स्मॉग एपिसोड : 32 घंटे से ज्यादा आपात स्तर में दिल्ली-एनसीआर की हवा, नहीं की गई अब तक ग्रेप की कार्रवाई

दिल्ली-एनसीआर में प्रशासन द्वारा 15 अक्तूबर से 4 नवंबर तक वायु प्रदूषण से जुड़ी सिर्फ 16 फीसदी शिकायतों का समाधान किया जा सका। वहीं, 5 नवंबर की रात 9:30 बजे के बाद से मॉनिटरिंग बंद है। 

By Vivek Mishra

On: Saturday 06 November 2021
 

दिल्ली-एनसीआर में 2016 और 2017 की तरह ही 2021 का स्मॉग एपिसोड घटित हो चुका है इसके बावजूद अभी तक ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत उपयुक्त कार्रवाई नहीं की जा सकी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और  पीएम 10 के स्तर की 24 घंटे निगरानी करने वाले केंद्रीय नियंत्रण कक्ष (सीसीआर) ने 5 नवंबर, 2021 की रात 9:30 बजे के बाद अपडेट देना बंद कर दिया है। दीवाली की रात से 5 नवंबर के रात 9:30 बजे तक यानी कुल 32 घंटे तक पीएम 2.5 हवा में आपात स्तर (300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर ) पर ही बना रहा।  

दिल्ली-एनसीआर की हवा में पटाखों का उत्सर्जन प्रदूषण और अभी 35 फीसदी करीब पराली प्रदूषण बरकरार है। पटाखों ने न सिर्फ दिल्ली की हवा को गंभीर श्रेणी में पहुंचायाता बल्कि वातावरण में पीएम 2.5 प्रदूषण का बोझ अत्यधिक बढा दिया है। 

इतना ही नहीं सरकारी एजेंसियों के जरिए वायु प्रदूषण से संबंधित मिलने वाली समस्याओं में महज 16 फीसदी का ही समाधान किया जा सका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक 15 अक्तूबर से 4 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित कुल 627 शिकायतें दर्ज की गई, इनमें विविध एजेंसियों द्वारा 101 समस्याओं (16 फीसदी) का समाधान किया गया। जबकि 84 फीसदी का समाधान नहीं हो पाया। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बनाए गए ग्रेप नियमों में यह तय किया गया था कि पीएम 2.5 का स्तर यदि हवा में 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर या पीएम 10 का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक लगातार 48 घंटे तक बना रहता है तो आधिकारिक तौर पर एयर इमरजेंसी घोषित कर दिया जाएगा। 

एयर इमरजेंसी के दौरान इंडस्ट्री पर रोक, भारी वाहनो ंके दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश पर रोक, निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने, सम-विषम जैसी योजना लागू करना आदि शामिल हैं। जबकि स्थिति यहां तक खराब है कि दिल्ली-एनसीआर दीवाली की रात से ही गंभीर स्तर वाली वायु गुणवत्ता में है और ग्रेप के गंभीर स्तर के प्लान को अभी तक नहीं लागू किया जा सका है। 

By : CPCB

गंभीर स्तर के ग्रेप प्लान में हॉट मिक्स प्लांट, स्टोन क्रशर को बंद करने के साथ ही कोयला आधारित बिजली पॉवर प्लांट से बिजली पैदा करने के बजाए नैचुरल गैस आधारित पावर प्लांट से बिजली पैदा करने पर जोर देना है। 

ग्रेप नियमों को लागू करने वाली उपसमिति की आखिरी बैठक 3 नवंबर, 2021 को दीवाली से एक दिन पहले हुई, जिसमें सिर्फ बहुत खराब श्रेणी के ही ग्रेप प्लान को लागू करने और अतिरिक्त किसी भी कदम को न उठाने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई। 

वायु गुणवत्ता पर निगरानी रख रहे दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) के सस्टेनबल सिटीज प्रोग्राम के प्रोग्राम मैनेजर व एक्सपर्ट अविकल सोमवंशी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण संरक्षण समिति (ईपीसीए) के वक्त 24 घंटे की आपात स्तर की हवा होते ही कड़े कदम उठाए जाने शुरू कर दिए जाते थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक हेल्थ इमरजेंसी झेल रहे लोगों के लिए सरकारी एजेंसियों के जरिए ठोस कदम नहीं जा सका है। 

दिल्ली-एनसीआर में 6 नवंबर, 2021 की सुबह भी धुंध और प्रदूषण (स्मॉग) छाया रहा। अब भी वायु गुणवत्ता लगातार गंभीर स्तर पर बना हुआ है। यदि सिर्फ दिल्ली की बात करें तो 6 नवंबर की सुबह 10.5 बजे  कुल 39 निगरानी स्टेशन में 33 स्टेशन पर एक्यूआई गंभीर श्रेणी  में दर्ज किया गया। दीवाली की रात 4 नवंबर को आठ बजे दिल्ली के 17 स्टेशन पर एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया था, जबकि 5 नवंबर को 29 स्टेशनों पर गंभीर स्तर वाला एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया था।    

कुछ प्रमुख शहरों का एक्यूआई : सीपीसीबी 

 

शहर 4 नवंबर, 2021, एक्यूआई - रात 08 बजे  5 नवंबर, 2021, एक्यूआई , सुबह 10.5 बजे 6 नवंबर, 2021, एक्यूआई, सुबह 10.05 बजे
दिल्ली 404 460 446
गाजियाबाद 440 446 485
नोएडा 422 463 476
रोहतक 412 449 387
गुरुग्राम 416 477 452
फरीदाबाद 420 458 448
पानीपत 401 449 362

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता सूचकांक की चार अहम श्रेणियां हैं। इसके मुताबिक 1-50 का एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 का एक्यूआई संतोषजनक, 101 से 200 का एक्यूआई मध्यम (मॉडरेट), 201-300 का एक्यूआई खराब, 301 से 400 का एक्यूआई बहुत खराब और 401-500 का एक्यूआई गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। जबकि 501 से अधिक इमरजेंसी वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। 

हवा में पीएम 2.5 का बोझ

अविकल सोमवंशी के मुताबिक आईआईटी 2016 की रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली की हवा में 25 फीसदी प्रदूषण द्वितीयक पीएम 2.5 का है। पटाखों के जलने के बाद निकलने वाली विभिन्न जहरीली गैस (एसओटू और एनओटू) वातावरण में मिक्स हो रही हैं, जिससे सेकेंडरी पीएम 2.5 प्रदूषण पैदा होता है। इस वक्त पराली प्रदूषण की हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी है जो कि दीवाली से पहले 10 फीसदी पर थी। साथ में पटाखों से पैदा हुए पीएम 2.5 ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। एक बारिश यदि हो या फिर तेज हवा मिले तो यह पार्टिकुलेट मैटर के प्रदूषण से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। हालांकि, ऐसी गंभीर स्थिति में एंजेसियों की निष्क्रियता काफी नुकसानदेह है। 

केंद्रीय एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक 7 नवंबर, 2021 को वातावरण में फंसे प्रदूषकों को बिखरने का मौका मिल सकता है। ऐसे में 7 नवंबर की शाम के बाद कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, एजेंसियों की ओर से तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। 

 

 

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