बड़े शहरों पीछे छोड़ अररिया-सिवान जैसे छोटे शहरों में प्रदूषण से ज्यादा खराब है हालात, दिल्ली में घटा प्रदूषण

प्रदूषण का आलम यह है कि अररिया में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 306 दर्ज किया गया है, वहीं सिवान में एक्यूआई 316 पर दर्ज किया गया है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 28 February 2024
 

देश में बड़े शहरों को पीछे छोड़ अररिया-सिवान जैसे छोटे शहरों में हालात कहीं ज्यादा बदतर हैं। इन शहरों में स्थिति किस कदर खराब है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां वायु गुणवत्ता जानलेवा बनी हुई है। प्रदूषण का आलम यह है कि अररिया में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 306 दर्ज किया गया है, वहीं सिवान में एक्यूआई 316 पर दर्ज किया गया है। इसी तरह खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों का आंकड़ा कल के मुकाबले बढ़कर दोगुना हो गया है।

गौरतलब है कि जहां 26 फरवरी 2024 को खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों का आंकड़ा 12 दर्ज किया गया था वो बढ़कर 25 पर पहुंच गया है।

देश में बल्लभगढ़, बारीपदा, बेतिया, भागलपुर, बर्नीहाट, छपरा, धौलपुर, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुवाहाटी, हाजीपुर, जलना और कटिहार आदि में वायु गुणवत्ता का स्तर खराब है। वहीं देश में बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल के मुकाबले इजाफा हुआ है। जहां देश में बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या 26 फरवरी को 22 दर्ज की गई थी वो बढ़कर 24 हो गई है। हालांकि वहीं दूसरी तरफ संतोषजनक वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल के मुकाबले गिरावट हुई है। इन शहरों का आंकड़ा 120 से घटकर 110 पर पहुंच गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 फरवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 246 में से 24 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 110 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, गौरतलब है कि 26 फरवरी 2024 यह आंकड़ा 120 दर्ज किया गया था। 85 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

अगरतला-छपरा सहित 25 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा। वहीं अररिया (306), और सिवान (316) में स्थिति जानलेवा बनी हुई है। । 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 11 अंक घटकर 159 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 213, गाजियाबाद में 122, गुरुग्राम में 157, नोएडा में 157, ग्रेटर नोएडा में 213 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 148 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 124, चेन्नई में 65, चंडीगढ़ में 159, हैदराबाद में 67, जयपुर में 106 और पटना में 234 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन 24 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अंबाला 48, अरियालूर 36, बागलकोट 42, बठिंडा 44, भिवानी 29, चामराजनगर 46, चिक्कामगलुरु 50, कुड्डालोर 46, गडग 46, हसन 50, झांसी 37, कडपा 47, कलबुर्गी 44, खुर्जा 44, मदिकेरी 39, मैहर 48, नारनौल 50, ऊटी 33, पुदुचेरी 47, रामनगर 39, शिवसागर 47, तिरुपति 46, वाराणसी 48 और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आगरा, आइजोल, अजमेर, अकोला, अलवर, अमरावती, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागपत, बहादुरगढ़, बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, भीलवाड़ा, बीदर, बिहारशरीफ, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बूंदी, चंद्रपुर, चरखी दादरी, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, चुरू, दावनगेरे, देहरादून, धारवाड़, एलूर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, गुम्मिडिपूंडी, हावेरी, हिसार, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, इंदौर, जबलपुर, जालंधर, झालावाड़, जींद, कैथल, कन्नूर, करनाल, कारवार, काशीपुर, कटनी, कोच्चि, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, कुरूक्षेत्र, लुधियाना, महाड, मांडीखेड़ा, मानेसर, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मैसूर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, पाली, पानीपत, परभनी, पटियाला, प्रतापगढ़, रायचुर, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रोहतक, रूपनगर, सागर, सलेम, सतना, सवाई माधोपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरसा, सोलापुर, सोनीपत, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, टोंक, तुमिडीह, उडुपी, उज्जैन, वातवा , विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, यमुनानगर आदि 110 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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