नए साल से पहले दिल्ली में फिर एक बार लगा सांसों का आपातकाल, 98 शहरों में जानलेवा हुई हवा

दिल्ली की हवा में घुला जहर एक बार फिर गंभीर रूप ले चुका है। यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक को देखें तो दिल्ली में एक्यूआई 400 के पार है

By Lalit Maurya

On: Friday 22 December 2023
 

इससे पहले की 2023 बीते, दिल्ली में एक बार फिर सांसों का आपातकाल लग चुका है। मतलब की हवा में घुला जहर एक बार फिर गंभीर रूप ले चुका है। यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक को देखें तो दिल्ली में एक्यूआई 400 के पार है। वहीं बेगूसराय में स्थिति और भी ज्यादा खराब है जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 434 दर्ज किया गया। इसी तरह छोटे बड़े 98 शहरों में हवा जानलेवा बनी हुई है। वहीं एक बार फिर आइजोल देश का सबसे साफ शहर रहा, जहां एक्यूआई 21 पर है। हालांकि वो भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरा नहीं है। मतलब की देश में एक भी शहर ऐसा नहीं है जहां हवा को स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित कहा जा सके। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 22 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 247 में से महज पांच शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 38 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 106 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

जयपुर-हावड़ा सहित 69 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि पटना-रोहतक सहित 27 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। वहीं बेगूसराय (434) और दिल्ली (409) में प्रदूषण गंभीर रूप ले चुका है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 48 अंक बढ़कर 409 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 282, गाजियाबाद में 376, गुरुग्राम में 314, नोएडा में 376, ग्रेटर नोएडा में 386 पर पहुंच गया है। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 189 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 284, चेन्नई में 172, चंडीगढ़ में 265, हैदराबाद में 125, जयपुर में 247 और पटना में 324 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन पांच शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 21, चामराजनगर 43, एलूर 43, मदिकेरी 35, और सिलचर 41 शामिल रहे।

वहीं अलवर, बागलकोट, बरेली, छाल, चिक्कामगलुरु, दमोह, दुर्गापुर, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हसन, इंफाल, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कोच्चि, कोहिमा, कोलार, कोप्पल, कोरबा, मैहर, मंडीदीप, मंगलौर, मैसूर, ऊटी, रतलाम, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, उडुपी, वातवा, विजयपुरा और विजयवाड़ा आदि 46 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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