एन 95 मास्क को दोबारा कर सकते हैं इस्तेमाल
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नई वेबसाइट बनाई है। इसमें एन 95 मास्क को साफ कर दोबारा उपयोग करने का सही तरीका बताया जाता है
On: Saturday 04 April 2020
नोवेल कोरोना वायरस की लड़ाई में स्वास्थ्यकर्मी सबसे अधिक खतरा झेलते हैं, और यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब इससे बचने के उपकरण यानि मास्क आदि की कमी हो। ऐसे वक्त में मास्क को सही तरीके संक्रमण रहित कर दोबारा उपयोग करने का तरीका कारगर हो सकता है। स्टैनफोर्ड सहित कई दूसरी संस्थाओं के शोधार्थियों ने साथ मिलकर डॉक्टरों के लिए एक नई वेबसाइट बनाई है। यहां उन्हें एन 95 मास्क को सही तरीके से साफ कर दोबारा उपयोग करने का सही तरीका बताया जाता है।
इस वेबसाइट के पीछे 60 वैज्ञानिक और इंजीनियर की टीम के साथ कुछ निजी क्षेत्र के स्वास्थ्यकर्मियों और कंपनियों का हाथ है। स्टैनफोर्ड के बायोइंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर मनु प्रकाश कहते हैं कि हालांकि एन 95 को पूरी तरह से संक्रमण रहित रखने का कोई सबसे कारगर तरीका नहीं है, फिर भी नीति निर्धारकों को ऐसे वक्त में मास्क के दोबारा उपयोग के फायदे और नुकसानों के बारे में बताना चाहिए। वह बताते हैं कि ऐसे वक्त में वह इस अभियान के साथ जुड़कर स्वास्थ्यकर्मियों की समस्या कुछ आसान करना चाहते हैं। वह मानते हैं कि मास्क की कमी को दूर करने के लिए नए मास्क की आपूर्ति ही सबसे कारगर तरीका है, लेकिन तब तक इसे दोबारा उपयोग कर समस्या से जूझा जा सकता है।
इस वेबसाइट को बनाने का ख्याल ऑनलाइन मिलने वाली गलत जानकारियों को देखकर आया। वैज्ञानिकों ने देखा कि ऑनलाइन कई ऐसे तरीके दिए गए हैं जो कि विज्ञान की कसौटी पर खरे नहीं उतरते। उन्होंने इस वेबसाइट के जरिए तीन तरीके सुझाये हैं, जिनमें हीट और ह्यूमिडिटी, अल्ट्रावायलेट किरणों के उपयोग से और हाइड्रोजन पेरोक्साइड के भाप से मास्क की सफाई शामिल हैं।
हालांकि वैज्ञानिक इन तरीकों के पूरी तरह कारगर होने की पुष्टि नहीं करते, और उनका मानना है कि ये तरीके पूरी सावधानी के साथ बरतने पर कारगर हो सकते हैं। मास्क की कमी के समय में मजबूरियों की वजह से इसे दोबारा उपयोग लायक बनाना ही एकमात्र तरीका है।
इस वेबसाइट के जरिए वैज्ञानिक नीति निर्धारकों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं कि वो भी बड़े स्तर पर मास्क को दोबारा उपयोग लायक बनाने के लिए उपाय कर सकते हैं।