मेघालय का बर्नीहाट एक बार फिर बना देश का सबसे प्रदूषित शहर, झांसी से 12 गुणा ज्यादा रहा प्रदूषण

देश में झांसी की हवा सबसे ज्यादा साफ है, जहां एक्यूआई 28 दर्ज किया गया है। यदि इन दोनों शहरों की वायु गुणवत्ता में तुलना करें तो बर्नीहाट की हवा झांसी से 12 गुणा ज्यादा खराब है

By Lalit Maurya

On: Saturday 30 March 2024
 

मेघालय का बर्नीहाट एक बार फिर देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 325 पर पहुंच गया है। वहीं दूसरी तरफ झांसी में हवा सबसे ज्यादा साफ है, जहां एक्यूआई 28 दर्ज किया गया है। यदि इन दोनों शहरों की वायु गुणवत्ता में तुलना करें तो बर्नीहाट की हवा झांसी से 12 गुणा ज्यादा खराब है।

आंकड़ों के मुताबिक देश में जिन शहरों में हवा खराब है, उनकी संख्या में कल से करीब 163 फीसदी का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि जहां कल देश के आठ शहरों में वायु गुणवत्ता खराब थी, वहीं आज यह आंकड़ा बढ़कर 21 पर पहुंच गया है। इन शहरों में अंगुल, बारबिल, बेतिया, भागलपुर, भिवानी, बिलीपाड़ा, बक्सर, ब्यासनगर, छपरा, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, नयागढ़, पटना, राउरकेला, रूपनगर, सहरसा, सिवान, सुआकाती और सूरत शामिल हैं।

यदि दिल्ली की बात करें तो देश की राजधानी में कल के मुकाबले प्रदूषण में इजाफा हुआ है। दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक में 13 अंकों का इजाफा हुआ है, जिसके बाद एक्यूआई बढ़कर 189 पर पहुंच गया है। इसी तरह फरीदाबाद में भी सूचकांक 37 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 222 पर पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 13 शहरों में हवा बेहतर दर्ज की गई है। हालांकि कल के मुकाबले इन शहरों की संख्या में गिरावट आई है। कल इन शहरों की संख्या 20 दर्ज की गई थी। देश के 99 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई है। इनमें देश के छोटे बड़े शहर शामिल हैं। वहीं देश के 106 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी की है। कल के मुकाबले इन शहरों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। कुल मिलकर देखें दे कल के मुकाबले देश में वायु गुणवत्ता बदतर हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 30 मार्च 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 240 में से 13 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 99 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 29 मार्च 2024 यह आंकड़ा 98 दर्ज किया गया था। 106 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही। वहीं 21 शहरों अंगुल, बारबिल, बेतिया, भागलपुर, भिवानी, बिलीपाड़ा, बक्सर, ब्यासनगर, छपरा, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, नयागढ़, पटना, राउरकेला, रूपनगर, सहरसा, सिवान, सुआकाती और सूरत में स्थिति दमघोंटू है। दूसरे शहरों की तुलना में बर्नीहाट में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 325 पर पहुंच गया है।  

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 13 अंक बढ़कर 189 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 222, गाजियाबाद में 138, गुरुग्राम में 199, नोएडा में 165, ग्रेटर नोएडा में 218 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 93 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 170, चेन्नई में 58, चंडीगढ़ में 127, हैदराबाद में 83, जयपुर में 130 और पटना में 217 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन 13 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अरियालूर 45, बागलकोट 50, चामराजनगर 45, धारवाड़ 37, झांसी 28, मदिकेरी 37, मंगलौर 44, पुदुचेरी 35, राजमहेंद्रवरम 37, मनगर 49, रामनाथपुरम 50, वाराणसी 46, और विजयपुरा 42 शामिल रहे।

वहीं अगरतला, आगरा, आइजोल, अजमेर, अंबाला, अमृतसर, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बालासोर, बरेली, बाड़मेर, बैरकपुर, बेलापुर, बेंगलुरु, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहारशरीफ, बिलासपुर, चेन्नई, चिकबलपुर, कुड्डालोर, कटक, दावनगेरे, एलूर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हल्दिया, हापुड़, हसन, हावेरी, हावड़ा, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, जैसलमेर, जालंधर, जलना, जालौर, जींद, कडपा, कैथल, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, काशीपुर, खन्ना, खुर्जा, कोलार, कोलकाता, कोल्लम, कोरबा, कुरूक्षेत्र, लुधियाना, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मानेसर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंबई, मैसूर, नगांव, नांदेड़, नारनौल, नासिक, ऊटी, पंचकुला, पानीपत, पटियाला, प्रयागराज, रायपुर, राजसमंद, ऋषिकेश, रोहतक, सागर, सांगली, सतना, सवाई माधोपुर, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, वृंदावन, यादगीर आदि 99 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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