एक बार फिर आपात स्थिति में पहुंचा दिल्ली की हवा में घुला जहर, 18 अन्य शहरों में भी बेकाबू हालात

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह से स्थिति बेहद नाजुक है। हालात यह हैं कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। यदि एक्यूआई को देखें तो वो बढ़कर 409 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Friday 26 January 2024
 
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हालात बेहद खराब हैं; फोटो: आईस्टॉक

साल 2024 में यह तीसरी मौका है जब दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़कर आपात स्थिति में पहुंच गया है। बढ़ते प्रदूषण की वजह से हालात यह हैं कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। यदि वायु गुणवता सूचकांक (एक्यूआई) को देखें तो वो बढ़कर 409 पर पहुंच गया है। कुल मिलकर दिल्ली में स्थिति बेकाबू है।

गौरतलब है कि इससे पहले जहां 14 जनवरी 2024 को दिल्ली में एक्यूआई 447 रिकॉर्ड किया गया था। वहीं 24 जनवरी को भी प्रदूषण का स्तर 409 रहा। देखा जाए तो दिल्ली में एक बार फिर गैस चैम्बर जैसे हालात बन रहे हैं।

हालांकि बढ़ता प्रदूषण केवल दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं, इसके कहर से देश के छोटे शहर भी सुरक्षित नहीं हैं। आंकड़ों की मानें तो देश के 18 शहरों में हालात 'बेहद खराब' हैं। वहीं आरा (336), बहादुरगढ़ (302), बालासोर (312), भागलपुर (352), भिवाड़ी (302), बर्नीहाट (327), छपरा (339), मानेसर (306), मुजफ्फरनगर (333), नलबाड़ी (317), नोएडा (394), पटना (337), राजगीर (301) और सहरसा   (367) में स्थिति जानलेवा है।

इसी तरह 53 अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता की स्थिति दमघोंटू बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ देखें तो देश के महज आठ शहरों में वायु गुणवत्ता की स्थिति बेहतर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे कम रिकॉर्ड किया गया है। देश के सभी शहरों में विजयपुरा में हालात सबसे बेहतर हैं, जहां एक्यूआई 39 दर्ज किया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 26 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 237 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 66 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 91 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

भरतपुर-गुवाहाटी सहित 53 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि पटना-बहादुरगढ़ सहित 18 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 77 अंक बढ़कर 409 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 303, गाजियाबाद में 375, गुरुग्राम में 325, नोएडा में 394, ग्रेटर नोएडा में 371 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 144 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 206, चेन्नई में 108, चंडीगढ़ में 256, हैदराबाद में 98, जयपुर में 214 और पटना में 337 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बागलकोट 46, चामराजनगर 45, चिक्कामगलुरु 47, गंगटोक 48, मैहर 49, सिलचर 47, उडुपी 43, और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आइजोल, अनंतपुर, अरियालूर, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, भिलाई, बिहारशरीफ, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, छाल, चिकबलपुर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देवास, एलूर, फिरोजाबाद, गडग , हावेरी, हैदराबाद, जलगांव, कलबुर्गी, कल्याण, कन्नूर, कारवार, खन्ना, कोलार, कोरबा, मदिकेरी, महाड, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, नाहरलगुन, नयागढ़, ऊटी, पलवल, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, रायपुर, रामानगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, राउरकेला, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, वातवा, विशाखापत्तनम, वृंदावन, यमुनानगर आदि 66 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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