देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा भागलपुर, वहीं दिल्ली में सुधार के बावजूद जानलेवा है हवा

दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ भागलपुर देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 380 दर्ज किया गया है।

By Lalit Maurya

On: Saturday 27 January 2024
 

देश के दूसरे शहरों को पीछे छोड़ भागलपुर देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 380 दर्ज किया गया है। वहीं यदि दिल्ली की बात करें तो कल के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद हवा जहरीली बनी हुई है। जो अब भी लोगों को बेहद बीमार करने के लिए पर्याप्त है।

इसी तरह देश के 11 अन्य शहरों में स्थिति बेहद खराब है। इन शहरों में अगरतला (307), गाजियाबाद (324), ग्रेटर नोएडा (333), हनुमानगढ़ (351), जैसलमेर (326), मुजफ्फरनगर (304), नोएडा (301), राजगीर (307), सहरसा (356), श्रीगंगानगर (327), तालचेर (316) शामिल हैं। इसी तरह देश के छोटे बड़े 53 शहरों में हवा दमघोंटू बनी हुई है। वहीं यदि उस शहर की बात करें जहां प्रदूषण सबसे कम रहा तो इस मामले में बिहारशरीफ अव्वल है जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 35 दर्ज किया गया है। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 234 में से महज 12 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 57 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 99 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

बालासोर-छपरा सहित 53 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि हनुमानगढ़-जैसलमेर सहित 13 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 52 अंक गिरकर 357 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 283, गाजियाबाद में 324, गुरुग्राम में 286, नोएडा में 301, ग्रेटर नोएडा में 333 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 123 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 200, चेन्नई में 95, चंडीगढ़ में 287, हैदराबाद में 79, जयपुर में 195 और पटना में 300 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अरियालूर 39, बागलकोट 46, बिहारशरीफ 35, चामराजनगर 45, एलूर 48, कलबुर्गी 50, मदिकेरी 38, पालकालाइपेरुर 42, सिलचर 46, शिवसागर 46, थूथुकुडी 40, और उडुपी 46 शामिल रहे।

वहीं आइजोल, अनंतपुर, अंकलेश्वर, बरेली, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे,
धारवाड़, गंगटोक, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, कन्नूर, कारवार, खन्ना, खुर्जा, कोलार, कोप्पल, कोरबा, लुधियाना, महाड, मैहर, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, नाहरलगुन,
ऊटी, पलवल, पीथमपुर, पुदुचेरी, रायपुर, रामानगर, रामनाथपुरम, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिरोही, सिरसा, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, वेल्लोर, वृंदावन और यादगीर आदि 57 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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