प्रदूषण की वजह से जल्द मुरझा जाते हैं पौधे

ग्रीन हाउस गैसों में 50 फीसदी की कटौती जलवायु परिवर्तन से निपटने के साथ-साथ पौधों के विकास में भी सहायक हो सकती है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 28 January 2020
 
photo: pxfuel

वाहनों से हो रहे प्रदूषण और कुछ विशिष्ट गैसों में कमी, पौधों के विकास में मददगार हो सकती है। यह न सिर्फ पौधों को जल्द विकसित होने में मदद करती है। बल्कि साथ ही उन्हें अधिक कार्बन अवशोषित करने के लायक भी बनाती है। गौरतलब है कि ओजोन का उत्सर्जन सीधे तौर पर नहीं होता है। मुख्यतः कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन, वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों और नाइट्रोजन ऑक्साइडों के आपस में जटिल रासायनिक प्रतिक्रिया करने के कारण वायुमंडल में ओजोन का निर्माण होता है। यही ओजोन पृथ्वी की सतह पर प्रकाश संश्लेषण को सीमित कर देती है, जिससे पौधे प्रचुर मात्रा में भोजन नहीं बना पाते । परिणामस्वरूप उनके बढ़ने की क्षमता घट जाती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन गैसों के उत्सर्जन में कमी करके जलवायु परिवर्तन को सीमित किया जा सकता है। यह अध्ययन एक्सेटर विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है। जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन के अनुसार इन गैसों में 50 फीसदी की कटौती ने केवल जलवायु परिवर्तन को रोकने में मददगार हो सकती है। साथ ही यह पौधों को अधिक मात्रा में कार्बन सोखने में भी मदद करती है। यह गैसें मुख्यतः सड़क परिवहन और ऊर्जा उत्पादन, कृषि, आवास, उद्योग, वेस्ट/ लैंडफिल और शिपिंग, इन सात स्रोतों से सबसे अधिक उत्सर्जित होती है। एक्सेटर विश्वविद्यालय से सम्बंधित प्रोफेसर नादिन उंगर ने बताया कि, "जमीन पर मौजूद इकोसिस्टम हर साल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का करीब 30 फीसदी हिस्सा स्टोर कर लेता है। जिसके कारण वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि घट जाती है।" लेकिन ओजोन के बढ़ते प्रदूषण के कारण पौधों द्वारा कार्बन कैप्चर करने की गति में कमी आ रही है।

शोध से पता चला है कि पूर्वी अमेरिका, यूरोप और पूर्वी चीन में पौधों की उत्पादकता तेजी से कम हो रही है। जहां ओजोन प्रदूषण काफी ज्यादा है। अनुमान है कि इन क्षेत्रों में पौधों की वृद्धि पर हर साल करीब 5 से 20 फीसदी का असर पड़ रहा है। अध्ययन के अनुसार इन गैसों में 50 फीसदी की कटौती का लक्ष्य बड़ा तो है पर नामुमकिन नहीं है। जैसे की कुछ उद्योगों ने पहले भी ऐसा करके दिखाया है। 

प्रोफेसर उंगर ने बताया कि वाहनों और ऊर्जा उत्पादन से हो रहे प्रदूषण में कटौती करना ओजोन से निपटने का सबसे बेहतर विकल्प है। साथ ही यह पूर्वी चीन, यूरोप, पूर्वी अमेरिका और दुनिया भर में उत्पादकता को हो रहे नुकसान को सीमित करने का प्रभावी उपाय है।  यह कार्बन में कमी लाने का एक प्राकृतिक उपाय है। साथ ही यह जीवाश्म ईंधन से हो रहे उत्सर्जन में कमी करने, वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है।

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