कटिहार में सबसे ज्यादा दूषित रही हवा, आइजोल से 19 गुणा ज्यादा रहा प्रदूषण

दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ कटिहार में हवा सबसे ज्यादा दूषित रही। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 381 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 20 December 2023
 

दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ कटिहार में हवा सबसे ज्यादा दूषित रही। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 381 पर पहुंच गया है। इसी तरह बल्लभगढ़-भागलपुर-हनुमानगढ़ सहित आठ शहरों में भी हवा जानलेवा बनी हुई है। वहीं आइजोल देश का सबसे कम प्रदूषण वाला शहर बना हुआ है, जहां एक्यूआई 20 दर्ज किया गया है। हालांकि यहां भी वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरी नहीं है। मतलब की देश में कोई भी शहर ऐसा नहीं है जहां हवा स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित कही जा सके।

दिल्ली भी प्रदूषण के मामले में ज्यादा पीछे नहीं है। हालांकि कल के मुकाबले दिल्ली में प्रदूषण कम हुआ है, लेकिन इसके बावजूद हवा में घुला जहर लोगों को बीमार करने के लिए काफी है। यदि आंकड़ों को देखें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 285 रिकॉर्ड किया गया है। जो 'खराब' वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 20 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 246 में से महज नौ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 58 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 121 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

अमृतसर-छपरा सहित 50 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि हनुमानगढ़-कटिहार सहित आठ शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स एक अंक गिरकर 285 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 228, गाजियाबाद में 236, गुरुग्राम में 184, नोएडा में 208, ग्रेटर नोएडा में 241 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 134 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 196, चेन्नई में 96, चंडीगढ़ में 300, हैदराबाद में 127, जयपुर में 181 और पटना में 268 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन नौ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 20, चामराजनगर 40, मदिकेरी 49, मैहर 39, ऊटी 22, सिलचर 33, शिवसागर 48, तिरुवनंतपुरम 46 और वृंदावन 50 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अजमेर, अलवर, अरियालूर, औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, भिलाई, ब्रजराजनगर, चेन्नई, छाल, चिक्कामगलुरु, दमोह, धारवाड़, एलूर, गांधीनगर, गंगटोक, हसन, जलगांव, जलना, कडपा, कलबुर्गी, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मिलुपारा, मैसूर, नागपुर, पालकालाइपेरुर, पलवल, परभनी, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, रतलाम, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, सूरत, त्रिशूर, तुमिडीह, वाराणसी, वातवा, विजयपुरा और विजयवाड़ा आदि 58 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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