शोधकर्ताओं ने बाढ़ की बेहतर शुरुआती चेतावनी के लिए एक असरदार प्रणाली विकसित की

शोध टीम ने एक बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की है जो न केवल समय पर जल स्तर संबंधी जानकारी प्रदान करती है बल्कि तेज, उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले बाढ़ का नक्शा भी प्रदान करती है।

By Dayanidhi

On: Friday 17 May 2024
 
बाढ़ से पहले या बाढ़ के दौरान किसी भी आवश्यक निकासी उपाय शुरू करने के लिए प्रभावित आबादी को जितनी जल्दी हो सके पहले से सूचित किया जाना चाहिए। फोटो साभार: सीएसई

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ जैसी चरम घटनाएं बार-बार होने लगी है। शोध में शोधकर्ताओं ने भविष्य में आबादी की बेहतर सुरक्षा के लिए बाढ़ की सटीक और तेज पूर्वानुमान के तरीकों को विकसित करने का दावा किया है।

हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल रिसर्च (यूएफजेड) और जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (जीएफजेड) की शोध टीम ने एक बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की है जो न केवल समय पर जल स्तर संबंधी जानकारी प्रदान करती है बल्कि तेज, उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले बाढ़ का नक्शा भी प्रदान करती है।

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ता विभिन्न पूर्वानुमान मॉडलों को इस तरह से जोड़ने में सक्षम हैं कि हर एक इमारत पर बाढ़ के प्रभाव का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सके।

पिछले वर्षों में, बाढ़ की घटनाओं के स्थानीय पूर्वानुमान में काफी प्रगति हुई है। इस प्रकार अब नदी गेज के स्थानों पर अधिकतम बाढ़ स्तर के बारे में पूर्वानुमान लगाना संभव है। हालांकि, अब तक, शहरों पर बाढ़ के प्रभावों का अनुमान कम या पूरी तरह से गलत रहा, खासकर निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए।

हालांकि, यह जानकारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाढ़ से पहले या बाढ़ के दौरान किसी भी आवश्यक निकासी उपाय शुरू करने के लिए प्रभावित आबादी को जितनी जल्दी हो सके पहले से सूचित किया जाना चाहिए।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि एक अत्याधुनिक शुरुआती बाढ़ की चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता है जो समय पर उच्च-रिज़ॉल्यूशन बाढ़ का पूर्वानुमान प्रदान करती है। इस तरह से बाढ़ के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण सुधार होगा।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध में, नई बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने के पहले चरण में, शोधकर्ताओं ने जर्मन मौसम सेवा के बारिश के पूर्वानुमानों को यूएफजेड में विकसित मेसोस्केल हाइड्रोलॉजिकल मॉडल (एमएचएम) के साथ जोड़ा। यह मॉडल न केवल पानी के बहने के बारे में जानकारी प्रदान करता है, बल्कि मिट्टी की नमी की जानकारी भी प्रदान करता है जो बाढ़ के बढ़ने के महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

यूएफजेड और जीएफजेड दोनों के संयुक्त पूर्वानुमान मॉडल ने अहर घाटी में भीषण बाढ़ की घटना के पुनर्निर्माण में पहला परीक्षण पास किया।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा गर्मी से शुरू होने वाले एक और परीक्षण चरण में, बाडेन-वुर्टेमबर्ग में फिल्स और मूर नदियों के दो अतिरिक्त जलग्रहण क्षेत्रों में हेल्महोल्ट्ज जलवायु पहल के दूसरे चरण के हिस्से के रूप में स्वचालित मॉडल श्रृंखला का वास्तविक समय में परीक्षण किया जाएगा।

शोध में कहा गया है कि यदि मॉडल प्रणाली भी इस चरण से गुजरती है, तो इसे बाढ़ के भारी खतरे वाले क्षेत्रों के लिए लागू किया जा सकता है। यह मौजूदा बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणालियों को मजबूत कर सकता है और बाढ़ के प्रभावों को शामिल करने के लिए पूर्वानुमानों को बढ़ा सकता है। इससे भविष्य में बाढ़ के कारण प्रभावित होने वाली आबादी और संपत्ति के नुकसान में काफी कमी आ सकती है।

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