क्या जलवायु में आते बदलावों का आईना है पाकिस्तान में आई बाढ़?
अनुमान है कि 2090 तक पाकिस्तान के तापमान में 4.9 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने की आशंका है जोकि वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है
On: Thursday 01 September 2022


पाकिस्तान में बाढ़ ने इस तरह कहर बरसाया है कि वहां जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ में तीन-चौथाई जिले प्रभावित हैं। इस बाढ़ ने वहां रहने वाले 3.3 करोड़ लोगों के जीवन पर असर डाला है, जबकि 64 लाख लोगों को तुरंत मदद की जरूरत है।
पाकिस्तान सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बाढ़ को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है। वहीं 66 जिलों को भी "आपदा प्रभावित" घोषित किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बाढ़ में अब तक 1,100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें 350 बच्चे भी शामिल हैं। वहीं 1,600 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 2.87 लाख से ज्यादा घर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं।
बर्बादी का आंकड़ा सिर्फ इतना ही नहीं है। इस बाढ़ में अब तक 7.35 लाख मवेशी मारे जा चुके हैं। वहीं 20 लाख एकड़ में फैली फसलों को नुकसान पहुंचा है। इस बारे में डब्ल्यूएचओ द्वारा साझा जानकारी से पता चला है कि पाकिस्तान में मध्य जुलाई से शुरू हुई भारी मानसूनी बारिश का कहर अब भी देश के कई हिस्सों में जारी है।
बाढ़ ने पाकिस्तान के 154 में से 116 जिलों को प्रभावित किया है। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांत सिंध है, उसके बाद बलूचिस्तान में भारी तबाही की जानकारी मिली है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के अनुसार पाकिस्तान के बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में पिछले तीन दशकों की औसत वर्षा चार गुना से ज्यादा हो गई है।
हालात यह हैं कि करीब 4.21 लाख लोगों को अपने ही देश में शरणार्थी बनना पड़ा है। अधिकारियों का अनुमान है कि बाढ़ से करीब 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है और इससे उबरने में पाकिस्तान को बरसों लग जाएंगें।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस बाढ़ से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई है। 28 अगस्त, 2022 तक, देश में 900 स्वास्थ्य सुविधाओं को बाढ़ से नुकसान पहुंचा है, जबकि 180 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। ऐसे में कोरोना, हैजा, टाइफाइड, खसरा और पोलियो जैसी बीमारियों के खतरों से जूझ रही स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए स्थिति कहीं ज्यादा संगीन हो गई है।
30 लाख से ज्यादा बच्चों को है मानवीय सहायता की जरुरत
वहीं यूनिसेफ के अनुसार बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में 30 लाख से ज्यादा बच्चों को मानवीय सहायता की जरुरत है, क्योंकि बाढ़ के साथ-साथ वहां बीमारियों और कुपोषण का खतरा भी काफी बढ़ गया है। इतना ही नहीं जानकारी मिली है कि हजारों स्कूलों के क्षतिग्रस्त होने के साथ शिक्षा के बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
आशंका है कि आने वाले दिनों में स्थिति बद से बदतर हो सकती है क्योंकि पहले से ही जलमग्न क्षेत्रों में भारी बारिश का कहर अब भी जारी है। इन क्षेत्रों में पहले ही कुपोषण का स्तर काफी ऊंचा है। ऊपर से पानी और स्वच्छता की कमी बड़ी समस्या पैदा कर रही है। बाढ़ से दवाएं नष्ट हो गई हैं और स्वास्थ्य कर्मी बेघर हो गए हैं। ऐसे में हैजा जैसी बीमारियों का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ गया है।
मीडिया में छपी खबरों से पता चला है कि बाढ़ ने मोहनजोदड़ो में मृतकों का टीला और सिंध प्रांत में स्थित सदियों पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता के अंतिम अवशेषों में से एक कोट दीजी को भी नहीं छोड़ा है इनको भी भारी नुकसान हुआ है।
जलवायु से जुड़े खतरों के हॉटस्पॉट हैं भारत, पाकिस्तान
बाढ़ के बारे में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कहना है कि बाढ़ के पीछे जलवायु में आते बदलावों का हाथ है। वहीं पाकिस्तानी जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने बाढ़ को जलवायु के कारण आई तबाही बताया है और कहा है कि दक्षिण एशियाई देश पश्चिमी देशों द्वारा उपयोग किए फॉसिल फ्यूल की कीमत चुका रहे हैं।
उनका कहना है कि पाकिस्तान में कस्बे नदियां और सागर बन गए हैं। लेकिन जलवायु में आते बदलावों के कारण उन्हें आशंका है कि अगले कुछ हफ्तों में देश सूखे का सामना करने को मजबूर होगा। रहमान के मुताबिक पाकिस्तान वैश्विक उत्सर्जन के एक फीसदी से भी कम के लिए जिम्मेवार है। लेकिन इसके बावजूद वो जलवायु संकट के मामले में आठवां सबसे कमजोर देश है।
पाकिस्तान में आई बाढ़ के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि पाकिस्तानी आवाम "स्टेरॉयड पर मानसून" का सामना कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने दक्षिण एशिया को जलवायु संकट के लिए एक हॉटस्पॉट बताया है। इतना ही नहीं गुटेरेस का कहना है कि जलवायु संकट के इन हॉटस्पॉट्स में रहने वाले लोगों के जलवायु में आते बदलावों के कारण मरने की संभावना 15 गुना ज्यादा है।
The Pakistani people are facing a monsoon on steroids. More than 1000 people have been killed - with millions more lives shattered.
— António Guterres (@antonioguterres) August 30, 2022
This colossal crisis requires urgent, collective action to help the Government & people of Pakistan in their hour of need. pic.twitter.com/aVFFy4Irwa
यदि एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा जारी पाकिस्तान क्लाइमेट रिस्क प्रोफाइल से पता चला है कि बढ़ता तापमान पाकिस्तान के लिए भी एक बड़ी समस्या है। अनुमान है कि 2090 तक पाकिस्तान के तापमान में 4.9 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि होने की आशंका है जोकि वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है। अनुमान है कि इसकी वजह से पाकिस्तान में गेहूं, धान, कपास, गन्ना, मक्का सहित कई प्रमुख फसलों में गिरावट आ सकती है।
पता चला है कि बढ़ते तापमान के कारण पाकिस्तान में बाढ़ का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा। अनुमान है कि 2044 तक देश में करीब 50 लाख लोगों के नदियों में आने वाली बाढ़ की चपेट में आने की आशंका है। वहीं सदी के अंत तक तटीय बाढ़ के संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या में हर साल लगभग 10 लाख की वृद्धि होने की आशंका है।