अब गैस चूल्हे से भी वायु प्रदूषण का खतरा!

यह बात अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड विश्व विद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कही

By Anil Ashwani Sharma

On: Wednesday 08 May 2024
 
गैस स्टोव वाहनों की तुलना में अधिक हानिकारक नैनोकण उत्सर्जित करते हैं, फोटो साभार : आईसटॉक

अब तक गैस चूल्हा से खाना बनाना सबसे बेहतर और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से स्वच्छ व प्रदूषण रहित माना जाता था। यहां तक कि भारत जैसे देश में तो केंद्र सरकार ने पिछले एक दशक से इसके लिए बकायदा एक योजन भी चला रखी है। प्रदूषण से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने आमजन के लिए उज्जवला योजना पूरे देश में युद्ध स्तर पर लागू की है। और वर्तमान में भारत में हो रहे आम चुनावों में इस योजना की सफलता और असफलता पर सरकार और विपक्ष जमकर एक-दूसरे पर भी आरोप-प्रत्यारोप मढ़ने में पीछे नहीं हट रहे हैं।

लेकिन अब एक अध्ययन में यह बात निकलकर आई है कि गैस स्टोव के उपयोग से भी वायु प्रदूषण होता है और यह स्वास्थ के हिसाब से हानिकारक है। अध्ययन में बताया गया है कि गैस स्टोव के उपयोग से बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन डाई आक्साइड का उत्सर्जन होता है। यह उन घरों में अधिक हेाता है जो कि बहुत छोटे हैं।

अध्ययन में पाया गया कि गैस स्टोव से प्रदूषण का जोखिम छोटे घरों में बड़े घरों के मुकाबले सबसे अधिक प्रभावी है। गैस-बर्निंग रेंज, जो इनडोर प्रदूषण में एक महत्वपूर्ण योगदान देती है, छोटे स्थानों में कुछ प्रदूषकों के विशेष रूप से उच्च स्तर का उत्पादन और प्रसार कर सकती है। यह अध्ययन अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड विश्व विद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। अध्ययन करने वाले स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक यान्नई कश्तन ने बीते साल शोध के हिस्से के रूप में न्यूयॉर्क शहर के एक अपार्टमेंट में स्टोव जलाकर इस बारे में और विस्तृत जानकारी एकत्रित की थी।

पिछले कई दशकों से वैज्ञानिकों ने कारखानों, कारों और बिजली संयंत्रों से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया है। लेकिन अब शोधकर्ता तेजी से अपना ध्यान उस हवा पर केंद्रित कर रहे हैं जिसमें लोग घर के अंदर सांस लेते हैं और इनमें से एक उपकरण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रदूषकों के स्रोत के रूप में सामने आया है और यह है घरों में आमतौर पर उपयोग होने वाला साधारण गैस स्टोव।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का एक नया अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि घर के अंदर अमेरिकियों को नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का कितना सामना करना पड़ सकता है और इससे अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियां से जुड़ा मामला बनता है।

यहां तक कि शोधकर्ताओं ने पाया कि देश भर में गैस स्टोव के उपयोग से अल्पकालिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का जोखिम अक्सर विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण एजेंसी दोनों द्वारा निर्धारित मानकों से अधिक होता है। लंबी अवधि तक गैस स्टोव का उपयोग करने का मतलब है कि सामान्य अमेरिकी अपने ही घरों के भीतर डब्ल्यूएचओ द्वारा सुरक्षित माने गए नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के तीन-चौथाई स्तर को सांस के साथ ग्रहण कर सकता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि बाहरी प्रदूषण की तरह ही घर के भीतर भी वायु  प्रदूषण से अधिक प्रभावित हो सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि चूंकि गैस छोटी जगहों में अधिक आसानी से फैलती है इसलिए 800 वर्ग फुट से छोटे घरों में रहने वाले लोग 3,000 वर्ग फुट से बड़े घरों में रहने वाले लोगों की तुलना में चार गुना अधिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आते हैं। राष्ट्रीय औसत की तुलना में देखा जाए तो काले और लातीनी परिवार 20 प्रतिशत अधिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आते हैं।

