हापुड़ में बढ़कर 471 पर पहुंचा एक्यूआई, नौ अन्य शहरों में जानलेवा हुए हालात

हापुड़ में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में बना हुआ है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 471 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Friday 02 February 2024
 

हापुड़ में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में बना हुआ है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 471 पर पहुंच गया है। कुल मिलकर देखें तो वहां स्थिति ऐसी बन गई है जैसे लोग गैस चैम्बर में रह रहे हों। इसके अलावा देश के नौ अन्य शहरों में भी प्रदूषण से स्थिति जानलेवा बनी हुई है। आंकड़ों की मानें तो जहां अररिया में वायु गुणवत्ता सूचकांक 358 दर्ज किया गया है। वहीं औरंगाबाद (बिहार) (334), बिहारशरीफ (343), बर्नीहाट (370), छपरा (343), धनबाद (327), करौली (326), पटना (321) और समस्तीपुर (325) में वायु गुणवत्ता की स्थिति बेहद खराब है।

यदि दिल्ली की बात करें तो कल के मुकाबले प्रदूषण में वृद्धि हुई है। वहीं 33 अन्य शहरों में हवा दमघोंटू बनी हुई है। हालांकि देश के 81 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है। ऋषिकेश देश का सबसे साफ शहर बना हुआ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 20 दर्ज किया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दो फरवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 244 में से महज 27 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 81 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 93 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

बालासोर-कटिहार सहित 33 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि करौली-पटना सहित नौ शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 अंक बढ़कर 217 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 206, गाजियाबाद में 133, गुरुग्राम में 176, नोएडा में 171, ग्रेटर नोएडा में 208 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 63 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 108, चेन्नई में 39, चंडीगढ़ में 92, हैदराबाद में 96, जयपुर में 181 और पटना में 321 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 27 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमरावती 31, अंबाला 49, अरियालूर 23, बरेली 42, चामराजनगर 44, चेन्नई 39, चिक्कामगलुरु 46, कुड्डालोर 25, देहरादून 40, एलूर 50, फिरोजाबाद 45, कडपा 49, करनाल 48, काशीपुर 39, खन्ना 36, मदिकेरी 41, मैसूर 49, पालकालाइपेरुर 27, पटियाला 50, पुदुचेरी 37, ऋषिकेश 20, शिवसागर 46, थूथुकुडी 48, तिरुपति 44, उडुपी 46, वेल्लोर 45, और विजयपुरा 48 शामिल रहे।

वहीं आगरा, आइजोल, अलवर, अमृतसर, अनंतपुर, बद्दी, बागलकोट, बाड़मेर, बठिंडा, बेलापुर, बेलगाम, भिलाई, भिवानी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चंडीगढ़, चरखी दादरी, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, कोयंबटूर, कटक, दावनगेरे, देवास, धारवाड़, गडग , गंगटोक, गुम्मिडिपूंडी, हल्दिया, हसन, हावेरी, हिसार, हुबली, हैदराबाद, जालंधर, जींद, कैथल, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कोच्चि, कोल्हापुर, कोरबा, कुरूक्षेत्र, लुधियाना, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मंगलौर, मेरठ, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नारनौल, नासिक, ऊटी, पलवल, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रोहतक, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सोनीपत, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपुर, उदयपुर, वाराणसी, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यादगीर और यमुनानगर आदि 81 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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