कोरोनाकाल में माहवारी वाली महिलाओं-लड़कियों के लिए सैनटरी नैपकिन के संकट ने बढ़ाया सेहत का खतरा
कई गरीब महिलाएं अब भी महावारी के दौरान साफ-सफाई के लिए ऐसे साधनोें का इस्तेमाल करती हैं जो उन्हें गंभीर संक्रमण दे सकते हैं। कोरोनाकाल में सैनटरी नैपकिन का इस्तेमाल काफी कम हुआ है
On: Monday 25 January 2021
माहवारी करने वाली केवल 18 फीसदी महिलाओं को ही सैनटरी नैपकिन उपलब्ध हो पाता है। कोविड-19 की महामारी के दौरान सैनटरी नैपकिन का इस्तेमाल और ज्यादा कम हो गया है। काम न मिलने के कारण बहुत से लोगों की प्राथमिकता भोजन हासिल करना हो गई और माहवारी को सही तरीके से प्रबंधित नहीं किया जा सका।
खराब तरीके से माहवारी प्रबंधित करने वाली महिलाओं में फंगल व बैक्टरीया वाले संक्रमण हो सकते हैं। यह हेपेटाइटिस बी और सर्विकल कैंसर जैसा जानलेवा जोखिम भी पैदा कर सकते हैं। वहीं, माहवारी को ठीक से प्रबंधित न किया जाए तो संबंधित महिला में भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव पड़ सकते हैं, उसका आत्मविश्वास भी कमजोर हो सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल जाने वाली अधिकांश लड़कियां सैनटरी पैड अपने स्कूलों से हासिल करती थीं, कोविड के समय में स्कूल बंद होने के कारण उन्हें यह सुविधा भी नहीं ममिल पाई। महिलाओं के लिए सैनटरी पैड हासिल करना अब भी एक बड़ी चुनौती है।
स्वच्छ भारत-स्वस्थ्य भारत कार्यक्रम के तहत साथी और डोरी सखी ने 72वें गणतंत्र दिवस से एक दिन पूर्व स्वस्थय सखी अभियान केत तहत चेन्नई के केंद्रीय रेलवे स्टेशन और राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल में प्लास्टिक मुक्त सैनटरी नैपकिन बांटकर विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। एक दिन के भीतर कुल 20 हजार सैनटरी नैपकिन बांटे गए।
गरीब महिलाओं को बायोडिग्रेडिबल सैनटरी नैपकिन उपलब्ध कराने वाली साथी संस्था के मुताबिक कई महिलाएं माहवारी के दौरान ऐसे अभ्यास करती हैं जो गंभीर तरीके से स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। मसलन, माहवारी के दौरान खून आदि सोखने के लिए बालू का इस्तेमाल, पुराने कपड़ों का इस्तेमाल, उसी कपड़े का दोबारा इस्तेमाल, सूखी पत्तियों का इस्तेमाल, न्यूजपेपर आदि प्रयोग करती हैं।
साथी और डोरी सखी के इस अभियान को दर्ज करने के लिए गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एशिया प्रमुख गौरी शंकर रथी मौजूद थे। वहीं साथी से डॉ मनीष बिश्नोई और तरुण बोथरा व डोरी सखी से नीलम शारदाने अभियान को आगे बढ़ाया। राजस्थान पत्रिका की टीम भी इस अभियान का हिस्सा रही।