भारत के महज छह शहरों में बेहतर रह गई है हवा, दिल्ली-अगरतला सहित 15 में जानलेवा हैं हालात

चामराजनगर, दमोह, मदिकेरी, मिलुपारा, ऊटी, सिलचर, केवल छह शहरों में हवा बेहतर रह गई है

By Lalit Maurya

On: Friday 12 January 2024
 

देश में प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है। आलम यह है कि देश के महज छह शहरों चामराजनगर, दमोह, मदिकेरी, मिलुपारा, ऊटी, और सिलचर में ही हवा 'बेहतर' रह गई है। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता 50 या उससे कम है। हालांकि इसके बावजूद देश का कोई भी शहर ऐसा नहीं है जहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों के अनुरूप हो। बढ़ता प्रदूषण किस कदर हावी हो चुका है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली-अगरतला सहित 15 शहरों में स्थिति जानलेवा बनी हुई है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 से ऊपर है।

आंकड़ों के मुताबिक हनुमानगढ़ देश का सबसे प्रदूषित शहर है, जहां एक्यूआई 378 पर पहुंच चुका है। वहीं दूसरी तरफ ऊटी में प्रदूषण का स्तर 33 दर्ज किया गया है। मतलब की ऊटी देश का सबसे साफ शहर है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 12 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 242 में से महज छह शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 67 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 104 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

आरा-ग्वालियर सहित 50 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि दौसा-हावड़ा सहित 15 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स आठ अंक गिरकर 340 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 263, गाजियाबाद में 309, गुरुग्राम में 237, नोएडा में 298, ग्रेटर नोएडा में 322 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 146 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 233, चेन्नई में 114, चंडीगढ़ में 298, हैदराबाद में 102, जयपुर में 230 और पटना में 275 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन छह शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें चामराजनगर 44, दमोह 37, मदिकेरी 45, मिलुपारा 46, ऊटी 33, और सिलचर 50 शामिल रहे।

वहीं औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, ब्रजराजनगर, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देवास, धारवाड़, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हसन, हुबली, इंदौर, जलगांव, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कटनी, कोहिमा, कोलार, कोरबा, लातूर, महाड, मैहर, मंगलौर, मैसूर, नागपुर, पलवल, पुदुचेरी, रायपुर, रामानगर, रामनाथपुरम, रूपनगर, सागर, सलेम, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, सोलापुर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, तिरुपुर, तुमिडीह, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, और वृंदावन आदि 67 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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