साइकिल वालों के लिए सुरक्षित नहीं दिल्ली की सड़कें, कार वालों की तुलना में 40 गुणा ज्यादा मौत का जोखिम
दिल्ली में किसी कार सवार की तुलना में साइकिल से यात्रा कर रह यात्री की मौत का जोखिम 40 गुणा ज्यादा है
On: Wednesday 22 February 2023
भारत में सड़कें यूं तो किसी के लिए सुरक्षित नहीं, लेकिन साइकिल सवारों के लिए यह खतरा कहीं ज्यादा है। कुछ ऐसी ही स्थिति दिल्ली में भी है। इस बारे में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), दिल्ली द्वारा किए नए शोध से पता चला है कि दिल्ली की सड़कें साइकिल सवारों के लिए कहीं ज्यादा असुरक्षित है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंजुरी कंट्रोल एंड सेफ्टी प्रमोशन में प्रकाशित इस रिसर्च के मुताबिक दिल्ली में किसी कार सवार की तुलना में साइकिल से यात्रा कर रह राहगीर की मौत का जोखिम 40 गुणा ज्यादा है। वहीं यदि मोटरसाइकिल सवार से तुलना करें तो यह जोखिम करीब दो गुणा ज्यादा है।
यह रिसर्च आईआईटी, दिल्ली के ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च एंड इंजरी प्रिवेंशन सेंटर ( ट्रिप) में सहायक प्रोफेसर राहुल गोयल के नेतृत्व में की गई है। इस अध्ययन में उन्होंने दिल्ली पुलिस द्वारा 2017 से 2019 के बीच एकत्र किए तीन वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
For the same distance travelled, what are the odds of a #cyclist dying in a road crash compared to a motorcycle rider and a car occupant in Delhi?
— Rahul (@rahulatiitd) January 31, 2023
This is what my latest paper explores.https://t.co/86Vjjtmshq pic.twitter.com/KJOwRfGKdD
इन आंकड़ों से पता चला है कि इस अवधि के दौरान प्रति वर्ष दिल्ली की सड़कों पर औसतन 52 साइकिल सवारों की मौत हुई थी। वहीं सड़क दुर्घटनाओं में मोटरसाइकिल सवारों की मौत का आंकड़ा 541 दर्ज किया गया जबकि 53 कार सवारों की जान सड़क हादसों ने ली थी।
इन आंकड़ों के अनुसार यह सही है कि सड़क हादसों में साइकिल सवारों की तुलना में 10 गुणा ज्यादा मोटरसाइकिल सवारों ने अपनी जान दी है। लेकिन रिसर्च के मुताबिक यदि साइकिल, कार और मोटरसाइकिल सवारों द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर देखें तो स्थिति पूरी तरह बदल जाती है।
इस बारे में अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता राहुल गोयल का कहना है कि दिल्ली में हर साल औसतन बराबर संख्या में साइकिल और कार सवारों की मौत होती है। वहीं मोटरसाइकिल सवारों की सड़क हादसों में होने वाली मौतें करीब 10 गुणा ज्यादा है। हालांकि यह आंकड़ें इस बात का हिसाब नहीं देते कि हर साल ट्रांसपोर्ट के इन साधनों का कितना उपयोग किया जाता है। यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि ज्यादा इस्तेमाल से ज्यादा मौतें हो सकती हैं।
गोयल का कहना है कि साइकिल सवारों के लिए जोखिम का आंकलन करते समय केवल मौतों का आंकड़ा ही काफी नहीं है। इसमें यात्रा की दूरी भी मायने रखती है। उनके अनुसार अधिकांश साइकिल सवार, बाइक और कार उपयोग करने वालों की तुलना में बहुत कम दूरी तय करते हैं। ऐसे में यदि इस दूरी को बराबर माना जाए तो साइकिल सवारों की मौत का जोखिम कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा।
