प्रेरणा: विकास मित्र बन कर बच्चियों को आगे बढ़ा रही है संजना

संजना जिस समुदाय से हैं। वहां लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने में बहुत उत्साह नहीं दिखाया जाता है

On: Tuesday 09 January 2024
 
महादलित समुदाय को योजनाओं की जानकारी देती विकास मित्र संजना। फोटो: सिमरन सहनी

-सिमरन सहनी-

बिहार के मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर साहेबगंज प्रखंड के शाहपुर गांव की रहने वाली महादलित समुदाय की 22 वर्षीय संजना कुमारी हाल ही में विकास मित्र के पद पर चयनित हुई हैं। 

संजना बताती है कि वह दो बहनें और एक भाई है। जब वह मैट्रिक करने वाली थी, तभी पिता का देहांत हो गया। उनके गुजरने के बाद घर की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई। घर चलाने के लिए दोनों बहनों को आगे आना पड़ा।

बड़ी बहन बच्चों को ट्यूशन और कोचिंग देने लगी, वहीं संजना सिलाई करके अपने घर को चलाने में मदद करने लगी। संजना की मां सरिता देवी कहती हैं कि खेती करके अपने बच्चों का भरण-पोषण व पढ़ाई-लिखाई पूरी कराई। पति के गुजरने के बाद गांव-समाज एवं रिश्तेदारों ने यह कह कर बेटियों की शादी के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया कि पढ़ाई में लगने वाले खर्चों से उनकी शादी हो जाएगी, लेकिन मैंने शादी की बात छोड़ बेटियों को आगे पढ़ने की ठानी।

इसके लिए गांव-समाज से भी लड़ाई लड़नी पड़ी। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई।  संजना का साहेबगंज ब्लॉक में विकास मित्र के पद पर बहाली हो गई, वहीं बड़ी बहन शिक्षक भर्ती की तैयारी में लगी है, जबकि उसका छोटा भाई आठवीं कक्षा में पढ़ रहा है।

संजना कहती है कि पढ़ाई से लेकर नौकरी तक का सफर बहुत कठिन था। समाज ने तो पूरी कोशिश की थी कि किसी तरह से मेरी पढ़ाई छूट जाए और मैं आगे न बढ़ सकूं,  लेकिन मां किसी दबाव के आगे न झुकते हुए हर स्तर पर हम दोनों बहनों का साथ दिया। 

वह कहती हैं, “मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि लड़कियां किसी से कम नहीं होती हैं। उसे पढ़ाओ और इस लायक बनाओ कि उसे किसी के सामने झुकना ना पड़े।” संजना की हिम्मत ने न केवल उसके जीवन को बदला है, बल्कि समाज में भी बदलाव की बयार शुरू हो गई है। 

अब इस समुदाय की अन्य लड़कियों ने भी पढ़ाई के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है।  वह अपनी शिक्षा का हक मांगने लगी हैं. इस संबंध में 17 वर्षीय बबीता कहती है कि संजना दीदी की वजह से हमें भी पढ़ने का मौका मिलने लगा है। उनकी सफलता को देखकर अब हमारे माता-पिता भी उच्च शिक्षा के लिए मान गए हैं। बहुत ही गर्व की बात है कि संजना दीदी ने गांव और समाज में मिसाल कायम की है। 

संजना के विकास मित्र पद पर बहाली में गांव के मुखिया अमलेश राय का बहुत बड़ा योगदान है। इस संबंध में वह कहते हैं कि संजना महादलित समुदाय की हैं। जहां लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने में बहुत उत्साह नहीं दिखाया जाता है। इस समुदाय में लड़की के 12वीं के बाद ही शादी कर देना आम बात है, लेकिन उसकी सफलता से आसपास के गरीब व झुग्गी बस्तियों में रहने वाली महादलित समुदाय की लड़कियों में भी पढ़-लिख कर आत्मनिर्भर बनने की चाह जगने लगी है। 

आज संजना घर की आर्थिक जरूरतों को पूरी करके छोटे भाई की पढ़ाई के साथ-साथ पंचायत में महिला सशक्तीकरण व स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी फैला रही है।

बिहार में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं व कार्यों को दलित-महादलित परिवार तक पहुंचाने के लिए विकास मित्र की बहाली की जाती है। यह बहाली पंचायत स्तर पर की जाती है। अलग-अलग जिले के पंचायतों में विकास मित्र की बहाली होती है। 

इन्हें सरकार की ओर से 15,481रु प्रतिमाह मानदेय मिलता है। विकास मित्र को अपने ही पंचायत के महादलित परिवार की आधारभूत संरचना का सर्वे करना, सामाजिक सुरक्षा से संबंधित योजना की जानकारी देना, वृद्धापेंशन, बचत खाता, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण आदि से संबंधित योजनाओं की पड़ताल व क्रियान्वयन कराने की जवाबदेही होती है। 

बिहार में दलित व महादलित परिवार में अधिकांश लड़कियां पढ़ाई-लिखाई की उम्र में विवाह कर दी जाती हैं। इन बस्तियों में सरकारी की सारी योजनाएं सही क्रियान्वयन व जागरूकता के अभाव में दम तोड़ देती हैं। परिणामतः कम उम्र में ही किशोरियां मां बनकर मानसिक व शारीरिक रूप से अक्षम, बीमार व कमजोर हो जाती हैं। 

ऐसे में केवल सरकार के ऊपर ठिकरा फोड़ने की बजाय ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों व पढ़े-लिखे लोगों की ज़िम्मेदारी है कि वह इन बस्तियों में जाकर इनके जीवन में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व जीवन के विविध आयामों से अवगत कराएं। 

स्वस्थ समाज का निर्माण तब संभव है जब हम उपेक्षित, अछूत, अशिक्षित और गरीब समुदाय विशेषकर उन समुदायों की महिलाओं और किशोरियों को शिक्षित और सशक्त बनाने का प्रयास करें। (चरखा फीचर)

Subscribe to our daily hindi newsletter