दुनिया भर में 2050 तक एक अरब लोगों के जोड़ों के दर्द से जूझने के आसार: लैंसेट

अध्ययन के मुताबिक, वर्तमान में, दुनिया की 30 वर्ष या उससे अधिक आयु की 15 प्रतिशत आबादी ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित है।

By Dayanidhi

On: Thursday 24 August 2023
 
फोटो साभार: आईस्टॉक

एक नए अध्ययन के अनुसार, 2050 तक दुनिया भर में लगभग एक अरब लोगों के ऑस्टियोआर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द से पीड़ित होने की आशंका है। ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी मनुष्य के शरीर के जोड़ों पर बुरा असर डालती है।

द लैंसेट रुमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वर्तमान में, दुनिया की 30 वर्ष या उससे अधिक आयु की 15 प्रतिशत आबादी ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित है। अध्ययन में 200 से अधिक देशों के 30 वर्षों के ऑस्टियोआर्थराइटिस के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।

2020 में, 59.5 करोड़ लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रहे थे, जो कि 1990 में 25.6 करोड़ लोगों की तुलना में 132 प्रतिशत की वृद्धि है। यह अध्ययन अमेरिका के वाशिंगटन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के नेतृत्व में किया गया है।

अध्ययन में ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामलों में तेजी से वृद्धि के लिए मुख्य रूप से उम्र बढ़ने, जनसंख्या वृद्धि और मोटापे को जिम्मेदार ठहराया गया है

आईएचएमई के अध्ययनकर्ता ने कहा कि, लंबे समय तक जीवित रहने वाले लोगों के प्रमुख चालकों और विश्व की बढ़ती आबादी के साथ, हमें अधिकांश देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों पर तनाव का अनुमान लगाने की जरूरत है।

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि मोटापा या उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए एक बड़े खतरे का कारण है और समय के साथ मोटापे की दर में वृद्धि के कारण इसने कोई कसर नहीं छोड़ी है।

अध्ययन के पहले वर्ष 1990 में ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण होने वाली 16 प्रतिशत विकलांगता के लिए मोटापा जिम्मेदार था, जो वर्ष 2020 में बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया है।

अध्ययन में कहा गया है कि अगर आबादी में मोटापे पर प्रभावी ढंग से ध्यान दिया जाए तो दुनिया भर में ऑस्टियोआर्थराइटिस के बोझ को अनुमानित 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

अध्ययन में कहा गया है कि, मोटापा और ऑस्टियोआर्थराइटिस से जुड़े दर्द में शारीरिक निष्क्रियता जो भूमिका निभाती है, उसके विपरीत और अनपेक्षित बुरे कारण हो सकते हैं।

उदाहरण के लिए, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से जीवन की शुरुआत में चोटों से बचा जा सकता है और यहां तक कि जोड़ों के दर्द वाले किसी व्यक्ति के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। यह उल्टा है, लेकिन जोड़ों में दर्द होने का मतलब यह नहीं है कि हमें चलना फिरना नहीं चाहिए।

यह पाया गया कि ऑस्टियोआर्थराइटिस आमतौर पर घुटनों और कूल्हों पर बुरा असर डालता है, अध्ययन के अनुसार इससे 2050 तक सबसे अधिक लोग प्रभावित होंगे।

अध्ययन के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ऑस्टियोआर्थराइटिस से अधिक जूझने के आसार हैं।

2020 में, ऑस्टियोआर्थराइटिस के 61 प्रतिशत मामले महिलाओं में पाए गए, जबकि 39 प्रतिशत मामले पुरुषों में थे। इस लिंग अंतर के पीछे के कारणों का एक मिश्रण है।

अध्ययनकर्ता के ने कहा कि, ऑस्टियोआर्थराइटिस के प्रसार में लिंग अंतर के कारणों की जांच की जा रही है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि आनुवंशिकी, हार्मोनल कारण और शारीरिक अंतर इसमें अहम भूमिका निभाते हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि, अभी ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, रोकथाम और शुरुआती बचाव रणनीतियों पर गौर करने की आवश्यकता है, जिसमें महंगे, प्रभावी उपचार को कम और मध्यम आय वाले देशों में अधिक किफायती बनाना शामिल है।

उन्होंने कहा, स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों और सरकारों के पास गरीबी में जी रही आबादी की पहचान करने, मोटापे के कारणों से निपटने और ऑस्टियोआर्थराइटिस के बढ़ते मामलों को रोकने या धीमा करने के लिए प्रबंधन रणनीतियों को विकसित करना शामिल है।

Subscribe to our daily hindi newsletter