बड़े शहरों को पीछे छोड़ श्रीगंगानगर में सबसे बुरे हालात, दिल्ली में भी जानलेवा बना हुआ है प्रदूषण

दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ श्रीगंगानगर में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जहां वायु गुणा सूचकांक 441 पर पहुंच गया है। इसी तरह दिल्ली सहित 13 शहरों में हवा जानलेवा बनी हुई है

By Lalit Maurya

On: Monday 20 November 2023
 

दिल्ली सहित कई शहरों में प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। स्थिति किस कदर बिगड़ चुकी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि श्रीगंगानगर में तो सूचकांक 440 के पार है। ऐसा नहीं कि प्रदूषण का यह कहर केवल बड़े शहरों तक सीमित है, इस मामले में छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो मेरठ-सिरसा जैसे छोटे शहरों में भी प्रदूषण जानलेवा बना हुआ है, वहीं 61 अन्य शहरों में हालात खराब हैं, जहां प्रदूषण का स्तर 200 के पार  है।

कुछ शहरों में तो स्थिति इतनी खराब हो चली है कि वहां सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 नवंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 239 में से महज 22 शहरों में हवा 'बेहतर' रही। वहीं 68 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' थी, जबकि 73 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 'मध्यम' यानी 100 से 200 के बीच रहा। 

अमृतसर-भिवानी सहित 61 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू रहा, जबकि बीकानेर-हनुमानगढ़ सहित 14 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो गया है। वहीं श्रीगंगानगर (441) में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति में पहुंच गया है। कुल मिलकर देखें तो इन शहरों में स्थिति जानलेवा है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां प्रदूषण के स्तर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 301 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 327, गाजियाबाद में 280, गुरुग्राम में 234, नोएडा में 268, ग्रेटर नोएडा में 236 दर्ज किया गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 159 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 180, चेन्नई में 50, चंडीगढ़ में 127, हैदराबाद में 87, जयपुर में 235 और पटना में 129 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 22 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अनंतपुर 36, अरियालूर 27, बागलकोट 44, बिलासपुर 43, चामराजनगर 47, चेन्नई 50, छाल 48, चिकबलपुर 44, कडपा 38, मदिकेरी 30, मैसूर 45, नंदेसरी 50, पुदुचेरी 30, रामनाथपुरम 14, ऋषिकेश 40, शिलांग 45, सिलचर 42, शिवसागर 39, थूथुकुडी 21, तिरुपति 46, वेल्लोर 47, विजयपुरा 47 शामिल रहे।

वहीं अगरतला (83), आसनसोल 95, बालासोर 98, बारीपदा 82, बेलगाम 96, बेंगलुरु 62, भिलाई 85, भुवनेश्वर 75, बिहारशरीफ 55, ब्रजराजनगर 53, ब्यासनगर 83, चिक्कामगलुरु 52, चित्तूर 53, कुड्डालोर 62, कटक 70, दमोह 75, दावनगेरे 73, देहरादून 54, धारवाड़ 67, दुर्गापुर 55, एलूर 73, गडग 51, गंगटोक 58, गुवाहाटी 73, हल्दिया 78, हसन 51, हावेरी 94, हावड़ा 93, हुबली 72, हैदराबाद 87, इंफाल 75, कलबुर्गी 60, कन्नूर 56, करौली 91, काशीपुर 94, क्योंझर 96, खुर्जा 79, कोच्चि 85, कोलकाता 76, कोप्पल 63, कोरबा 54, मैहर 75, मंगलौर 100, मंगुराहा 63, मिलुपारा 57, मुंगेर 90, नगांव 67, नलबाड़ी 98, नयागढ़ 88, पंचकुला 51, रायचुर 97, रायपुर 86, रायरंगपुर 95, राजमहेंद्रवरम 65, रामानगर 65, सासाराम 77, सतना 89, शिवमोगा 65, सिलीगुड़ी 65, सुआकाती 97, तालचेर 90, टेंसा 68, त्रिशूर 58, उडुपी 86, वाराणसी 70, विजयवाड़ा 62, विशाखापत्तनम 67, यादगीर (76) आदि 68 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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