सांभरः तीन दिन में मिले 49 मृत कौए, सैंपल भोपाल भेजे, बर्ड फ्लू की आशंका

वर्ष 2020 की तरह सांभर में एक बार फिर पक्षियों की मौत ने डरा दिया हाै। इस बार बर्ड फ्लू की आहट मानी जा रही है। हालांकि सैंपल के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। 

By Madhav Sharma

On: Sunday 21 November 2021
 
Photo : सांभर में मृत कौए का शव, माधव शर्मा

सांभर एक बार फिर से पक्षियों की मौत के लिए खबर बन रहा है। बीते तीन दिन में 49 से अधिक मृत कौए मिले हैं। साथ ही एक कबूतर, 5 कौए और एक बाज घायल भी मिले हैं। जिनका इलाज पास की ही रेस्क्यू सेंटर में चल रहा है। जिस जगह मृत कौए मिले हैं, वहां वन विभाग, पशुपालन विभाग की टीम पहुंची है और शनिवार को चार सैंपल भोपाल की राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान के लिए भेजे हैं। भोपाल से रिपोर्ट्स आने के बाद ही यह साफ होगा कि पक्षी बर्ड फ्लू से मरे हैं या ये सामान्य मौत हैं।

बर्ड फ्लू की आशंका

तीन से लगातार हो रही मौत से बर्ड फ्लू की आशंकाओं को भी जन्म दिया है। क्योंकि बीते हफ्ते ही जोधपुर के कापरड़ा तालाब में 189 कुरजां (साइबेरियन क्रेन) की मौत बर्ड फ्लू से हुई है। शनिवार को भी 7 कुरजां की मौत हुई।  भोपाल स्थित लैब से आई रिपोर्ट के बाद कुरजां में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। इसीलिए अंदेशा है कि सांभर में भी कौओं की मौत बर्ड फ्लू से हो सकती है। हालांकि राहत की बात यह है कि मृत पक्षी सांभर झील के आसपास नहीं मिले हैं। ज्यादातर मृत कौए सांभर नगर पालिका के डंपिंग यार्ड के 500 मीटर के दायरे में मिले हैं। वन विभाग के सांभर में रेंजर बालू राम सारन ने डाउन-टू-अर्थ को बताया कि हमारी पूरी टीम राहत कार्य में लगी हुई है। शनिवार को 4 सैंपल भोपाल भेजे हैं। इनकी रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ स्पष्ट बताया जा सकेगा कि मौत बर्ड फ्लू से हुई है या कोई जहरीला दाना खाने से कौए मरे हैं।

बता दें कि बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) टाइप-1 वायरस है। जो इसके एच5एन1 वायरस से फैलता है। जोधपुर में बीते हफ्ते इसी वायरस के कारण 189 साइबेरियन क्रेन जिन्हें सामान्य भाषा में कुरजां कहा जाता है की मौत हो गई थी।

इसके बाद जोधपुर सहित प्रदेश में अन्य जगहों पर आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई। जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क में भी गोडावण की सुरक्षा के अतिरिक्त सुरक्षा के बंदोबस्त किए गए हैं। गोडावण के वाटर पॉइन्ट्स पर विशेष निगरानी की जा रही है। साथ ही कुछ चूजों की सामान्य पक्षियों से पहुंच दूर बना दी गई है ताकि संभावित खतरे से उन्हें बचाया जा सके। भारतीय वन्य जीव और राजस्थान वन विभाग के अधिकारी गोडावण के रहने की जगहों की लगातार निगरानी कर रहे हैं।

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