वैज्ञानिकों ने 60 से अधिक देशों में बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध का सांख्यिकीय मॉडल किया विकसित

शोधकर्ताओं ने सांख्यिकीय मॉडल और एटलस डेटाबेस से एंटीबायोटिक प्रतिरोध के 2004 से 60 से अधिक देशों में एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया

By Dayanidhi

On: Wednesday 19 July 2023
 
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, डॉ ग्राहम बियर्ड्स

वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध के पीछे के मुख्य कारणों को समझने के लिए, स्थानीय विश्लेषण के आधार पर एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया है। एटलस में रोगाणुरोधी प्रतिरोध निगरानी डेटाबेस का उपयोग करते हुए, मॉडल ने बैक्टीरिया की प्रजातियों और कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध के आधार पर रुझानों और उससे संबंधित कारणों में अहम भिन्नताओं को उजागर किया है।

उदाहरण के लिए, अच्छी गुणवत्ता की स्वास्थ्य प्रणालियों वाले देशों में जांचे गए सभी बैक्टीरिया के बीच एंटीबायोटिक प्रतिरोध कम पाया गया था। जबकि अधिक तापमान की वजह से एंटीबायोटिक प्रतिरोध अधिक पाया गया। राष्ट्रीय स्तर पर एंटीबायोटिक के खपत का परीक्षण किए गए अधिकांश बैक्टीरिया के प्रतिरोध से कोई संबंध नहीं था। नतीजे बताते हैं कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध नियंत्रण उपायों को स्थानीय आधार और चुने हुए बैक्टीरिया के लिए एंटीबायोटिक मिश्रण के अनुसार अनुकूलित करने की आवश्यकता है।

यह अध्ययन फ्रांस के इंसर्म में इंस्टीट्यूट पाश्चर, यूनिवर्सिटी डी वर्सेल्स सेंट-क्वेंटिन-एन-यवेलिन्स और यूनिवर्सिटी पेरिस-सैकले के अध्ययनकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। इस अध्ययन के नतीजे द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

वर्तमान में एंटीबायोटिक प्रतिरोध (एबीआर) दुनिया भर में स्वास्थ्य के लिए सबसे अहम खतरों में से एक है। यह एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं का अनुचित उपयोग प्रतिरोध को चुन करके और जीवाणु संक्रमण के नियंत्रण करने वाली रणनीतियों को जटिल बना रहा है।

एंटीबायोटिक प्रतिरोध की दुनिया भर में निगरानी, विशेष रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तत्वावधान में स्थापित की गई है। इस तरह की घटनाओं से निपटने में मदद करने तथा इसके पीछे के कारणों को समझने हेतु दुनिया भर में एबीआर रिकॉर्ड करने के लिए कई डेटाबेस बनाए गए हैं।

स्रोत : द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ पत्रिका

एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया की प्रजातियों के आधार पर अलग-अलग होता है, लेकिन एक हालिया अध्ययन का अनुमान है कि 2019 में, दुनिया भर में 12.7 लाख मौतें एबीआर के कारण हुईं और अब तक एबीआर 49.5 लाख मौतों के लिए जिम्मेवार पाया गया है।

दुनिया भर में बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध से जुड़े मुख्य कारणों की पहचान करने के लिए, शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया और एटलस डेटाबेस से एंटीबायोटिक प्रतिरोध के आंकड़ों का विश्लेषण किया। जिसमें 2004 से हर महाद्वीप के 60 से अधिक देशों में एकत्र किए गए आंकड़े  शामिल हैं।

वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध के मुख्य कारणों को सामने लाने और यह समझने के लिए बड़ी संख्या में परीक्षण करके आंकड़ों  का विश्लेषण किया कि, वे दुनिया भर में किस तरह बढ़ रहे हैं।

