मीठे पेयों की अतिरिक्त चीनी आपको कर देगी दोगुना मोटा

शोधकर्ताओं ने पाया कि फ्रुक्टोज का शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, लिवर में वसा उत्पादन फ्रुक्टोज समूह में दोगुना था।

By Dayanidhi

On: Thursday 18 March 2021
 
Photo : Wikimedia Commons

बहुत अधिक चीनी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है, जिसे हम सब जानते हैं, लेकिन इस पर हम कितना अमल करते है यह महत्वपूर्ण है। शोधकर्ताओं ने बताया कि कम मात्रा में फ्रुक्टोज और सुक्रोज भी लिवर में वसा उत्पादन को दोगुना करता है। भविष्य में यह मधुमेह या फैटी लीवर के विकास में अहम भूमिका निभाता है।

चीनी को कई आम खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है और दुनिया भर में खासकर स्विट्जरलैंड में लोग हर दिन 100 ग्राम से अधिक का सेवन करते हैं। इंडियन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के अनुसार भारत में हर व्यक्ति प्रति दिन लगभग 10 चम्मच चीनी की खपत करता है, एक औसत भारतीय हर साल लगभग 18 किलो चीनी खा जाता है। चीनी की उच्च कैलोरी वाले पदार्थ अत्यधिक वजन और मोटापा और इससे संबंधित रोगों को जन्म देते हैं।

यदि चीनी की अधिक मात्रा का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो इसके कोई अन्य हानिकारक प्रभाव हैं? और यदि हैं तो वे किस तरह की चीनी के हैं?

यहां तक कि कम मात्रा में चीनी का सेवन भी वसा को बढ़ाता है

यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख (यूजेडएस) और यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ज्यूरिख (यूएसजेड) के शोधकर्ता इन सवालों के बारे में पता लगा रहे हैं। पिछले अध्ययनों की तुलना में, मुख्य रूप से इस अध्ययन में बहुत अधिक मात्रा में चीनी की खपत की जांच की गई हैं, उनके परिणाम बताते हैं कि कम मात्रा में सेवन की गई चीनी भी, परीक्षण के प्रतिभागियों के चयापचय में बदलाव करती है।

एंडोक्रिनोलॉजी, मधुमेह और नैदानिक पोषण विभाग के अध्ययनकर्ता फिलिप गेरबर कहते हैं कि रोजाना 80 ग्राम चीनी, जो एक सामान्य शीतल पेय के लगभग 0 से 8 लीटर के बराबर होती है, जो लिवर में वसा को बढ़ाती है। लंबे समय तक शक्कर की अधिक मात्रा में सेवन करने पर भी ओवरएक्टिव वसा का उत्पादन जारी रहता है।   

अध्ययन में 24 स्वस्थ नौजवानों ने भाग लिया। 7 सप्ताह की अवधि में हर दिन उन्होंने विभिन्न प्रकार की चीनी के साथ मीठा पेय पीया, जबकि नियंत्रित समूह ने ऐसा नहीं किया। पेय में फ्रुक्टोज, ग्लूकोज या सुक्रोज (टेबल शुगर जो फ्रुक्टोज और ग्लूकोज का एक मिश्रण) होता है। शोधकर्ताओं ने तब लिपिड चयापचय पर मीठे पेय के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए पता लगाने वाले (ट्रेसर) का उपयोग किया।

फ्रुक्टोज और सुक्रोज भोजन के सेवन से दोगुना अधिक वसा का उत्पादन करते हैं

कुल मिलाकर प्रतिभागियों ने अध्ययन से पहले की तुलना में अधिक कैलोरी का उपभोग नहीं किया, क्योंकि मीठे पेयों ने इसे पूरा कर लिया था, इसलिए उन्होंने अन्य स्रोतों से कैलोरी लेना कम कर दिया।

गेरबर कहते शोधकर्ताओं ने पाया कि फ्रुक्टोज का शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर के खुद के लिवर में वसा उत्पादन फ्रुक्टोज समूह में, ग्लूकोज समूह या नियंत्रण समूह के मुकाबले दोगुना था, यह भी बारह घंटे से पहले लिए गए भोजन या चीनी का।

विशेष रूप से आश्चर्य की बात यह थी कि हम जिस चीनी का सबसे अधिक उपभोग करते हैं, सूक्रोज, उसी मात्रा में फ्रुक्टोज की तुलना में वसा को बढ़ा देता है। अब तक, यह माना गया था कि फ्रुक्टोज इस तरह के सबसे अधिक बदलाव करता है।

अधिक वसायुक्त लिवर या मधुमेह होना

फैटी लिवर और टाइप -2 डायबिटीज जैसी सामान्य बीमारियों को बढ़ाने में लिवर में वसा का उत्पादन बढ़ना एक पहला कदम है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, विश्व स्वास्थ्य संगठन हर रोज चीनी की खपत को लगभग 50 ग्राम या इससे भी बेहतर, 25 ग्राम तक सीमित करने की सिफारिश करता है। फिलिप गेबर कहते हैं लेकिन हम उस मात्रा से बहुत दूर हैं। उन्होंने कहा हमारे परिणाम अतिरिक्त चीनी के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालते हैं और भविष्य में खाने से संबंधित सिफारिशों के लिए बहुत उपयोगी होगा।

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