ग्रेटर नोएडा में 380 पर पहुंचा एक्यूआई, दिल्ली में भी लगातार पांचवें दिन जानलेवा रही हवा

देश में जहां तुमकुरु-वाराणसी सहित 16 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहतर दर्ज की गई है। वहीं 48 शहरों में हालात दमघोंटू हैं 

By Lalit Maurya

On: Wednesday 14 February 2024
 

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा। जहां लगातार पांचवें दिन वायु गुणवत्ता जानलेवा दर्ज की गई है। हालांकि कल के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में मामूली कमी जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद राजधानी की हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार करने के लिए काफी है।

वहीं देश के सबसे प्रदूषित शहर की बात करें तो दूसरे शहरों को पीछे छोड़ ग्रेटर नोएडा पहले स्थान पर पहुंच गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 380 दर्ज किया गया। इसी तरह देश के छोटे बड़े अन्य 10 शहरों में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है।

इन शहरों में अररिया (359), भागलपुर (340), भिवाड़ी (305), बर्नीहाट (303), गाजियाबाद (318), हापुड़ (368), मुजफ्फरनगर (369), नगांव (315), नलबाड़ी (302) और नोएडा (348) शामिल हैं। यदि देश में सबसे साफ हवा वाले शहर की बात करें तो तुमकुरु और वाराणसी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 32 दर्ज किया गया। इसी तरह देश के 16 अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता बेहतर बनी हुई है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे कम दर्ज किया गया है।

वहीं दूसरी तरफ देश के 36 अन्य शहरों में प्रदूषण से हालात दमघोंटू बने हुए हैं, जहां वायु गुणवत्ता लोगों को बीमार करने के लिए काफी है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 14 फरवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 212 में से 16 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 60 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, गौरतलब है कि कल यह आंकड़ा 58 दर्ज किया गया था। 88 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

अगरतला-भोपाल सहित 36 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा। वहीं हापुड़-भागलपुर सहित देश के 12 शहरों में स्थिति जानलेवा बनी हुई है। । 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स एक अंक गिरकर 341 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 247, गाजियाबाद में 318, गुरुग्राम में 293, नोएडा में 348, ग्रेटर नोएडा में 380 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 116 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 146, चेन्नई में 63, चंडीगढ़ में 227, हैदराबाद में 70, जयपुर में 200 और पटना में 194 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन 16 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अरियालूर 34, बागलकोट 42, चामराजनगर 48, चेंगलपट्टू 45, कुड्डालोर 48, गडग 43, कलबुर्गी 46, मदिकेरी 41, मैहर 46, मैसूर 45, पुदुचेरी 43, सिलचर 43, तिरुपति 45, तुमकुरु 32, वाराणसी 32, और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आगरा, आइजोल, अमरावती, बरेली, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, बीदर, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चंद्रपुर, चेन्नई, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, दावनगेरे, देहरादून, धनबाद, धारवाड़, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गंगटोक, गुम्मिडिपूंडी, हसन, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, जबलपुर, कडपा, कन्नूर, खन्ना, कोच्चि, कोलार, कोप्पल, कोरबा, लातूर, मंगलौर, मंगुराहा, प्रयागराज, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सलेम, सासाराम, सतना, शिवमोगा, शिवसागर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तुमिडीह, उडुपी, वातवा, विजयवाड़ा और यादगीर आदि 60 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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