कभी भी गंगा सागर में डूब सकता है कपिलमुनि मंदिर

जलस्तर बढ़ने से जमीन का कटाव हो गया है और अगर इसी तरह कटाव जारी रहा, तो बहुत जल्द कपिलमुनि मंदिर भी पानी में समा जाएगा

By Umesh Kumar Ray

On: Wednesday 11 September 2019
 
कपिलमुनि मंदिर परिसर में खड़ा बारिश का पानी। फोटो: उमेश कुमार राय

सुंदरवन के सागरद्वीप में स्थित कपिलमुनि मंदिर खतरे में है। यहां हर साल गंगासागर मेला लगता है, जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं और मकरसंक्रांति के दिन गंगासागर में डुबकी लगाते हैं, लेकिन नदी में तेजी से बढ़ते जलस्तर के चलते कपिलमुनि मंदिर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। जानकार बताते हैं कि जलस्तर बढ़ने से जमीन का कटाव हो गया है और अगर इसी तरह कटाव जारी रहा, तो बहुत जल्द कपिलमुनि मंदिर भी पानी में समा जाएगा।

सागरद्वीप के विधायक बंकिम हाजरा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि जलस्तर बढ़ने के साथ ही नदी में हरकत बढ़ रही है, जिससे कटाव भी तेजी से हो रहा है। मंदिर की तरफ जानेवाली एक नंबर सड़क से पांच नंबर सड़क तक कटाव ज्यादा हो रहा है। अगर ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान आधा डिग्री का इजाफा हो जाता है, तो निश्चित तौर पर मंदिर नदी में चला जाएगा।

उन्होंने मंदिर की तरफ बढ़ रहे कटाव को लेकर राज्य सरकार को आगाह भी कर दिया है। हाजरा ने कहा, “हमने राज्य सरकार को इससे अवगत कराया है और इस समस्या को देखते हुए सी वाल तैयार करने की योजना पर काम चल रहा है।”

राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया कि रोड नंबर एक से लेकर रोड नंबर पांच तक लगभग दो किलोमीटर में वाल तैयार किया जाएगा, ताकि मंदिर को बचाया जा सके। बंकिम हाजरा ने बताया कि आईआईटी चेन्नई और कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट इस पर काम करेंगे।

कपिलमुनि मंदिर काफी पुराना है और इस जगह के साथ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए हिन्दुओं के लिए इसका विशेष महत्व है। बताया जाता है कि ऋषि कपिलमुनि इसी जगह अपने आश्रम में ध्या लगा रहे थे। उसी वक्त राजा सागर के 60 हजार पुत्र अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा खोजने के लिए वहां पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि कपिलमुनि के आश्रम के पास ही घोड़ा बंधा हुआ है। राजा पुत्रों को लगा कि कपिलमुनि ने ही घोड़ा चुराया होगा, इसलिए वे मुनि को भला-बुरा कहने लगे। इससे कपिलमुनि नाराज हो गए और राजा सागर के सभी पुत्रों को भस्म कर दिया। राजा सागर ने पुत्रों के बारे में पता लगाने के लिए अपने पोते को भेजा। उनका पोता उन्हें खोजते हुए सागरद्वीप में कपिलमुनि के आश्रम में पहुंचे। वहां उन्हें पूरी घटना के बारे में पता चला, तो उन्होंने कपिलमुनि से पूछा कि 60 हजार पुत्र जीवित कैसे होंगे। इस पर ऋषि ने कहा कि गंगा को जमीन पर लाना होगा। पौराणिक कथा ये भी है कि राजा सागर के वंशज भगीरथ गंगा को सागरद्वीप में कपिलमुनि के आश्रम तक लेकर आए और यहां गंगा, सागर में मिल गई। उसी समय से यह तीर्थस्थल बन गया।

कहते हैं कि कपिलमुनि का मंदिर सन् 1437 में स्वामी रामानंद ने स्थापित किया था। हालांकि, पहला मंदिर वर्तमान जगह से काफी दूर था, लेकिन नदी का पानी बढ़ने के कारण कम से कम तीन बार मंदिर टूट चुका है। मंदिर जब भी टूटा तो उसे पानी से दूर स्थापित किया गया।

तीन दशक से गंगासागर मेले में श्रद्धालुओं के लिए राहत शिविर लगानेवाले प्रेमनाथ दुबे ने डाउन टू अर्थ को बताया, “पिछले साल जहां पानी था, इस साल उससे 50 मीटर भीतर आ गया है और अगर पानी इसी तरह बढ़ता रहा, तो 10 साल में मंदिर तक पहुंच जाएगा।”

सुंदरवन को लेकर कई शोध कर चुके जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तुहीन घोष कटाव की दो वजह मानते हैं- पहली वजह जलवायु परिवर्तन और दूसरी वजह नदी से होकर जहाजों का आवागमन।

उन्होंने कहा, “जब इस रूट से भारी मालवाही जहाजों का आना जाना शुरू हुआ था, तब सागरद्वीप के पश्चिमी हिस्से में गाइड वाल लगाने की बात हुई थी ताकि इसका असर द्वीप पर न पड़े।, लेकिन गाइड वाल लगा नहीं, नतीजतन जहाज के चलने से पानी में हिलोरें उठती हैं, जिससे पश्चिमी ओर जमीन का कटाव हो रहा है।” प्रो. घोष ने आगे कहा कि सागरद्वीप के दक्षिणी व पूर्वी हिस्से में जो कटाव हो रहा है, उसकी वजह जलवायु परिवर्तन के कारण जलस्तर का बढ़ना है। उनका मानना है कि इस हिस्से में कटाव इसी तरह बरकरार रहेगा।

गौरतलब है कि सुंदरवन क्षेत्र में जलस्तर बढ़ने के कारण अब तक कम से कम तीन द्वीप पानी में समा चुके हैं। कुछ साल पहले इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन (इसरो) की तरफ से जारी की गई एक रिपोर्ट में 10 सालों के सैटेलाइट डेटा का विश्लेषण कर कहा गया कि सुंदरवन (सागरद्वीप सुंदरवन के अंतर्गत आता है) का 9990 हेक्टेयर भूखंड दस वर्षों में पानी  में समा चुका है। कई द्वीप अब भी अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। सुंदरवन का ही घोड़ामार आईलैंड कभी 8 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ था। लेकिन अभी इसकी चौहदी पांच वर्ग किलोमीटर से कम रह गई है।   

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