वैज्ञानिकों ने हैजा जैसी बीमारियों के बैक्टीरिया से निपटने के लिए विकसित किया नया तरीका

अध्ययन में हैजा और अन्य बीमारियों में दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया को मारने के लिए बैक्टीरियोफेज का उपयोग करने की नई रणनीति बनाने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है।

By Dayanidhi

On: Friday 10 May 2024
 
शोधकर्ताओं की टीम ने हैजे के बैक्टीरिया, उनके बैक्टीरियोफेज और एंटीबायोटिक दवाओं के बीच होने वाले बदलावों का विश्लेषण करने के लिए अध्ययन किया। फोटो साभार: आईस्टॉक

हैजा दुनिया भर में हर साल 21,000 से 1,43,000 लोगों की जान ले लेता है। इसे गरीबी की बीमारी माना जाता है, जो साफ पीने के पानी और स्वच्छता की कमी वाले क्षेत्रों को बुरी तरह से प्रभावित करती है।

मैकगिल विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी की शोधकर्ताओं की टीम ने हैजे के बैक्टीरिया, उनके बैक्टीरियोफेज और एंटीबायोटिक दवाओं के बीच होने वाले बदलावों का विश्लेषण करने के लिए अध्ययन किया। शोधकर्ताओं के अनुसार यह सबसे बड़े आनुवांशिक अध्ययनों में से एक है।

अध्ययन में हैजा और अन्य बीमारियों में दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया को मारने के लिए बैक्टीरियोफेज का उपयोग करने की नई रणनीति बनाने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है। यह नई जांच और एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम करने के लिए एक अहम तरीके का खुलासा करता है।

अध्ययन में कहा गया है कि हैजा एक विनाशकारी गंदे पानी से होने वाला संक्रमण है, जो हर साल लाखों मामलों और हजारों मौतों का कारण बनता है, जलवायु परिवर्तन के कारण इससे संबंधित खतरों में और बढ़ोतरी होने के आसार हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध भी एक भारी चिंता का विषय है और वर्तमान में दुनिया भर में वैकल्पिक संक्रमण विरोधी उपचार की जरूरत है।

अध्ययन के महत्वपूर्ण खोज में "प्रभावी शिकार" नामक अवधारणा शामिल है। शोधकर्ताओं ने पाया कि फेज शिकारियों का उनके जीवाणु शिकार के मुकाबले अधिक हल्के अनुपात के हैजे के मामलों से जुड़ा था। अध्ययनकर्ताओं  की टीम ने शोध में कहा है कि यह अनुपात आनुवंशिक आधार को दिखाने वाला पहला है।

इस अनुपात का उपयोग बीमारी की गंभीरता की पहचान करने के निशान के रूप में किया जा सकता है, जो उपचार पर चिकित्सक के निर्णयों की जानकरी देता है। यह बीमारी किस खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है इसका भी पूर्वानुमान लगा सकता है।

स्रोत : साइंस पत्रिका

फेज-बैक्टीरिया का एक साथ विकास:
हल्के पानी की कमी वाले हैजे के रोगियों में शिकारी (आईसीपी1)-से-शिकार (वीसी ) अनुपात अधिक होता है। (बाएं) जब अनुपात अधिक होता है (प्रभावी शिकार) और वीसी में आईसीई का अभाव होता है, तो वीसी में एनएस बिंदु उत्परिवर्तन की उच्च आवृत्ति का चयन किया जाता है। (दाएं) जब अनुपात कम होता है (अप्रभावी शिकार) और वीसी आईसीई पर फेज प्रतिरोध को एनकोड करता है, तो आईसीपी1 शक्तिशाली चयन के तहत होता है। साभार : साइंस पत्रिका 

शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने बांग्लादेश में हैजे के रोगियों के 2,574 मल के नमूनों में बैक्टीरिया और बैक्टीरियोफेज की परस्पर क्रिया का विश्लेषण करने के लिए उन्नत जीनोमिक तकनीकों का उपयोग किया। बांग्लादेश दुनिया में हैजे के मामलों की सबसे अधिक दरों वाले देशों में से एक है, यहां सालाना लगभग 1,00,000 मामले सामने आते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने नमूने 2018 और 2019 में एकत्र किए थे।

अध्ययन में कहा गया है कि शोधकर्ताओं की टीम ने नमूनों का गहन आनुवांशिक विश्लेषण किया।

शोध के अनुसार, जीवाणु और उसके फेज के बीच आनुवंशिक हथियारों की दौड़ का दस्तावेजीकरण हैजा और फेज पारिस्थितिकी के अध्ययन को जटिल बनाता है। यह एक दूसरे की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए विकसित होता है।

पहला  इसके अनुकूल होने की कोशिश करता है, वहीं, दूसरा इस पर प्रतिक्रिया करता है। यदि यह हावी या नियंत्रित करने वाली स्थिति में होता है, तो बैक्टीरिया की आनुवंशिक विविधता बढ़ जाती है। फिर, फेज की आबादी गिर जाती है। वायरस आनुवंशिक अनुकूलन के साथ प्रतिक्रिया करता है, आखिरकार यह फिर से पनपता है।

अध्ययनकर्ता ने कहा कि प्रभावी फेज थेरेपी विकसित करने से पहले क्लिनिकल परीक्षण सहित और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

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