हवा में जहर: दिल्ली में बढ़कर 380 पर पहुंचा एक्यूआई, 92 अन्य शहरों में जानलेवा हैं हालात

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आलम यह है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 380 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 27 December 2023
 
Photo: iStock

दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। आलम यह है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 380 पर पहुंच गया है। देखा जाए तो हवा में घुला यह जहर दिल्लीवासियों को हर दिन कहीं ज्यादा बीमार बना रहा है। वहीं ऐसा नहीं है कि प्रदूषण का कहर केवल बड़े शहरों तक सीमित है, इस मामले में भरतपुर-भीलवाड़ा-बुलन्दशहर जैसे छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार है। कुल मिलकर देश के 29 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। इसी तरह 64 अन्य शहरों में हवा दमघोंटू हैं।

वहीं यदि देश के सबसे साफ शहर की बात की जाए तो आइजोल, देश का सबसे साफ शहर बना हुआ है। जहां एक्यूआई 18 दर्ज किया गया है। हालांकि उसको छोड़ दे तो देश में ऐसा कोई भी शहर नहीं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वायु गुणवत्ता को लेकर तय मानकों पर खरा उतरता हो। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में हवा स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 242 में से महज 12 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 51 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 86 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

बागपत-बूंदी सहित 64 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि भरतपुर-हाजीपुर सहित 29 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स तीन अंक बढ़कर 380 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 329, गाजियाबाद में 362, गुरुग्राम में 313, नोएडा में 385, ग्रेटर नोएडा में 353 पर पहुंच गया है। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 174 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 217, चेन्नई में 74, चंडीगढ़ में 280, हैदराबाद में 120, जयपुर में 179 और पटना में 316 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 18, चामराजनगर 46, चिक्कामगलुरु 40, मदिकेरी 34, मैसूर 43, पालकालाइपेरुर 34, रामानगर 39, रामनाथपुरम 46, शिलांग 48, सिलचर 36, थूथुकुडी 37 और उडुपी 47 शामिल रहे।

वहीं अनंतपुर, अंकलेश्वर, बागलकोट, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, चेन्नई, चिकबलपुर, चित्तूर, कोयंबटूर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, एलूर, गडग , गंगटोक, हुबली, इंफाल, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, कारवार, खन्ना, कोच्चि, कोहिमा, कोलार, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मैहर, मिलुपारा, नाहरलगुन, पुदुचेरी, ऋषिकेश, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, सिरसा, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, विजयपुरा, विजयवाड़ा, और वृंदावन आदि 51 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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