छोटे शहरों के लिए बड़ा सिरदर्द बना बढ़ता प्रदूषण, सहरसा-श्रीगंगानगर जैसे शहरों में जानलेवा हुई हवा

देश में प्रदूषण का जहर केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रह गया है, आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे शहरों को पीछे छोड़ सहरसा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 378 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 23 January 2024
 

देश में प्रदूषण का जहर केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रह गया है, इसकी पुष्टि आंकड़े भी करते हैं। इस बारे में जारी ताजा आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे शहरों को पीछे छोड़ सहरसा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 378 पर पहुंच गया है। इसी तरह श्रीगंगानगर में भी 71 अंकों के उछाल के साथ प्रदूषण का स्तर बढ़कर 331 दर्ज किया गया है।

वहीं अगरतला (334), अररिया (319), आसनसोल (309), बद्दी (315), भागलपुर (364), बीकानेर (307), बर्नीहाट (301), गुवाहाटी (326), हनुमानगढ़ (361), करौली (305), मुजफ्फरनगर (325), मुजफ्फरपुर (335), नगांव (360), रूपनगर (323), सोनीपत (328) जैसे छोटे शहरों में भी स्थति जानलेवा बनी हुई है। हालांकि प्रदूषण के मामले में दिल्ली-चंडीगढ़ भी पीछे नहीं हैं। इन दोनों शहरों में भी कल के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी गई है। आंकड़े दर्शाते हैं कि जहां दिल्ली के प्रदूषण में कल के मुकाबले 35 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं चंडीगढ़ में भी एक्यूआई 15 अंक बढ़कर 345 पर पहुंच गया है।

कुल मिलकर देखें तो देश के 70 शहरों में वायु गुणवत्ता दमघोंटू बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ देश के 14 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीच दर्ज किया गया है। देश के सभी शहरों में मदिकेरी की हवा सबसे ज्यादा है, जहां पीमए 2.5 का स्तर 31 दर्ज किया गया है। हालांकि इसके बावजूद देश के 90 फीसदी से ज्यादा शहरों में प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 23 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 243 में से महज 14 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 59 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 100 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

हावड़ा-काशीपुर सहित 49 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि गुवाहाटी-रूपनगर सहित 21 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 35 अंक बढ़कर 368 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 277, गाजियाबाद में 314, गुरुग्राम में 270, नोएडा में 311, ग्रेटर नोएडा में 254 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 116 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 268, चेन्नई में 99, चंडीगढ़ में 345, हैदराबाद में 71, जयपुर में 226 और पटना में 298 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 14 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमरावती 45, अरियालूर 35, बागलकोट 50, चामराजनगर 43, गंगटोक 39, हावेरी 48, कडपा 48, मदिकेरी 31, मिलुपारा 37, पालकालाइपेरुर 40, रामनाथपुरम 40, शिवसागर 46, तिरुपति 46 और उडुपी 43 शामिल रहे।

वहीं आइजोल, अनंतपुर, अंकलेश्वर, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बेतिया, बीदर, ब्रजराजनगर, चेन्नई, छाल , चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, एलूर, गडग , हसन, हुबली, हैदराबाद, कलबुर्गी, कल्याण, कन्नूर, कटनी, खुर्जा, कोलार, कोरबा, महाड, मैहर, मंगलौर, मंगुराहा, मैसूर, नाहरलगुन, नासिक, ऊटी, पलवल, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामानगर, सलेम, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सूरत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपुर, उज्जैन, वाराणसी, वृंदावन और यादगीर आदि 59 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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