शोधकर्ता इस बात का भी पता लगाते है कि, किसी व्यक्ति के शरीर में बैक्टीरिया से संबंधित एंटीबायोटिक प्रतिरोध कैसे उभरता है। लेकिन वर्तमान में हमारे पास जनसंख्या-स्तर, वैश्विक अवलोकन की कमी है जिसका उपयोग प्रतिरोध और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की गुणवत्ता जैसे विशिष्ट कारणों के बीच संबंधों की जांच करने के लिए किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, रोगजनक बैक्टीरिया की विभिन्न प्रजातियां हैं। बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध को समझने के लिए, हर स्तर पर इसका अध्ययन करने की आवश्यकता है। 

वैज्ञानिकों ने बताया कि, अध्ययन का पहला चरण इससे जुड़े कारणों का पता लगाना था जो एंटीबायोटिक प्रतिरोध गतिशीलता को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि कुछ जैविक कारणों के बारे में जानकारी है, लेकिन हमारे लिए सामाजिक-आर्थिक और जलवायु कारकों से जुड़ी परिकल्पनाओं की जांच करना भी महत्वपूर्ण था।

उन्होंने बताया कि, कुल ग्यारह स्वतंत्र कारणों को चुना गया, जिनमें स्वास्थ्य प्रणाली की गुणवत्ता (जीएचएस सूचकांक के आधार पर), एंटीबायोटिक खपत और राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, साथ ही यात्रा और जलवायु परिवर्तन के आंकड़े भी इसमें शामिल हैं। तब एटलस के आंकड़े और चुने हुए कारणों के बीच संभावित संबंधों का अध्ययन करने के लिए सांख्यिकीय मॉडल विकसित किए गए थे।

2006 से 2019 की अवधि के वैश्विक आंकड़ों के विश्लेषण से शुरू में कई प्रजातियों के लिए कार्बापेनम के प्रतिरोध में वृद्धि का पता चला, हालांकि अन्य प्रतिरोधों के लिए वैश्विक रुझान स्थिर थे। अध्ययन से यह भी पता चला कि बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध और कारक बैक्टीरिया-एंटीबायोटिक संयोजनों पर निर्भर करते हैं।

हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर एंटीबायोटिक खपत से संबंधित किए गए अधिकांश परीक्षण बैक्टीरिया के प्रतिरोध से नहीं जुड़े थे। जिनमें फ्लोरोक्विनोलोन-प्रतिरोधी एस्चेरिचिया कोली और स्यूडोमोनस एरुगिनोसा के लिए क्विनोलोन की खपत और कार्बापेनम-प्रतिरोधी एसिनेटोबैक्टर बॉमनी के लिए कार्बापेनम खपत को छोड़कर, अधिकतर में प्रतिरोध नहीं पाया गया।

इसके विपरीत, अच्छी स्वास्थ्य प्रणाली की गुणवत्ता परीक्षण किए गए सभी नकारात्मक बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध का स्तर कम पाया गया था। अधिक तापमान में एंटीबायोटिक प्रतिरोध अधिक पाया गया, लेकिन केवल एंटरोबैक्टीरियासी यानी एस्चेरिचिया कोली और क्लेबसिएला निमोनिया के लिए।

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष में कहा कि, इस अध्ययन से वैश्विक स्तर पर विभिन्न रोगजनक बैक्टीरिया के बीच एंटीबायोटिक प्रतिरोध के लिए मुख्य कारणों की विस्तृत श्रृंखला का पता चलता है और स्थानीय संदर्भ और विशिष्ट बैक्टीरिया-एंटीबायोटिक संयोजन के लिए प्रतिरोध को नियंत्रित  करने की आवश्यकता होती है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि, सांख्यिकीय मॉडल का अन्य डेटाबेस के साथ भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि डब्ल्यूएचओ का डेटाबेस। प्रतिरोध निर्धारकों की समझ में सुधार करना, जो एक देश से दूसरे देश में अलग-अलग होते हैं। शायद एक ही देश के क्षेत्रों में भी भिन्न होते हैं, यह महत्वपूर्ण है और अनुकूलन में सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय के लिए उपयोगी होगा।

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