इस अध्ययन में आंकड़ों को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक सामान्य माप का इस्तेमाल किया गया, जिसके तहत प्रति 100 करोड़ किलोमीटर की यात्रा के दौरान कितने लोगों ने जान गंवाई, इस बात की गणना की गई।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने व्हीकल ऑक्यूपेंसी यानी किसी एक वाहन में सवार लोगों की संख्या का अनुमान इस आधार पर लगाया कि शहर में कोई यात्री कितने किलोमीटर की यात्रा करता है। माना गया कि यदि दो लोगों ने एक कार में 20 किमी की यात्रा की है, तो उनमें से प्रत्येक ने 20 किलोमीटर की यात्रा की है।
इस तरह व्हीकल ऑक्यूपेंसी की गणना में माना गया कि यात्रा में साइकिल में एक सवार था जबकि प्रति मोटरसाइकिल औसतन 1.38 सवार और प्रत्येक कार में 2.05 यात्री सवार थे। इस तरह उन्होंने प्रति 100 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पर मृत्यु के जोखिम की गणना की है।
पता चला है कि जहां प्रति 100 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पर औसतन 20.8 साइकिल सवारों की मौत का जोखिम है। वहीं मोटरसाइकिल सवारों की बात करें 9.5 सवारों की जान को सड़क हादसों का खतरा है। वहीं कार सवारों के लिए यह आंकड़ा 0.53 दर्ज किया गया।
ऐसे में शोधकर्ता राहुल गोयल का कहना है कि जहां एक कार सवार की तुलना में साइकिल यात्री की मृत्यु का जोखिम 40 गुणा ज्यादा है। वहीं सामान किलोमीटर की यात्रा के लिए मोटरसाइकिल सवार की तुलना में साइकिल यात्री की मौत की आशंका दो गुणा ज्यादा है।
देश में हर घंटे 18 लोगों की जान ले रहे हैं सड़क हादसे
वहीं यदि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट “रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया 2021” में जारी आंकड़ों को देखें तो दिल्ली में 2020 के दौरान 4,178 सड़क हादसे हुए थे, जबकि 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 4,720 पर पहुंच गया था। इन हादसों में 1,239 लोगों की जान गई थी, जिनमें 45 साइकिल सवार थे।
देखा जाए तो जहां साइकिल का उपयोग स्वास्थ्य के साथ-साथ बढ़ते वायु प्रदूषण को सीमित करने के सबसे बेहतर उपयोग में से एक है। यही वजह है कि दुनिया के ज्यादातर विकसित देशों ने साइकिल यात्रियों की सुरक्षा और इसे बढ़ावा देने के लिए सड़कों पर अलग लेन जैसे विशेष प्रावधान किए हैं। वहीं अभी भी हमारे देश में एक बड़ी आबादी के साइकिल का उपयोग करने के बावजूद इसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।
साइकिल को लेकर एक ट्विटर यूजर और सिविल सर्वेंट आशीष कुंद्रा द्वारा ट्विटर पर किए एक ऑनलाइन पॉल के मुताबिक 45 फीसदी से ज्यादा लोगों ने दिल्ली में साइकिल यात्रा के चलन को न बढ़ने के लिए सड़क सुरक्षा को जिम्मेवार माना है, जबकि 32.3 फीसदी लोगों ने इसके लिए साइकिलिंग लेन के न होने को वजह माना है। वहीं 14.8 फीसदी ने प्रदूषण जबकि 7.4 फीसदी ने मौसम को वजह बताया है।
Why cycling hasn’t gained traction in Delhi ?
— Ashish Kundra (@ashishkundra) February 7, 2023
देखा जाए तो भारत में सड़क हादसे एक बड़ी समस्या है पता चला है कि देश में इन हादसों में हर घंटे 18 लोगों की जान जा रही है, जबकि यह हादसे 44 लोगों के जख्मी होने की वजह हैं। रिपोर्ट में जो आंकड़े साझा किए गए हैं उनके मुताबिक 2021 में 4,12,432 सड़क हादसे हुए थे। इन हादसों में करीब 1,53,972 बदनसीबों की मौत हो गई थी।