पूर्णिया में आपात स्थिति में पहुंचा प्रदूषण, दिल्ली-छपरा सहित 63 अन्य शहरों में दमघोंटू बने हुए हैं हालात

देश के कई शहरों में बढ़ता प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा। पूर्णिया में तो स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 416 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Friday 15 December 2023
 

देश के कई शहरों में बढ़ता प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा। पूर्णिया में तो स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 416 पर पहुंच गया है। प्रदूषण का आलम यह है कि अररिया में वायु गुणवत्ता सूचकांक 364, बल्लभगढ़ में 344, भागलपुर में 370, हनुमानगढ़ में 377, कटिहार में 394, सहरसा में 376 और श्रीगंगानगर में 357 पर पहुंच गया है। जहां सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। 

दिल्ली भी प्रदूषण के मामले में ज्यादा पीछे नहीं है। हालांकि कल के मुकाबले दिल्ली में प्रदूषण कम हुआ है, लेकिन इसके बावजूद हवा में घुला जहर लोगों को बीमार करने के लिए काफी है। यदि आंकड़ों को देखें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 323 रिकॉर्ड किया गया है। जो बेहद खराब वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। वहीं देश के महज आठ शहरों में हवा बेहतर बताई गई है। हालांकि इन शहरों में भी प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरा नहीं उतरता। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 15 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 245 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 63 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 110 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

हापुड़-कुरूक्षेत्र सहित 48 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि बल्लभगढ़-सहरसा सहित 15 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। वहीं पूर्णिया में प्रदूषण का स्तर बढ़कर 416 पर पहुंच गया है। यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स तीन अंक गिरकर 323 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 297, गाजियाबाद में 294, गुरुग्राम में 274, नोएडा में 299, ग्रेटर नोएडा में 294 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 139 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 193, चेन्नई में 110, चंडीगढ़ में 241, हैदराबाद में 92, जयपुर में 153 और पटना में 323 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें चामराजनगर 42, एलूर 44, गंगटोक 49, मैहर 39, नाहरलगुन 38, ऊटी 42, सिलचर 31 और शिवसागर 45 शामिल रहे।

वहीं अहमदाबाद, आइजोल, अजमेर, अलवर, अनंतपुर, अरियालूर, बागलकोट, बांसवाड़ा, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, ब्रजराजनगर, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, दमोह, दावनगेरे, देवास, धारवाड़, गडग, गांधीनगर, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, जबलपुर, जलना, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, करौली, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मैसूर, नागपुर, पालकालाइपेरुर, पलवल, पंचकुला, प्रतापगढ़, रामानगर, रतलाम, सागर, सलेम, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, वातवा, विजयपुरा, विजयवाड़ा, वृंदावन और यादगीर आदि 75 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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