डीपीसीसी ने कहा निष्प्रभावी हैं स्मॉग टावर, दिल्ली कवर करने के लिए 40 हजार से अधिक टावर की जरूरत

स्मॉग टावर 200 मीटर रेडियस में सिर्फ 10 से 12 फीसदी ही पार्टिकुलेट मैटर को कम कर सकता है। डीपीसीसी ने कहा इसे म्यूजियम बनाया जा सकता है।

By Vivek Mishra

On: Thursday 16 November 2023
 

दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयोग के तौर पर लगाए गए स्मॉग टॉवर का कोई असर नहीं दिख रहा है। दिल्ली अब भी वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मौसमी कारकों पर निर्भर है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (

डीपीसीसी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि कनॉट प्लेस व आनंद विहार के पास संचालित स्मॉग टावर से वहां के आस-पास की वायु गुणवत्ता में कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।

डीपीसीसी की वरिष्ठ वैज्ञानिक नंनिदा मोत्रई  ने 8 नवंबर, 2023 को दाखिल हलफनामे में कहा आईआईटी बाम्बे और स्मॉग टावर के पास मौजूद वायु  गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों के आधार पर यह आकलन किया गया कि स्मॉग टावर वायु प्रदूषण को कम करने में असक्षम हैं। 

डीपीसीसी के हलफनामे के मुताबिक 100 मीटर रेडियस में 17 फीसदी वायु प्रदूषण को कम करने के लिए स्मॉग टावर पर 15 लाख रुपए महीना खर्चा करना पड़ा। दिल्ली का एरिया 1483 वर्ग किलोमीटर है जिसके लिए कुल 47229 स्मॉग टावर की जरूरत होगी, जिसकी कुल लागत 11,80,725 करोड़ होगी। एक स्मॉग टावर की लागत 25 करोड़ है। इसके अलावा 15 लाख रुपए प्रति महीने स्मॉग टावर को चलाने के लिए खर्च करने पड़ेंगे। 

वहीं, एटमॉस्फेरिक एयर पॉल्यूशन की कोई बाउंड्री नहीं है। दिल्ली उत्तर प्रदेश और हरियाणा से घिरा है। 1483 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाली दिल्ली की अधिकमत लंबाई 51.90 किलोमीटर और अधिकतम चौड़ाई 48.48 किलोमीटर है। 100 मीटर रेडियस में 10 से 17 फीसदी वायु प्रदूषण कम करने के लिए प्रत्येक 0.0314 वर्ग किलोमीटर पर एक टॉवर की आवश्यकता है। प्रत्येक स्मॉग टावर 25 करोड़ और उसके महीने संचालन की लागत 15 लाख रुपए है जो न्योयोचित नहीं है। 

डीपीसीसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 13 जनवरी, 2020 के आदेश के तहत भारत सरकार के द्वारा लगाए गए स्मॉग टावर, जिसकी निगरानी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय कर रहा है उसे दिल्ली में सर्वाधिक प्रदूषण वाले स्थान आनंद विहार में भी नहीं चलाया जा रहा क्योंकि यह समुद्र में एक बूंद के बराबर भी नहीं है। 

डीपीसीसी के मुताबिक कनॉट प्लेस और आनंद विहार पर लगाए गए स्मॉग टावर प्रायोगिक थे और इनके नतीजे उत्साजनक नहीं रहे जिसमें पब्लिक के पैसे का भारी व्यय किया जाए। यदि 100 मीटर रेडियस में 17 फीसदी वायु प्रदूषण को करने वाले स्मॉग टावर को पूरी दिल्ली के लिए कारगर बनाना है तो ऐसे 40 हजार टावर चाहिए होंगे। यह एक प्रायोगिक समाधान नहीं है। 

डीपीसीसी ने कहा कि इन स्मॉग टावरों को संग्रहालय के रूप में वायु प्रदूषण नियंत्रण के बारे में तकनीकी जानकारी के प्रसार के रूप में जरूर इस्तेमाल किया जा सकता है।

आईआईटी बॉम्बे ने स्मॉग टावर पर जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक एक स्मॉग टावर अपने 20 मीटर रेडियस में 48 से 56 फीसदी वायु प्रदूषण को कम करता है जबकि 21 से 99 मीटर रेडियर में 34 से 30 फीसदी, 109 से 199 मीटर रेडियस में 12 से 13 फीसदी और 300 से 500 मीटर रेडियस में 16 फीसदी तक वायु प्रदूषण को कम करता है। 

हलफनामे के मुताबिक स्मॉग टावर आनंद विहार क्षेत्र में कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं डाल रहा और वह इन सर्दियों की शुरुआत में ही प्रदूषण का हॉटस्पॉट बना हुआ है। स्मॉग टावर से महज 30 मीटर की दूरी पर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) लगे हुए हैं जिसमें एक्यूआई में खास फर्क नहीं पड़ा है। अक्तूबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच आनंद विहार का एक्यूआई गंभीर स्तर का ही रहा। 

वहीं, आईआईटी दिल्ली की फाइनल रिपोर्ट में पाया गया कि 200 मीटर रेडियस में महज 13 से 15 फीसदी ही वायु प्रदूषण को कम करता है जो कि महत्वपूर्ण नहीं है। वायु प्रदूषण में यह कमी मौसमी कारकों के जरिए भी होती है। 

स्मॉग टावर के जरिए एक किलोमीटर रेडियस में स्वच्छ वायु गुणवत्ता देने की चाहत पूरी नहीं हो सकती, यह 200 मीटर तक ही बहुत सीमित मात्रा में प्रभावी है। 

डीपीसीसी ने कहा कि स्मॉग टावर का सालाना ऑपरेशन और मेंटनेंस भी करीब 1.5 करोड़ रुपए है। साथ ही साल का 90 लाख रुपए बिजली का बिल जमा करना होगा। ऐसे में करीब 20 लाख रुपए प्रति महीना इसका ऑपरेशन एंड मेंटनेंस चार्ज है।  

आईआईटी बॉम्बे ने इस स्मॉग टावर के प्रभाव को बढ़ाने के लिए कुछ बदलाव की सिफारिश की है। मसलन फिल्टर का बदलाव,  कम ऊंचाई, और छोटे पंखे स्मॉग टावर को बेहतर बना सकते हैं। 

डीपीसीसी ने कहा कि उनके जरिए किए गए विश्लेषण में पता चलता है कि स्मॉग टावर लगाने के बाद भी मंदिर मार्ग और आनंद विहार में पीएम 10 में 2019-20 से लगभग 37 फीसदी की बढोत्तरी हुई है। जबकि पीएम 2.5 का स्तर 2 फीसदी अधिक बढ़ा है। 

डीपीसीसी ने कहा कि स्मॉग टावर की असक्षमता को लेकर 31 मई, 2023 को ही दिल्ली को बता दिया गया था लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर, 2023 को स्मॉग टावर को चलाने की आदेश दिया था। इसके बाद से स्मॉग टावर चल रहे हैं। 

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