बड़े शहरों को पीछे छोड़ छपरा में 387 पर पहुंचा एक्यूआई, महज आठ शहरों में साफ रह गई है हवा

देश में बढ़ता प्रदूषण केवल बड़े शहरों की समस्या नहीं रहा गया है। इस मामले में छपरा-भागलपुर जैसे छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 400 के करीब पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 03 January 2024
 
भारत में बढ़ते प्रदूषण का जहर अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है; फोटो: आईस्टॉक

आंकड़ों की मानें तो देश में बढ़ता प्रदूषण केवल बड़े शहरों की समस्या नहीं रहा गया है। इस मामले में छपरा-भागलपुर जैसे छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 400 के करीब पहुंच गया है। प्रदूषण का आलम यह है कि छपरा में एक्यूआई बढ़कर 387 पर पहुंच गया है। वहीं भागलपुर भी ज्यादा पीछे नहीं है जहां वायु गुणवत्ता 380 रिकॉर्ड की गई है। इसी तरह कटक-धौलपुर सहित 19 शहरों में हवा जानलेवा बनी हुई है।

यदि देश के उन शहरों की बात करें जहां वायु गुणवत्ता बेहतर रिकॉर्ड की गई है तो महज आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे दर्ज किया गया है। हालांकि केवल आइजोल में ही यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरा है। इसके अलावा देश के किसी भी शहर में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के नजरिए से सुरक्षित नहीं हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तीन जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 241 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 50 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 103 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

बारीपदा-दौसा सहित 61 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि छपरा-हनुमानगढ़ सहित 19 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स एक अंक बढ़कर 340 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 320, गाजियाबाद में 216, गुरुग्राम में 284, नोएडा में 271, ग्रेटर नोएडा में 289 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 117 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 123, चेन्नई में 119, चंडीगढ़ में 276, हैदराबाद में 111, जयपुर में 278 और पटना में 366 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 18, बागलकोट 46, चामराजनगर 46, झांसी 50, कलबुर्गी 50, ऊटी 50, शिलांग 37 और थूथुकुडी 46 शामिल रहे।

वहीं अंबाला, अनंतपुर, औरंगाबाद (बिहार), बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, ब्रजराजनगर, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, दावनगेरे, धारवाड़, गांधीनगर, गंगटोक, हसन, हुबली, इंफाल, कडपा, कैथल, कन्नूर, करनाल, कोहिमा, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मैसूर, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रायपुर, रामानगर, रामनाथपुरम, रतलाम, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरसा, शिवसागर, सूरत, तिरुवनंतपुरम, तिरुपति, तिरुपुर, उडुपी, विजयपुरा, विजयवाड़ा, वृंदावन और यमुनानगर आदि 50 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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