स्टैनफोर्ड डोएर स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख रॉब जैक्सन ने कहा, “हमने बाहरी प्रदूषण को कम करने के लिए इस देश में वास्तव में अच्छा काम किया है, यह अध्ययन “साइंस एडवांसेज” में प्रकाशित हुआ है, लेकिन हमने उन जोखिमों को नजरअंदाज कर दिया है जिनका सामना लोग घर के अंदर करते हैं और यही वह हवा है जिसमें हम अधिकांश समय सांस लेते हैं।” उन्होंने कहा कि हालांकि गैस स्टोव का उपयोग करने वाले घरेलू रसोइये विशेष रूप से अधिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आते हैं।

गैस स्टोव पर कई राजनीतिक आलोचकों ने अपनी बात कही है। जब बिडेन प्रशासन के एक अधिकारी ने पिछले साल गैस स्टोव के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में बात की, तो रिपब्लिकन राजनेताओं और उनके सहयोगियों ने प्रशासन पर अतिशयोक्ति करने और गैस स्टोव पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की योजना बनाने का आरोप लगाया।

अगले सप्ताह सीनेटर्स हाउस रिपब्लिकन हैंड्स ऑफ अवर होम अप्लायंसेज एक्ट नामक विधेयक पर बैठक करने वाले हैं, जिससे ऊर्जा विभाग के लिए गैस स्टोव सहित घरेलू उपकरणों पर अधिक कठोर ऊर्जा-दक्षता मानक स्थापित करने संबंधी नियमों के बारे में बातचीत की जाएगी।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि गैस स्टोव से उत्पन्न स्वास्थ्य जोखिम खतरनाक है। हार्वर्ड टी.एच. में पर्यावरण स्वास्थ्य विभाग की अध्यक्ष कारी नादेउ ने कहा, “गैस या किसी जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न इन विषाक्त पदार्थों के बाहर या अंदर जोखिम की वास्तव में कोई सुरक्षित मात्रा नहीं है।”

स्टैनफोर्ड अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि स्टोव से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के लंबे समय तक संपर्क में रहने से बच्चों में अस्थमा के 50,000 से अधिक मामले होने की संभावना है।

ऊर्जा के स्वच्छ रूपों की ओर परिवर्तन के एक भाग के रूप में, कुछ शहरों और काउंटियों ने पूरी तरह से गैस से दूर जाने की कोशिश की गई है। पिछले कुछ वर्षों में 140 से अधिक शहरों और स्थानीय सरकारों ने नई इमारतों में गैस स्टोव को प्रतिबंधित करने की मांग की है या नई इमारतों में प्राकृतिक गैस के उपयोग को समाप्त करने के लिए अन्य उपाय किए गए हैं, हालांकि उन उपायों को अदालत में चुनौती दी गई है।

डॉ. जैक्सन ने कहा, “लोगों को यह बताना आदर्श नहीं है कि उन्हें अपने घर से एक अच्छा गैस स्टोव तोड़ना होगा।” लेकिन नए घरों में इलेक्ट्रिक स्टोव स्थापित करने की आवश्यकता है, जो अध्ययन में पाया गया कि वास्तव में कोई हानिकारक उत्सर्जन नहीं है।

स्टैनफोर्ड टीम ने सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क शहर और अन्य प्रमुख अमेरिकी शहरों में लगभग 100 घरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और सांद्रता का प्रत्यक्ष रूप से माप लिया और जोखिम व स्वास्थ्य परिणामों का अनुमान लगाने के लिए इनडोर वायु-गुणवत्ता निगरानी और महामारी विज्ञान जोखिम गणना का उपयोग किया।

स्टैनफोर्ड विवि में हुए अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता कश्तन ने कहा कि उन्होंने पाया कि घरेलू रसोइयों को औसत की तुलना में तीन गुना अधिक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण का सामना करना पड़ा है। 

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