ग्रेटर नोएडा में बढ़कर 391 पर पहुंचा एक्यूआई, वहीं दिल्ली सहित कई शहरों में घटा प्रदूषण

दिल्ली में कल के मुकाबले प्रदूषण में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद वहां हवा अभी भी इतनी जहरीली है जो लोगों को बहुत ज्यादा बीमार कर सकती है

By Lalit Maurya

On: Thursday 25 January 2024
 

ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण का स्तर बढ़कर आपात स्थिति के करीब पहुंच गया है। यदि कल के मुकाबले देखें तो यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में 13 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई, जिसके बाद यहां एक्यूआई बढ़कर 391 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में कल के मुकाबले प्रदूषण में कमी जरूर आई है जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 77 अंकों की गिरावट के साथ घटकर 332 पर पहुंच गया है। हालांकि इसके बावजूद दिल्ली की हवा जहरीली बनी हुई है, जो लोगों को बहुत ज्यादा बीमार करने के लिए काफी है।

हालांकि देश के कई शहरों में प्रदूषण के स्तर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद आरा (308), बल्लभगढ़ (332), भागलपुर (364), बीकानेर (304), छपरा (317), फरीदाबाद (336), नलबाड़ी (324), नोएडा (310), सहरसा (336), श्रीगंगानगर (312) आदि छोटे-बड़े 12 शहरों में हवा जानलेवा बनी हुई है। वहीं यदि उस शहर की बात करें तो जिसमें प्रदूषण का स्तर सबसे कम रहा तो इस मामले में मदिकेरी सबसे ऊपर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 29 दर्ज किया गया है। यहां हवा दिल्ली से करीब 11 गुणा साफ है। वहीं देश के 53 शहरों में स्थिति दमघोंटू बनी हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 25 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 239 में से महज 15 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 65 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 106 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

अगरतला-बैरकपुर सहित 41 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि नलबाड़ी-सहरसा सहित 12 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 77 अंक गिरकर 332 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 336, गाजियाबाद में 269, गुरुग्राम में 284, नोएडा में 310, ग्रेटर नोएडा में 391 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 107 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 232, चेन्नई में 108, चंडीगढ़ में 233, हैदराबाद में 104, जयपुर में 240 और पटना में 280 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 40, अरियालूर 50, बागलकोट 50, चामराजनगर 42, दावनगेरे 46, एलूर 42, गंगटोक 46, मदिकेरी 29, मैहर 48, मिलुपारा 50, सिलचर 45, सूरत 50, तिरुपति 44, उडुपी 43 और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं अंबाला, अमरावती, अनंतपुर, बेलगाम, बेतिया, भिलाई, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चरखी दादरी, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, देवास, धारवाड़, गडग, हल्दिया, हसन, हावेरी, हुबली, जलगांव, झांसी, जींद, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, क्योंझर, खन्ना, कोलार, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, महाड, मंगलौर, मैसूर, नागपुर, नाहरलगुन, नारनौल, नासिक, ऊटी, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, रायपुर, मानगर, रामनाथपुरम, सागर, सलेम, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सुआकाती, तालचेर, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपुर, तुमिडीह, वाराणसी, वेल्लोर, और विशाखापत्तनम आदि 65 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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