बड़े शहरों को पीछे छोड़ हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में 400 के पार पहुंचा एक्यूआई, दिल्ली में 377

देश के बड़े शहरों को पीछे छोड़ हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 26 December 2023
 

देश के बड़े शहरों को पीछे छोड़ हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार है जो वायु गुणवत्ता के बेहद गंभीर स्तर को दर्शाता है। वहीं दिल्ली में भी प्रदूषण जानलेवा बना हुआ है। जहां एक्यूआई 377 दर्ज किया गया है। इसी तरह देश के 25 अन्य छोटे बड़े शहरों में भी हवा जहरीली है। वहीं 73 शहरों में हालात दमघोंटू हैं।

देश के महज 13 शहरों में हवा बेहतर बताई गई है। हालांकि इसके बावजूद देश में कोई भी शहर ऐसा नहीं है जहां प्रदूषण का स्तर स्वास्थ्य के नजरिए से सुरक्षित कहा जा सके। आंकड़ों की मानें तो एक बार फिर आइजोल (17) देश का सबसे साफ शहर रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 26 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 245 में से महज 13 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 52 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 80 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

भिलाई-इंदौर सहित 73 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि अमरावती-भीलवाड़ा सहित 25 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। वहीं हनुमानगढ़ (408) और श्रीगंगानगर (403) में हवा गंभीर बनी हुई है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स छह अंक गिरकर 377 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 302, गाजियाबाद में 305, गुरुग्राम में 286, नोएडा में 343, ग्रेटर नोएडा में 341 पर पहुंच गया है। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 178 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 189, चेन्नई में 77, चंडीगढ़ में 327, हैदराबाद में 121, जयपुर में 297 और पटना में 271 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 13 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 17, चामराजनगर 44, चिक्कामगलुरु 42, मदिकेरी 35, मैसूर 46, ऊटी 31, पालकालाइपेरुर 33, पुदुचेरी 42, रामानगर 50, रामनाथपुरम 38, सिलचर 37, थूथुकुडी 48 और तिरुपुर 46 शामिल रहे।

वहीं अनंतपुर, औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, ब्रजराजनगर, चेन्नई, चिकबलपुर, चित्तूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हुबली, इंफाल, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, कारवार, कोच्चि, कोहिमा, कोलार, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मैहर, मंगलौर, मंगुराहा, मिलुपारा, नाहरलगुन, ऋषिकेश, समस्तीपुर, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, शिवसागर, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, उडुपी, वाराणसी, विजयपुरा, विजयवाड़ा और वृंदावन आदि 52 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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