक किट और 50,000 वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी।

मौजूदा उत्पादक बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं। ऐसे समय में बहुत से देशों ने अलग-अलग उद्योगों जैसे ऑटोमोटिव असेंबली प्लांट के साथ मिलकर मास्क और वेंटिलेटर का उत्पादक शुरू किया है। स्वचालित वाहनों के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी जनरल मोटर्स ने वेंटेक लाइफ सिस्टम्स के साथ मिलकर कोकोमो इलेक्ट्रोनिक असेंबली प्लांट में वेंटिलेटरों का उत्पादन शुरू किया है। कंपनी मिशिगन के अपने एक प्लांट में 50,000 सर्जिकल मास्क बनाने की भी कोशिश कर रही है।

ब्रिटेन सरकार ने मार्च के आखिरी हफ्ते में एयरबस, एरो इलेक्ट्रॉनिक्स, बीएई सिस्टम्स, जीकेएन एयरोस्पेस, मेग्विट और रोल्स रॉयस जैसे निर्माताओं के साथ 10,000 मेडिकल वेंटिलेटर का उत्पादन करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत में महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड ने कहा है कि वह वेंटिलेटर का निर्माण करेगी।

संवेदनशील देश

बहुत से देश महामारी से जूझने के लिए अपनी दवा स्टॉक और उपकरणों का निरीक्षण कर रहे हैं। भारत ने एचसीक्यू के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) निवारक दवा के लिए रूप में इसकी स्वीकृति दी थी। जर्मनी ने 4 मार्च को मेडिकल गियर के निर्यात पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया था। जर्मनी ने 8 मार्च को स्विट्जरलैंड भेजे जा रहे 240,000 फेस मास्क की खेप रोक ली थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया को हर माह 8.9 करोड़ मेडिकल मास्क की आवश्यकता होगी। भारत, ताइवान और थाईलैंड ने जनवरी माह में मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

हालांकि, भारत और जर्मनी ने राजनयिक वार्ताओं के फलस्वरूप प्रतिबंध हटा लिया। दूसरी तरफ मौके की नजाकत को देखते हुए जापान ने अपनी विनिर्माण कंपनियों को चीन से बाहर अपना काम शुरू करने के लिए 2 बिलियन डॉलर की मदद दी है।

कुछ देश पहले से अनुमान लगा रहे हैं कि महामारी बाद वैसी दुनिया नहीं रह जाएगी, जैसी महामारी से पहले थी।

फ्रांस के वित्त मंत्री ब्रूनो ले मेयरे ने मीडिया को दिए बयान में यहां तक कह दिया कि वैश्वीकरण के संगठन की फिर नए सिरे से परिभाषित की जरूरत है। यह महामारी के कई परिणाों में से एक होगा। वहीं, व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार पीटर नवारो ने कुछ समय पहले कहा कि अमेरिका खतरनाक रूप से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर है।

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