लंबे समय तक वातावरण में रहते हैं खाना पकाने से होने वाले प्रदूषण के कण: अध्ययन

अध्ययन में बताया गया है कि खाना पकाने के दौरान उत्सर्जित होने वाले कण एक सुरक्षात्मक परत बनाते हैं, वे अन्य प्रदूषक कणों को भी शामिल कर सकते हैं

By Dayanidhi

On: Wednesday 09 December 2020
 

खाना पकाने से होने वाला उत्सर्जन वायुमंडल में लंबे समय तक रहता है, जिसके कारण हवा की गुणवत्ता खराब होती है और यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई है। 

शहरी वायु प्रदूषण में पार्टिकुलेट मैटर की अहम भूमिका होती है। कार्बनिक पदार्थ शहरी एरोसोल के एक बड़े हिस्से में फैले होते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के शोधकर्ताओं ने यह करके दिखाया कि किस तरह खाना पकाने के दौरान होने वाले उत्सर्जन से निकलने वाले कण (पार्टिकुलेट मैटर) प्रदूषण वातावरण में फैल जाते हैं। अलग-अलग देशों, शहरों में इनका अनुपात अलग है, जैसे ब्रिटेन के वातावरण में इनका अनुपात 10 प्रतिशत तक है वहीं चीन में 22 प्रतिशत है। इन कणों के टूटने और फैलने के बजाय ये कई दिनों तक वायुमंडल में बने रहते हैं।

टीम ने बाथ विश्वविद्यालय, सेंट्रल लेजर फैसिलिटी और डायमंड लाइट सोर्स के विशेषज्ञों के साथ मिलकर यह दिखाया कि ये फैटी एसिड अणु वातावरण में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले अणुओं के साथ कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। प्रतिक्रिया के दौरान कण के बाहर एक कोटिंग या क्रस्ट बनता है जो ओजोन जैसी गैसों के अंदर फैटी एसिड की रक्षा करता है जिससे कण टूटते नहीं हैं।

यह पहली बार है जब वैज्ञानिक इस तरह से प्रक्रिया को बनाने में सफल हुए हैं, प्रयोगशाला में डायमंड लाइट सोर्स पर शक्तिशाली एक्स-रे बीम का उपयोग करके खाना पकाने के दौरान अणुओं की पतली परतों से हर मिनट होने वाले उत्सर्जन का अध्ययन किया गया।

इन कणों की वायुमंडल में रहने की क्षमता ने जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के लिए कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। क्योंकि अणु पानी के साथ इतने नजदीक होते हैं, इससे बादल बनाने वाले पानी की बूंदों की क्षमता प्रभावित होती है। बदले में यह वर्षा की मात्रा में परिवर्तन कर सकता है, और सूरज की रोशनी की मात्रा को भी प्रभावित करते है जो सभी तापमान के परिवर्तन में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

खाना पकाने के दौरान उत्सर्जित होने वाले कण एक सुरक्षात्मक परत बनाते हैं, वे अन्य प्रदूषक कणों को भी शामिल कर सकते हैं, जिनको स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है जैसे कि डीजल इंजन से उत्सर्जित होने वाले कैंसर कारक कार्सिनोजन आदि। ये कण बहुत लंबे क्षेत्र में पहुच सकते हैं। यह अध्ययन रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के फैराडे डिस्कशन नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

बर्मिंघम विश्वविद्यालय के भूगोल, पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान के प्रमुख लेखक डॉ. क्रिश्चियन पफ्रांग ने कहा कि ये उत्सर्जन, जो विशेष रूप से खाना पकाने की प्रक्रियाओं से होते हैं, जैसे कि अधिक वसा जमने, शहरों में वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण अनुपात है, विशेष रूप से छोटे कणों में जिन्हें पीएम 2.5 कणों के रूप में जाना जाता है। लंदन के वातावरण में इन कणों की मात्रा लगभग 10 प्रतिशत है, लेकिन चीन में हाल ही में मात्रा 22 प्रतिशत थी जबकि हांगकांग में इनकी मात्रा 39 प्रतिशत तक दर्ज की गई हैं।

शहर की योजना बनाने में सुझावों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, लेकिन हमें उन तरीकों पर भी ध्यान देना चाहिए जो हवा को साफ करने के तरीकों को बेहतर तरीके से नियमित कर सकते हैं। विशेष रूप से फास्ट फूड उद्योगों में जहां वर्तमान में खाना पकाने से होने वाले उत्सर्जन से वायु गुणवत्ता के प्रभावों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। 

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