दिल्ली में जारी प्रदूषण का कहर आज भी 330 रहा एक्यूआई, देश के नौ अन्य शहरों में जानलेवा है हवा

दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 240, गाजियाबाद में 248, गुरुग्राम में 257, नोएडा में 255, ग्रेटर नोएडा में 257 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Monday 18 December 2023
 

दिल्ली में प्रदूषण का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आज भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 330 दर्ज किया गया है। इसी तरह हनुमानगढ़-कटिहार सहित नौ अन्य शहरों में भी स्थिति जानलेवा बनी हुई है। प्रदूषण का आलम यह है कि कटिहार में एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया है। कुल मिलकर देखें तो प्रदूषण का जहर पूरे देश में फैल चुका है। वहीं आइजोल देश का ऐसा इकलौता शहर है जहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों को पूरा करती है। इसके अलावा देश के साफ कहे जाने वाले शहरों में भी हवा स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं हैं। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 18 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 236 में से महज 14 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 59 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 103 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

चुरू-गया सहित 50 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि हनुमानगढ़-कटिहार सहित 10 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स एक अंक गिरकर 330 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 240, गाजियाबाद में 248, गुरुग्राम में 257, नोएडा में 255, ग्रेटर नोएडा में 257 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 136 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 184, चेन्नई में 77, चंडीगढ़ में 230, हैदराबाद में 118, जयपुर में 197 और पटना में 319 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन महज 14 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 8, अरियालूर 46, चामराजनगर 43, एलूर 45, कोल्लम 38, मदिकेरी 40, मैहर 37, पालकालाइपेरुर 41, रामनाथपुरम 28, शिलांग 46, सिलचर 45, शिवसागर 46, तिरुवनंतपुरम 45 और उडुपी 50 शामिल रहे।

वहीं अजमेर, अमरावती, अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, बिलासपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, दमोह, दावनगेरे, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हावेरी, हुबली, इंदौर, जलगांव, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोलार, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मंडीदीप, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, मैसूर, नागपुर, नाहरलगुन, पलवल, पटियाला, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, रामानगर, रतलाम, सागर, सलेम, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सूरत, त्रिशूर, तिरुपति, वाराणसी, वातवा, विजयपुरा, विजयवाड़ा और वृंदावन आदि 59 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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