प्रदूषण के साथ हुआ 2024 का आगाज, दिल्ली सहित 24 शहरों में जानलेवा रही हवा

2024 का आगाज भी वायु प्रदूषण के साथ हुआ, यही वजह है कि दिल्ली सहित 24 शहरों में वायु गुणवत्ता जानलेवा बनी हुई है। हालात यह है कि तालचेर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 383 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Monday 01 January 2024
 
सर्द दिन में प्रदूषण और भीड़ से घिरा दिल्ली का इंडिया गेट; फोटो: आईस्टॉक

वर्ष 2024 का आगाज भी वायु प्रदूषण के साथ हुआ, यही वजह है कि दिल्ली सहित 24 शहरों में वायु गुणवत्ता जानलेवा बनी हुई है। हालात यह है कि तालचेर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 383 पर पहुंच गया है।

इसी तरह अंगुल में एक्यूआई 369, हनुमानगढ़ में 357, राउरकेला में 344, जबकि दिल्ली में भी 346 पर पहुंच गया है। इसी तरह 58 शहरों में हवा दमघोंटू बनी हुई है।

वहीं देश के केवल आठ शहरों में हवा साफ रही। चामराजनगर देश का सबसे साफ शहर रहा, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 43 रिकॉर्ड किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 238 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही।

वहीं 59 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 89 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

देहरादून-गुवाहाटी सहित 58 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि भुवनेश्वर-रायरंगपुर सहित 24 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 36 अंक गिरकर 346 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 279, गाजियाबाद में 236, गुरुग्राम में 247, नोएडा में 307, ग्रेटर नोएडा में 304 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 132 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 115, चेन्नई में 142, चंडीगढ़ में 239, हैदराबाद में 108, जयपुर में 252 और पटना में 197 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट 46, चामराजनगर 43, खुर्जा 50, मंडी गोबिंदगढ़ 47, शिलांग 48, सिलचर 49, थूथुकुडी 46, और उडुपी 49 शामिल रहे।

वहीं आगरा, आइजोल, अंबाला, अनंतपुर, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, बिलासपुर, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, गोरखपुर, हाजीपुर, हुबली, जालंधर, जलगांव, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, करनाल, कारवार, खन्ना, कोहिमा, कोलार, कोरबा, लुधियाना, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मुरादाबाद, मोतिहारी, मैसूर, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पलवल, रामनगर, सलेम, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिरसा, शिवसागर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर, वाराणसी, विजयपुरा, विजयवाड़ा और यादगीर आदि 59 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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