भारत में हैं पर्यावरण और जलवायु से जुड़े गंभीर जोखिम का सामना कर रहे दुनिया के 100 में से 43 प्रमुख शहर

देश की विशाल शहरी आबादी के लिए प्रदूषण सबसे बड़ा खतरा है

By Lalit Maurya

On: Thursday 13 May 2021
 

दुनिया में सबसे ज्यादा पर्यावरण और जलवायु सम्बन्धी जोखिमों का सामना कर रहे 100 शहरों में से 43 अकेले भारत में और 37 चीन में हैं| यह जानकारी वेरिस्क मैपलक्रॉफ्ट द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट एनवायर्नमेंटल रिस्क आउटलुक 2021 में सामने आई है| इस रिपोर्ट में पर्यावरण और जलवायु सम्बन्धी जोखिमों के आधार पर दुनिया के 576 शहरों को श्रेणीबद्ध किया है| इनमें से 100 शहर जो सबसे ज्यादा खतरे में हैं उनमें से 99 अकेले एशिया में हैं, जबकि अकेला लीमा एकलौता ऐसा गैर एशियाई शहर है जिसे शीर्ष 100 शहरों में शामिल किया गया है|

रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 414 शहरों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है| यह शहर बढ़ते प्रदूषण, पानी  की घटती सप्लाई, बाढ़, सूखा, तूफान और हीटवेव जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण गंभीर खतरे में हैं| इन शहरों की कुल आबादी 140 करोड़ से भी ज्यादा है, ऐसे में इन लोगों पर भी गंभीर संकट मंडरा रहा है|

विकासशील देशों में आबादी तेजी से बढ़ रही है जिसका असर संसाधनों की उपलब्धता पर पड़ रहा है| वैश्विक उत्सर्जन में होती वृद्धि के चलते दुनिया के कई शहरों में जलवायु सम्बन्धी जोखिम भी बढ़ता जा रहा है| जिसका असर न केवल वहां लोगों की संपत्ति और रोजगार पर पड़ रहा है साथ ही उनके स्वास्थ्य और जीवन के प्रति जोखिम भी बढ़ता जा रहा है| जिसका ज्वलंत उदाहरण दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण है, जो दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा संकट बन चुका है|

रिपोर्ट के मुताबिक जकार्ता दुनिया का सबसे ज्यादा संकटग्रस्त शहर है, जो प्रदूषण, बाढ़ और हीटवेव जैसे जोखिमों का सामना कर रहा है| वहीं भारत की राजधानी दिल्ली को इस रिपोर्ट में दूसरे स्थान पर रखा गया है| इस रिपोर्ट में उन शहरों को शामिल किया गया है जिनकी आबादी 10 लाख से ज्यादा है| साथ ही उन्हें प्राकृतिक आपदाओं, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जलसंकट, जलवायु परिवर्तन जैसे जोखिमों के आधार पर क्रमबद्ध किया गया है|

इनके अलावा इंडोनेशिया के दो अन्य शहरों सुरबाया और बांडुंग को क्रमशः 4वें और 8वें स्थान पर रखा गया है| वहीं पाकिस्तान के दो सबसे अधिक आबादी वाले शहरों कराची को 12 वें और लाहौर को 15 वें पायदान पर रखा गया है|

प्रदूषण है भारतीय शहरों के लिए सबसे बड़ी खतरे की वजह

यदि सिर्फ भारत को देखें तो दुनिया के सबसे ज्यादा संकटग्रस्त 20 शहरों में से 13 भारत में हैं, जिनमें दिल्ली सबसे ऊपर है जिसे इस इंडेक्स में दूसरे स्थान पर रखा है| इसके बाद चेन्नई को तीसरे, आगरा को छठें और कानपुर को 10वें स्थान पर रखा गया है| इसके बाद जयपुर 22वें, लखनऊ 24 वें, बेंगलुरु 25 वें और सवा करोड़ की आबादी वाले शहर मुंबई को 27वें स्थान पर रखा है|

रिपोर्ट की मानें तो देश की विशाल शहरी आबादी के लिए प्रदूषण सबसे बड़ा खतरा है| यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक को देखें तो 20 सबसे ज्यादा खतरे में पड़े शहरों में से 19 भारत में हैं| अनुमान है कि 2019 के दौरान देश में होने वाली हर पांचवी मौत के लिए वायु प्रदूषण ही जिम्मेवार था| इसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 264,864 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था| वहीं यदि जल प्रदूषण को देखें तो इसके कारण करीब 400,000 लोगों की जान गई थी| साथ ही इसके कारण स्वास्थ्य पर करीब 66,216 करोड़ रुपए का खर्च हुआ था|

रिपोर्ट को देखें तो पूर्वी एशिया पर प्राकृतिक आपदाओं का खतरा सबसे ज्यादा है| इसी तरह मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका के सबसे ज्यादा शहरों पर जल संकट और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा ज्यादा है| यूरोप  में शहरों पर बाढ़ और भूकंप का खतरा ज्यादा है| यदि जलवायु परिवर्तन और मौसम की चरम घटनाओं को देखें तो अफ्रीका के शहर सबसे ज्यादा खतरे में हैं|

इसके विपरीत यूरोप और कनाडा के शहर दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं| दुनिया के 20 सबसे कम संकटग्रस्त शहरों में से 14 अकेले यूरोप में हैं| साइबेरिया का क्रास्नोयार्स्क शहर सबसे ज्यादा सुरक्षित शहर है जिसे इस इंडेक्स में 576वें स्थान पर रखा गया है| इसके बाद ओस्लो को 575वें, ग्लासगो को 573वें, हेलसिंकी को 569वें, कोपेनहेगन को 563वें, वैंकूवर को 574वें और ओटावा को 571वें स्थान पर रखा गया है|

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