दिल्ली में बारिश के बाद प्रदूषण में आई भारी गिरावट, छपरा बना देश का सबसे प्रदूषित शहर

दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों को पीछे छोड़ छपरा देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां एक्यूआई बढ़कर 380 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Thursday 01 February 2024
 

दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों को पीछे छोड़ छपरा देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 380 पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि वहां बढ़ा प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह देश के 12 अन्य शहरों में प्रदूषण से हालात बेहाल हैं। आंकड़ों की मानें तो प्रदूषण के मामले में छोटे शहर बड़े शहरों से भी आगे हैं। अररिया में जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 325 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह औरंगाबाद (बिहार) (338), भागलपुर (312), बिहारशरीफ (317), बर्नीहाट (355), हनुमानगढ़ (316), करौली (323), मुजफ्फरपुर (302), पटना (331), सहरसा (323) और समस्तीपुर (325) में भी हवा जानलेवा बनी हुई है।

वहीं यदि दिल्ली की बात करें तो वहां भारी बारिश के बाद प्रदूषण के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक गिरकर 177 पर आ गया है। हालांकि इसके बावजूद देश 31 शहरों में वायु गुणवत्ता दमघोंटू बनी हुई है। दूसरी तरफ देश के महज 12 शहरों में हवा बेहतर दर्ज की गई। इन शहरों में शिवसागर सबसे ऊपर है जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 31 दर्ज किया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक फरवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 239 में से महज 12 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 71 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 113 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

अगरतला-चंडीगढ़ सहित 31 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि हनुमानगढ़-करौली सहित 12 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 215 अंक गिरकर 177 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 180, गाजियाबाद में 108, गुरुग्राम में 142, नोएडा में 158, ग्रेटर नोएडा में 109 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 92 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 175, चेन्नई में 55, चंडीगढ़ में 203, हैदराबाद में 74, जयपुर में 196 और पटना में 331 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अरियालूर 34, बागलकोट 47, चामराजनगर 43, चिक्कामगलुरु 46, कुड्डालोर 38, कडपा 42, नाहरलगुन 46, पालकालाइपेरुर 35, पुदुचेरी 40, शिवसागर 31, तिरुपति 50 और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अजमेर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, बद्दी, बाड़मेर, बेलगाम, भीलवाड़ा, भुवनेश्वर, बिलासपुर, ब्यासनगर, चेन्नई, चिकबलपुर, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कटक, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, फिरोजाबाद, गडग, गंगटोक, हल्दिया, हसन, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, जालौर, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कटनी, कोच्चि, कोलार, कोरबा, मदिकेरी, मैहर, मंगलौर, मिलुपारा, मुरादाबाद, मुंबई, मैसूर, नलबाड़ी, नासिक, ऊटी, पाली, पंचकुला, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामानगर, रूपनगर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सिरसा, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपुर, उदयपुर, उडुपी, वाराणसी, विजयवाड़ा, वृंदावन, और यादगीर आदि 71 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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