बड़े ही नहीं छोटे शहरों में भी प्रदूषण से हाल-बेहाल, भागलपुर-हनुमानगढ़ में आपात स्थिति पर पहुंची वायु गुणवत्ता

भारत में बढ़ता प्रदूषण अब केवल बड़े शहरों की समस्या ही नहीं रहा। इसका सबूत है कि भागलपुर-हनुमानगढ़ जैसे छोटे शहरों में भी स्थिति गंभीर है

By Lalit Maurya

On: Monday 29 January 2024
 

भारत में बढ़ता प्रदूषण अब केवल बड़े शहरों की समस्या ही नहीं रहा। इसका सबूत है कि भागलपुर-हनुमानगढ़ जैसे छोटे शहरों में भी स्थिति गंभीर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार पहुंच गया है। एक तरफ जहां भागलपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 408 दर्ज किया गया, वहीं हनुमानगढ़ में भी इसका स्तर 412 पर पहुंच गया है। इसी तरह देश के 19 शहरों में भी प्रदूषण से हालात बेहद खराब हैं। इन शहरों में दिल्ली भी शामिल है, जहां प्रदूषण कल के मुकाबले कुछ कम जरूर हुआ है, लेकिन इसके बावजूद हवा जानलेवा बनी हुई है।

इसी तरह अगरतला (303), अंगुल (370), अररिया (335), आरा (340), आसनसोल (311), बहादुरगढ़ (306), भिवाड़ी (319), बर्नीहाट (323), चंडीगढ़ (325), छपरा (352), ग्रेटर नोएडा (339), करौली (309), पटना (350), राजगीर (328), सहरसा (368), समस्तीपुर (309), सोनीपत (313) और श्रीगंगानगर (396) में भी स्थिति बेहद खराब है। इसी तरह देश के छोटे बड़े 61 अन्य शहरों में भी हालात दमघोंटू हैं। वहीं दूसरी तरफ शहर के महज सात शहरों में हवा साफ है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे कम दर्ज किया गया है। यदि देश के सबसे साफ शहर की बात करें तो नाहरलगुन में प्रदूषण का स्तर सबसे कम दर्ज किया गया है, जहां वायु गुणवत्ता का स्तर 16 रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 29 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 234 में से महज सात शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 55 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 90 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

जींद-क्योंझर सहित 61 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि अगरतला-बहादुरगढ़ सहित 19 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 9 अंक गिरकर 356 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 205, गाजियाबाद में 293, गुरुग्राम में 255, नोएडा में 286, ग्रेटर नोएडा में 339 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 116 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 198, चेन्नई में 122, चंडीगढ़ में 325, हैदराबाद में 102, जयपुर में 182 और पटना में 350 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन सात शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट 46, चामराजनगर 45, गंगटोक 50, मदिकेरी 36, मैहर 48, नाहरलगुन 16, और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आइजोल, अजमेर, अनंतपुर, अरियालूर, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, बीदर, बिलासपुर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, एलूर, फिरोजाबाद, हावेरी, हुबली, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, काशीपुर, खुर्जा, कोलार, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, ऊटी, पाली, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सागर, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, वृंदावन और यादगीर आदि 55 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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