खबरदार! धूम्रपान से सिकुड़ जाता है दिमाग, मस्तिष्क को समय से पहले बूढ़ा बना देती है यह लत

अच्छी खबर यह है कि धूम्रपान से दूरी मस्तिष्क के ऊतकों को होते और अधिक नुकसान को रोक सकती है

By Lalit Maurya

On: Friday 15 December 2023
 
धूम्रपान मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर देता है; फोटो: आईस्टॉक

एक नई चौंकाने वाली रिसर्च से पता चला है कि धूम्रपान से मस्तिष्क सिकुड़ सकता है। इस रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान की यह लत दिमाग को समय से पहले बूढ़ा बना सकती है।

हालांकि धूम्रपान छोड़ने से मस्तिष्क के ऊतकों को होते और अधिक नुकसान से बचाया जा सकता है। लेकिन फिर भी, धूम्रपान बंद करने के बाद भी मस्तिष्क दोबारा अपने मूल आकार में वापस नहीं आता। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा की गई इस रिसर्च के नतीजे जर्नल बायोलॉजिकल साइकाइट्री: ग्लोबल ओपन साइंस में प्रकाशित हुए हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार, इसका मतलब है कि धूम्रपान मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर देता है, हालांकि यदि प्राकृतिक तौर पर इंसानी उम्र बढ़ने के साथ दिमाग के आयतन में स्वाभाविक रूप से कुछ न कुछ कमी जरूर आती है। ऐसे में अध्ययन के नतीजे इस बात को समझने में हमारी मदद कर सकते हैं कि धूम्रपान करने वालों में उम्र के साथ दिमागी क्षमता में गिरावट और याददाश्त में कमी जैसी समस्याएं क्यों बढ़ जाती है। साथ ही उनमें अल्जाइमर या मनोभ्रंश (डिमेंशिया) जैसे विकारों का खतरा क्यों अधिक होता है।

इस बारे में रिसर्च से जुड़ी वरिष्ठ शोधकर्ता प्रोफेसर लॉरा जे बेरुत का कहना है कि, “हाल तक, वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क पर इसके प्रभावों को नजरअंदाज कर दिया था। वो मुख्य रूप से फेफड़ों और हृदय पर पड़ते इसके प्रभावों का अध्ययन कर रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे हमने मस्तिष्क को अधिक बारीकी से देखना शुरू किया है, यह स्पष्ट हो गया है कि धूम्रपान भी आपके मस्तिष्क के लिए हानिकारक है।"

शोध के मुताबिक हालांकि वैज्ञानिक लंबे समय से इस बात को जानते हैं कि धूम्रपान और मस्तिष्क के घटते आकार के बीच सम्बन्ध है, लेकिन वो अब तक निश्चित नहीं कर पाए थे कि ऐसा किस कारण से हो रहा है। इसके साथ ही जेनेटिक्स भी इसमें भूमिका निभाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार मस्तिष्क का आकार और धूम्रपान संबंधी व्यवहार दोनों विरासत में मिलते हैं। उन्होंने लिखा है कि किसी व्यक्ति में धूम्रपान का करीब आधा जोखिम उसके जीन के कारण होता है।

जीन, मस्तिष्क और व्यवहार के बीच मौजूद रिश्तों को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इस अध्ययन में इन तीनों कारकों के बीच संबंधों का पता चला है। उदाहरण के लिए धूम्रपान का इतिहास और मस्तिष्क के आयतन आपस में जुड़े थे। इसी तरह धूम्रपान के इतिहास और आनुवंशिक जोखिम के बीच सम्बन्ध देखा गया।

जितने ज्यादा कश, उतना छोटा दिमाग

इसके अतिरिक्त, धूम्रपान और मस्तिष्क के वॉल्यूम के बीच का संबंध हर दिन किए जा रहे धूम्रपान की मात्रा पर निर्भर करता है। इसका मतलब है कि एक व्यक्ति दिन में जितना अधिक धूम्रपान करता है, उसके मस्तिष्क का वॉल्यूम उतना कम होता है।

प्रोफेसर बेरुत का कहना है कि यह बेहद चिंताजनक है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है उसके साथ-साथ मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है।" उनके मुताबिक यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बढ़ती उम्र और धूम्रपान दोनों ही मनोभ्रंश को प्रभावित करते हैं।

चिंता का विषय तो यह है कि दिमाग में एक बार जो सिकुड़न आ गई उसमें सुधार मुमकिन नहीं होता। जिन लोगों ने वर्षों पहले धूम्रपान करना छोड़ दिया था उनसे जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण से  पता चला है कि इन लोगों को दिमाग धूम्रपान न करने वालों की तुलना में हमेशा के लिए छोटा रह गया था।

रिसर्च के अनुसार इस नुकसान को तो नहीं भरा जा सकता, लेकिन धूम्रपान से दूरी मस्तिष्क की बढ़ती उम्र को रोक सकती है, जिससे मनोभ्रंश जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक तम्बाकू हर चार सेकंड में एक इंसान की जान ले रही है। मतलब की एक साल में 87 लाख लोगों की मौत के लिए तम्बाकू जिम्मेवार है। इतना ही नहीं आपको जानकार हैरानी होगी कि धूम्रपान करने वाले हर 10 में से नौ लोग 18 साल का होने से पहले ही इसकी लत में पड़ जाते हैं, जो उन्हें हर दिन उनकी मौत के और करीब ले जाता है।

वहीं विडंबना देखिए कि इनमें से 13 लाख लोग वो है जो न चाहते हुए भी इसके कारण पैदा हुए धुंए का शिकार बन जाते हैं। यह वो लोग हैं जो स्वयं इन उत्पादों का उपयोग न करने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से इससे पैदा हुए धुंए में सांस लेने को मजबूर हैं।

आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में धूम्रपान हर साल दस लाख मौतों की वजह बन रहा है। इतना ही नहीं इस आंकड़े में पिछले तीन दशकों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं यदि सभी रूपों में तम्बाकू के सेवन की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल भारत में होने वाली साढ़े तरह लाख मौतों के लिए तम्बाकू जिम्मेवार है।

इसके बावजूद दुनिया में केवल चार देश ऐसे हैं जो धूम्रपान को जड़ से खत्म करने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं।

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