भारत की नदियां सूखी: 13 नदियों में पिछले साल के मुकाबले काफी कम हुआ पानी का स्तर

भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण क्षमता उनकी कुल क्षमता का 36 प्रतिशत तक गिर गई है

By Shagun

On: Monday 01 April 2024
 
Photo: iStock

महानदी और पेन्नार के बीच पूर्व की ओर बहने वाली कम से कम 13 नदियों में इस समय पानी नहीं है। इनमें रुशिकुल्या, बाहुदा, वंशधारा, नागावली, सारदा, वराह, तांडव, एलुरु, गुंडलकम्मा, तम्मिलेरु, मुसी, पलेरु और मुनेरु शामिल हैं। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई है।

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा राज्यों के 86,643 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) क्षेत्र से बहती हुई नदियाँ सीधे बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इस बेसिन में कृषि भूमि कुल क्षेत्रफल का लगभग 60 प्रतिशत है और गर्मी के चरम से पहले ही यह स्थिति चिंताजनक है।

संयुक्त बेसिन में महत्वपूर्ण शहर विशाखापत्तनम, विजयनगरम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी, श्रीकाकुलम और काकीनाडा शामिल हैं।

सीडब्ल्यूसी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल बेसिन में भंडारण में लगातार गिरावट आ रही है। 22 फरवरी को यह 0.062 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम), 29 फरवरी को 0.043 बीसीएम, 7 मार्च को 0.024 बीसीएम, 14 मार्च को 0.005 बीसीएम और 21 मार्च को शून्य था। 28 मार्च को सीडब्ल्यूसी के साप्ताहिक बुलेटिन के मुताबिक बेसिन में फिर से कोई भंडारण नहीं था। 

पिछले साल इस दौरान बेसिन की क्षमता का 32.28 फीसदी भंडारण था। 

भारत मौसम विज्ञान डेटा (आईएमडी) के अनुसार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 1 मार्च से बारिश में 'बड़ी कमी' (क्रमशः 65 और 67 प्रतिशत) रिकॉर्ड की गई। 

भारत में नदी प्रणालियां सिंचाई, पीने और घरेलू खपत के लिए पानी के साथ-साथ सस्ते परिवहन और बिजली भी उपलब्ध कराती हैं। नदी घाटियों में पानी की कमी उन क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, आजीविका और कृषि गतिविधियों को गंभीर रूप से असर डालती है, खासकर वो जो जल आपूर्ति के लिए नदियों पर निर्भर हैं।

 

स्रोत: केंद्रीय जल आयोग

 लेकिन अधिकांश बेसिनों में उनकी लाइव (चालू) स्टोरेज क्षमता 40 प्रतिशत से कम दर्ज की गई। सीडब्ल्यूसी के पास जिन 20 नदी बेसिनों का डेटा उपलब्ध है, उनमें से कम से कम 12 नदी बेसिनों में पानी का भंडारण पिछले साल की तुलना में कम है।

कावेरी, पेन्नार और पेन्नार और कन्नियाकुमारी के बीच पूर्व की ओर बहने वाली नदियां भी सबसे अधिक प्रभावित हैं, जिनमें जल भंडारण की कमी या अत्यधिक कमी है।

इस बीच देश के सबसे बड़े बेसिन गंगा बेसिन में कुल क्षमता के आधे से भी कम (41.2 प्रतिशत) पानी का भंडारण रिकॉर्ड किया गया। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में भी कम है।

11 राज्यों के लगभग 286,000 गांव गंगा बेसिन पर स्थित हैं, जहां पानी की उपलब्धता घट रही है। यह चिंताजनक है, क्योंकि यहां कृषि भूमि कुल बेसिन क्षेत्र का 65.57 प्रतिशत है।

नर्मदा, तापी, गोदावरी, महानदी और साबरमती नदी घाटियों में उनकी क्षमता के सापेक्ष क्रमशः 46.2 प्रतिशत, 56 प्रतिशत, 34.76 प्रतिशत, 49.53 प्रतिशत और 39.54 प्रतिशत भंडारण रिकॉर्ड किया गया।

सीडब्ल्यूसी के अनुसार, पिछले पांच वर्षों के औसत के आधार पर गंगा सहित उपरोक्त सभी में भंडारण की स्थिति या तो 'सामान्य से बेहतर' या 'सामान्य' मानी जाती है।

हालांकि, आईआईटी गांधीनगर द्वारा संचालित भारत सूखा मॉनिटर के अनुसार, नदी बेसिन की सीमाओं के भीतर कई क्षेत्र 'अत्यधिक' से 'असाधारण' सूखे से गुजर रहे हैं।

27 मार्च, 2024 तक सूखे की स्थिति

 

नदी बेसिन मानचित्र से पता चलता है कि गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, कावेरी के बेसिन के कई क्षेत्र अलग-अलग स्तर के सूखे का सामना कर रहे हैं। स्रोत: भारत सूखा मॉनिटर, आईआईटी गांधीनगर

मॉनिटर के अनुसार, कुल मिलाकर देश में कम से कम 35.2 प्रतिशत क्षेत्र वर्तमान में 'असामान्य' से 'असाधारण' डिग्री के सूखे के अंतर्गत है। चिंताजनक बात यह है कि इसमें से 7.8 प्रतिशत क्षेत्र 'अत्यधिक' सूखे की स्थिति में है और 3.8 प्रतिशत क्षेत्र 'असाधारण' सूखे के अंतर्गत है। एक साल पहले यह क्रमश: 6.5 फीसदी और 3.4 फीसदी थी.

कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्य वर्षा की कमी के कारण सूखे और सूखे जैसी स्थितियों से जूझ रहे हैं, जिससे देश के प्रमुख जलाशय भी सूख गए हैं।

भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण क्षमता उनकी कुल क्षमता का 36 प्रतिशत तक गिर गई है, कम से कम छह जलाशयों में कोई जल भंडारण रिकॉर्ड नहीं किया गया है।

कम से कम 86 जलाशय ऐसे हैं जिनमें भंडारण या तो 40 प्रतिशत या उससे कम है। 28 मार्च को जारी सीडब्ल्यूसी के साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार, इनमें से अधिकांश दक्षिणी राज्यों और महाराष्ट्र और गुजरात में हैं।

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