भारत में तेजी से बढ़ रहा है कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह: रिपोर्ट

हेल्थ रिस्क असेसमेंट (एचआरए) स्कोर के अनुसार 50.42 फीसदी या हर 2 में से 1 भारतीय 'हाई रिस्क' या 'बॉर्डरलाइन' श्रेणी में है

By Dayanidhi

On: Friday 12 March 2021
 
Photo : Wikimedia Commons

इंडिया फिट रिपोर्ट 2021 में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह के स्तर में वृद्धि के बारे में विस्तार से बताया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे भारत से जीओक्यूआईआई (GOQii) में 50 लाख से अधिक लोग हैं जो स्वस्थ रहने के लिए इस मंच से जुड़े हैं। इन्हीं उपयोगकर्ताओं से स्वास्थ्य के अलग-अलग समस्या को लेकर आंकड़े एकत्रित किए गए हैं।

हेल्थ रिस्क असेसमेंट (एचआरए) स्कोर के अनुसार 50.42 फीसदी या हर 2 में से 1 भारतीय 'हाई रिस्क' या 'बॉर्डरलाइन' श्रेणी में है। इसमें पिछले साल के आंकड़ों की तुलना में 12 फीसदी का सुधार है इससे पहले 62 फीसदी भारतीय 'अस्वस्थ' श्रेणी में थे।

सूरत, जयपुर और पटना भारत के शीर्ष 3 शहरों में रहने वाले लोग स्वस्थ हैं जबकि लखनऊ, कोलकाता और चेन्नई वाले अस्वस्थ हैं। यहां यह ध्यान देना दिलचस्प है कि महानगरीय शहरों में से कोई भी शीर्ष 3 स्वस्थ शहरों में नहीं है, भले ही उनके पास फिटनेस सुविधाएं और स्वास्थ्य केंद्रों तक अधिक पहुंच है।

जीओक्यूआईआई की नवीनतम इंडिया फिट रिपोर्ट 2021 के अनुसार, अधिकांश लोग अपनी जीवन शैली में कुछ सुधार करके स्वस्थ बन सकते हैं। लॉकडाउन ने भारतीयों को अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने का समय दिया। रिपोर्ट में कहा गया के उम्र के लिहाज से, पुरानी पीढ़ी की तुलना में युवा पीढ़ी अधिक अस्वस्थ पाई गई है।

रक्त चाप

2020 में लगभग 15 फीसदी लोगों ने उच्च रक्त चाप होने के बारे में बताया, जबकि 2019 में यह 13.4 फीसदी था। रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा पिछले 4 वर्षों में लगातार बढ़ा है। लगभग 35 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं ने यह भी बताया कि यह बीमारी उनके परिवार में चली आ रही है अर्थात आनुवंशिक है। अधेड़ उम्र के लोगों में रक्तचाप के मामले वयस्कों की तुलना में सिर्फ तीन गुणा हैं। तब यह कहना सुरक्षित नहीं है, कि 45 से ऊपर के लोगों को उच्च रक्तचाप होने का अधिक खतरा है।

मधुमेह

मधुमेह देखभाल और प्रबंधन के लिए एक पूर्ण-स्टैक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि कोविड-19 महामारी से पहले जनवरी से फरवरी के मध्य तक औसत उपवास (फास्टिंग) शुगर का स्तर 138 मिलीग्राम / डीएल था, जो कि मार्च के मध्य में अप्रैल तक बढ़कर 165 मिलीग्राम / डीएल हो गया।  एक तिहाई का दावा था कि यह बीमारी उनके परिवार में चली आ रही है। मधुमेह से पीड़ित लोगों का प्रतिशत वयस्कों से लेकर अधेड़ उम्र के लोगों तक तिगुना हो गई।

कोलेस्ट्रॉल

लगभग 13 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं ने उच्च कोलेस्ट्रॉल होने के बारे में बताया, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो पिछले दो वर्षों से स्थिर बना हुआ है। दूसरी ओर केवल 4 प्रतिशत ने उल्लेख किया कि उन्हें हृदय से संबंधित समस्याएं हैं जो 2019 में 8.6 प्रतिशत थी।

तनाव का बढ़ना

रिपोर्ट में यह भी पता चला कि पूरे वर्ष भर तनाव का स्तर बहुत अधिक रहा। सर्वेक्षण के परिणाम ने बताया कि वर्ष के मध्य में तनाव सूचकांक 4.98 से बढ़कर वर्ष के अंत में 5.11 तक की वृद्धि हुई। वर्तमान में 45 फीसदी लोग अवसाद से ग्रस्त बताए गए हैं। 

तनाव बढ़ने के कारण

कोरोना का डर, वित्तीय स्थिरता और वर्तमान कार्य भारतीयों के तनाव के स्तर को प्रभावित करने वाले शीर्ष 3 प्रमुख कारक हैं। जबकि दोनों महिला एवं पुरुषों को कोविड-19 का डर, स्वास्थ्य की समस्याओं के बारे में चिंता को जाता है। महिलाएं तनाव के दूसरे प्रमुख कारण के रूप में घर के काम का हवाला देती हैं। 4.83 फीसदी किशोरों में स्कूल और अध्ययन को लेकर तनाव पाया गया।

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