24 अंकों की वृद्धि के साथ दिल्ली में 372 पर पहुंचा एक्यूआई, चुरू रहा देश का सबसे प्रदूषित शहर

बड़े शहरों को पीछे छोड़ चुरू में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच गई है, जहां वायु गुणा सूचकांक 400 के है। इसी तरह दिल्ली में भी कल के मुकाबले एक्यूआई में 24 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई

By Lalit Maurya

On: Tuesday 21 November 2023
 
दिल्ली में कल के मुकाबले एक्यूआई में 24 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई, इसके बाद सूचकांक 372 पर पहुंच गया है

भारत के कई शहरों में प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा। स्थिति किस कदर बिगड़ चुकी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान के चुरू में तो वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार पहुंच गया है। ऐसा नहीं कि प्रदूषण का कहर केवल बड़े शहरों तक सीमित है, इस मामले में छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो छपरा-नागौर सहित 32 शहरों में हवा 'बेहद खराब' है। वहीं बाड़मेर-जालंधर सहित 51 अन्य शहरों में हालात खराब हैं, जहां प्रदूषण का स्तर 200 के पार  है।

कुछ शहरों में तो स्थिति इतनी खराब हो चली है कि वहां सांस लेना तक दुश्वार हो गया है, ऐसा लगता है कि लोग गैस चैम्बर में रह रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 21 नवंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 242 में से महज 25 शहरों में हवा 'बेहतर' रही। वहीं 53 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' थी जबकि 80 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' रही। 

भागलपुर-चित्तौड़गढ़ सहित 51 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू रहा, जबकि जींद-सीकर सहित 32 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो गया है। वहीं चुरू (404) में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंच गया है। कुल मिलकर देखें तो इन शहरों में स्थिति जानलेवा है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 24 अंक बढ़कर 372 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 322, गाजियाबाद में 346, गुरुग्राम में 331, नोएडा में 330, ग्रेटर नोएडा में 304 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 132 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 214, चेन्नई में 55, चंडीगढ़ में 180, हैदराबाद में 82, जयपुर में 260 और पटना में 289 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 25 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 17, अमरावती 46, अनंतपुर 33, अरियालूर 32, बागलकोट 49, बिलासपुर 47, चामराजनगर 41, चिकबलपुर 48, चिक्कामगलुरु 45, चित्तूर 46, गडग 50, कडपा 41, कोप्पल 47, मदिकेरी 41, नंदेसरी 50, पालकालाइपेरुर 37, पुदुचेरी 41, राजमहेंद्रवरम 42, ऋषिकेश 45, सिलचर 44, शिवसागर 40, तिरुवनंतपुरम 46, थूथुकुडी 41, विजयपुरा 42, और विजयवाड़ा 49 शामिल रहे।

वहीं बेलगाम (78), बेंगलुरु 65, भिलाई 84, भुवनेश्वर 82, बिहारशरीफ 85, ब्रजराजनगर 67, ब्यासनगर 94, चेन्नई 55, छाल 63, कोयंबटूर 73, कुड्डालोर 54, कटक 75,
दमोह 80, दावनगेरे 88, देहरादून 92, धारवाड़ 96, दुर्गापुर 99, एलूर 69, गंगटोक 56, गुवाहाटी 86, हल्दिया 99, हसन 75, हावेरी 88, होसुर 58, हुबली 75, हैदराबाद 82, इंफाल 75, कलबुर्गी 59, काशीपुर 90, कोहिमा 54, कोरबा 60, कुंजेमुरा 59, मैहर 94, मंगलौर 96, मंगुराहा 97, मैसूर 56, ऊटी 52, पंचकुला 82,
रायपुर 71, रामानगर 59, रामनाथपुरम 55, राउरकेला 92, सतना 90, शिलांग 69, शिवमोगा 51, सिलीगुड़ी 81, टेंसा 94, त्रिशूर 58, तिरुपति 54, उडुपी 73, वाराणसी 78, विशाखापत्तनम 58 और यादगीर (70) आदि 53 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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