दीवाली 2021 : सरकारी एजेंसियों के अनुमान के विपरीत दिल्ली-एनसीआर में आपात स्तर की ओर बढ़ रहा वायु प्रदूषण

ग्रेप लागू करने वाली उपसमिति ने कहा था कि दिल्ली की हवा बहुत खराब श्रेणी में ही रहेगी ऐसे में अतिरिक्त उपाय लागू करने की कोई जरूरत नहीं है। 

By Vivek Mishra

On: Thursday 04 November 2021
 
By : Wikimedia commons

दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों ने दीवाली की रात के बाद धुंध और प्रदूषण से भरी सुबह के लिए अलार्म बजा दिया है। वहीं, कोविड-19 के संक्रमण से अभी-अभी उबरे लोग अब गंभीर श्रेणी वाली वायु गुणवत्ता की परेशानी में फंस गए हैं। पराली जलाए जाने के साथ ही पटाखों ने वायु गुणवत्ता को गंभीर तरीके से प्रदूषित कर दिया है। इन संवेदनशील स्थितियो के बावजूद सरकारी एजेंसियों के जरिए उपयुक्त ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) को लागू करने का निर्णय नहीं लिया जा सका। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक्यूआई के मुताबिक 04 नवंबर, 2021 को रात सात बजे के बाद दिल्ली के कुल 21 स्टेशन पर वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। जबकि दिन में ही हरियाणा के जींद और हिसार जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में दाखिल हो चुका था। 

सीपीसीबी के केंद्रीय नियंत्रण कक्ष  (सीसीआर) के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर की हवा में पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 और पीएम 10  का प्रदूषण आपात स्तर की तरफ बढ रहा है। रात 8.30  बजे सीसाआर के मुताबिक पीएम 10 का स्तर 414 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था जबकि पीएम 2.5 का स्तर 263.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था।  यह सामान्य मानकों से 4 गुना ज्यादा है। 

पीएम 2.5  का  24 घंटे का औसत सामान्य मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 10 का औसत मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। 

वहीं, ग्रेप के मुताबिक पीएम 10 का आपात स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है जबकि पीएम 2.5 का आपात स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। 

सरकारी एजेंसियां यह दावा कर रहीं थी कि दीवाली की रात 4 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में ही रहेगी। हालांकि, कई विशेषज्ञ दीवाली की रात से ही स्थिति के खराब होने का अंदाजा लगा रहे थे। डाउन टू अर्थ ने 3 नवंबर को चेताया था कि वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर श्रेणी में पहुंच सकती है। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता सूचकांक की चार अहम श्रेणियां हैं। इसके मुताबिक 1-50 का एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 का एक्यूआई संतोषजनक, 101 से 200 का एक्यूआई मध्यम (मॉडरेट), 201-300 का एक्यूआई खराब, 301 से 400 का एक्यूआई बहुत खराब और 401-500 का एक्यूआई गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। जबकि 501 से अधिक इमरजेंसी वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। 

शाम चार बजे सीपीसीबी के 24 घंटे की औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक के मुताबिक हरियाणा में जींद का एक्यूआई 447, हिसार का एक्यूआई 452 और यूपी में गाजियाबाद का एक्यूआई 419 था। जबकि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बहुत खराब श्रेणी में 382 पर था। 

रात आठ बजे ही पटाखे दगाने की शुरुआत होते ही दिल्ली-एनसीआर के ज्यादातर शहर धुएं और गंभीर प्रदूषण की चपेट में आ गए। इ सभी जगहों पर ज्यादा प्रभावी प्रदूषक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) है।  सीपीसीबी के जरिए दर्ज एक्यूआई रात आठ बजे टेबल में देखें :

शहर एक्यूआई श्रेणी 
दिल्ली 404  गंभीर
गाजियाबाद 440 गंभीर
नोएडा 422 गंभीर
रोहतक 412 गंभीर
गुरुग्राम 416 गंभीर
फरीदाबाद 420 गंभीर
पानीपत  401 गंभीर

 

ग्रेप की समिति ने 3 नवंबर को कहा इतना उत्सर्जन होगा ही नहीं, इसलिए अतिरिक्त कदम की जरूरत नहीं

03 नवंबर, 2021 को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू कराने वाली उपसमिति की पांचवी बैठक की गई। इस बैठक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिकों ने यह नतीजा निकाला कि सर्वाधिक उत्सर्जन मॉडल के आधार पर भी दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में ही रहेगी। ऐसे में बहुत खराब श्रेणी में अपनाए जाने वाले ग्रेप नियमों को ही लागू रहने दिया जाए और अन्य उपाय किए जाने की जरूरत नहीं है।  

अभी दिल्ली-एनसीआर के लिए बहुत खराब कटेगरी के  समय का ग्रेप का प्लान लागू है, इसके तहत डीजल जेनसेट को बंद रखना, पार्किंग फीस को 3-4 गुना बढ़ाना, पानी का छिडकाव करना शामिल है। गंभीर प्रदूषण के समय ग्रेप प्लान के तहत कोल पॉवर स्टेशन के बजाए नैचुरल गैस आधारित पावर स्टेशन को तरजीह देनी है, हालांकि यह प्लान लागू नहीं है जबकि हवा की गुणवत्ता गंभीर हो चुकी है। 

 

पहले ही लागू करना चाहिए था गंभीर श्रेणी वाला ग्रेप प्लान 

वायु गुणवत्ता पर निगरानी रख रहे दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) के सस्टेनबल सिटीज प्रोग्राम के प्रोग्राम मैनेजर व एक्सपर्ट अविकल सोमवंशी ने बताया कि एजेंसियों को पहले से ही पता था कि दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में दाखिल हो सकती है इसके बावजूद कदम न उठाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस बार फोरकास्टिंग सिस्टम विकसित कर लिया गया था ऐसे में पहले से ही खराब स्थितियों के अनुमान लग रहे थे। कोविड संक्रमण ने लोगों को पहले से ही बीमार औऱ कमजोर बना रखा है ऐसे में इस बार इमरजेन्सी स्तर के ग्रेप प्लान को पहले ही लागू किए जाने की जरुरत थी। 

5 और 6 नवंबर को स्थिति और हो सकती है खराब 

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के मुताबिक 5 और 6 नवंबर को पराली जलाने का प्रतिशत बढ़ने और तापमान के कम होने से स्थितियां खराब हो सकती हैं। हालांकि एक्यूआई बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में बना रहेगा। 7 नवंबर को स्थिति में सुधार होने का अनुमान है। 

 

3 नवंबर की तुलना में 20 फीसदी अधिक जलाई गई पराली 

By : DTE

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