प्रशांत महासागर के गर्म होने से भारत में चक्रवातों में वृद्धि के आसार: अध्ययन

ग्लोबल वार्मिंग और एक चक्रीय घटना पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन का संयोग, हर 20 से 30 सालों में होता है, आने वाले सालों में भूमध्य रेखा के पास उत्पन्न होने वाले चक्रवातों को और अधिक बार पैदा कर सकता है

By Dayanidhi

On: Tuesday 29 August 2023
 
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

भूमध्य रेखा के पास उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात विनाशकारी होते हुए भी हाल के दशकों में असामान्य रूप से कम हुए हैं। भारतीय पड़ोस में इस तरह का आखिरी बड़ा चक्रवात 2017 का चक्रवात ओक्ची था जिसने केरल, तमिलनाडु और श्रीलंका को तबाह कर दिया था।

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग और हर 20 से 30 साल में दोहराई जाने वाली पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (पीडीओ) नामक एक चक्रीय घटना का संयोग, आने वाले सालों में ऐसे चक्रवातों को बार- बार बना सकता है।

1951 से 1980 की तुलना में 1981 से 2010 में ऐसे भूमध्यरेखीय-उत्पत्ति चक्रवातों की संख्या 43 फीसदी कम थी और इसका कारण पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (पीडीओ) का गर्म या सकारात्मक चरण में होना था। मध्य विषुवतीय प्रशांत क्षेत्र का गर्म होना, जिसे एल नीनो कहा जाता है, अक्सर भारत में कम बारिश के लिए जाना जाता है, जबकि सामान्य से कम तापमान, या ला नीना, अत्यधिक बारिश से जुड़ा होता है।

इस पैटर्न को सामूहिक रूप से एल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) घटना कहा जाता है, जो प्रशांत क्षेत्र में दो से सात वर्षों में दोहराया जाता है। हालांकि, पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (पीडीओ) साल भर में होने वाली घटना नहीं है और औसत से अधिक गर्म पश्चिमी प्रशांत महासागर और अपेक्षाकृत ठंडे पूर्वी प्रशांत महासागर से मेल खाती है, हालांकि यह बहुत लंबी अवधि में होता है।

ईएनएसओ के विपरीत, जिसका चरण किसी भी साल निर्धारित किया जा सकता है, पीडीओ का 'सकारात्मक' या 'गर्म चरण' समुद्र के तापमान को मापने और वायुमंडल के साथ प्रभाव के कई वर्षों के बाद ही जाना जा सकता है।

अध्ययनकर्ता ने बताया कि, 2019 में, पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (पीडीओ) ने ठंडे, नकारात्मक चरण में प्रवेश किया और यदि ऐसा ही रहा, तो इसका मतलब मॉनसून के बाद के महीनों में अधिक उष्णकटिबंधीय चक्रवात पैदा हो सकते हैं जो भूमध्य रेखा के पास उत्पन्न होते हैं।

भूमध्य रेखा के पास चक्रवातों का बनना आमतौर पर दुर्लभ है, लेकिन जब पानी गर्म होता है, तो वे अधिक नमी हासिल कर सकते हैं और तीव्रता में वृद्धि कर सकते हैं।

अध्ययनकर्ता ने कहा वर्तमान में प्रशांत महासागर में अल नीनो विकसित हो रहा है, जिसका प्रभाव मध्य और दक्षिणी भारत में पहले से ही दिखाई दे रहा है, जिसके कारण 7 से 17 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है। पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (पीडीओ) का एक घटना के रूप में अध्ययन कम किया गया है।

सकारात्मक पैसिफिक डेकाडल ऑसिलेशन (पीडीओ) वाला एल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) आम तौर पर अच्छा नहीं होता है, लेकिन जब इसे नकारात्मक पीडीओ के साथ जोड़ा जाता है, तो यह भारत में अधिक बारिश लाता है।

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